संस्करण विवरण:
प्रकाशक: मनोज कॉमिक्स | लेखक: टीकाराम सिप्पी | सम्पादक: संदीप गुप्ता | पृष्ठ संख्या: 62
सारे जहाँ से ऊँचा |
राजनगर के रक्षक थे इंद्र और विशाल। राजनगर में होने वाले अपराधों को रोकने की जिम्मेदारी उन्होंने अपने कन्धों में ली थी। यही कारण भी था कि लोग इंद्र और विशाल दोनों को दिलो जान से चाहते थे।
और इसी कारण वो दोनों तूतेन खामन की मूर्ती के पीछे पड़े अपराधियों से भिड़ गए थे।
लेकिन फिर इस घटना के बाद चीजें इस तरह से घटित हुई कि सब कुछ बदल ही गया।
राजनगर के लोग विशाल के खून के प्यासे हो गए। वो इंद्र से उसे मौत की सजा देने की गुहार लगा रहे थे। वो जुलूस लेकर विशाल को फाँसी की सजा की माँग कानून के रखवालों से कर रहे थे।
आखिर लोगों के व्यवहार में ऐसे परिवर्तन की क्या वजह थी? ऐसा विशाल ने क्या कर दिया था?
इन्हीं सवालों के जवाब आपको इस कॉमिक्स को पढ़ने के पश्चात ही मिलेंगी।
‘सारे जहाँ से ऊँचा’ की बात करूँ तो यह पठनीय कॉमिक्स है। इंद्र और विशाल राजनगर के रक्षक हैं जिन्होंने राजनगर से अपराध समाप्त करने का बीड़ा उठाया है। कॉमिक्स इंद्र और विशाल की दोस्ती पर ही केंद्रित है। कॉमिक्स पढ़ते हुए आपको यह अहसास होगा कि कैसे विशाल के लिए इंद्र सारे जहाँ से ऊँचा है और कैसे इंद्र के लिए विशाल सारे जहाँ से ऊँचा है।
इस कॉमिक्स पढ़ते हुए एक बात और मेरे मन में आई थी। अगर आपने नोट किया हो तो हिंदी अपराध साहित्य हो या कॉमिक्स इनमें काफी घटनाएं राज नगर में ही घटित होती हैं। राजनगर नाम के पीछे क्या कहानी है? क्यों कई लोगों ने इस शहर को लेकर उपन्यास और कॉमिक्स लिखे हैं? यह सब एक अच्छे शोध का विषय है। मेरे नाम है राजनगर नाम के पीछे की कहानी को उजागर करता लेख अगर कोई व्यक्ति लिखेगा तो वह लेख पढ़ने में जरूर मजा आयेगा।
वापिस कॉमिक्स की बात करें तो इस कॉमिक्स में कांगो और शज्जाम नाम के दो खलनायक भी हैं। जहाँ कांगों अंडरवर्ल्ड का बेताज बादशाह है वहीं शज्जाम वैज्ञानिक ताकतों से युक्त एक खलनायक है जिसने एक ऐसी योजना बनाई है जिससे वह राजनगर से इंद्र और विशाल दोनों का सफाया करने का इरादा रखता है। पूरे कॉमिक्स में कभी इंद्र और विशाल कांगो से टकराते हैं और कभी शज्जाम से। कभी वो शज्जाम की कुटिल बुद्धि के सामने हारते भी प्रतीत होते हैं।
कॉमिक्स एक्शन से भरपूर तो है ही वहीं इसमें इंद्र और विशाल की दोस्ती का भावनात्मक पहलू भी बखूबी दिखता है। हमे कॉमिक्स पढ़ते हुए यह तो पता लग ही जाता है कि इंद्र को बनाने वाला विशाल है और इंद्र रोबोट न होकर उसका दोस्त था जिसके अंगों को विशाल ने रोबोट के साथ फ्यूज किया। मैं इंद्र की ओरिजिन स्टोरी जरूर पढ़ना चाहूँगा। कॉमिक्स में इंस्पेक्टर राणा का किरदार भी रोचक है। वह एक कर्तव्यनिष्ठ पुलिसवाला है जो कि अपने सीमित संसाधनों के अपराधियों से लड़ता है और कई बार हमारे सुपर हीरोज की मदद भी करता है। वैसे केवल इंस्पेक्टर राणा को लेकर ही कोई कॉमिक लिखी जाए तो मुझे उसे पढ़ने में बहुत मजा आएगा।
कॉमिक्स में ट्विस्ट भी हैं लेकिन वो इतना आश्चर्यचकित नहीं करते हैं। वो सारे हथकंडे हमने इतने बार देख दिए हैं कि वह हैरान नहीं करते हैं। लेकिन चूँकि कॉमिक्स में ज्यादा जटिल कथानकों के लिए जगह नहीं होती है तो इतना चलता है। अंत के कुछ हिस्से अतिनाटकीय भी लगते हैं जिनसे बचा जा सकता था। हाँ, अखिर में एक प्रसंग है जिसमें इंद्र को सब मरा हुआ समझ लेते हैं। लेकिन जब वो अपने आप को बचाने की कहानी सुनाता है तो वह थोड़ी सी और रोमांचक बनाई जा सकती थी। जो दिखाया है उसे देखकर लगता है कि लेखक टीकाराम फँस गये थे और इस कारण उन्होंने आसान रास्ता चुन लिया।
इन एक आध चीजों के आलावा कॉमिक्स मुझे तो रोचक लगी और इसने मेरा मनोरंजन किया। कॉमिक्स का अंतिम हिस्सा भी भावुक कर देने वाला है और इंद्र दिल जीत लेता है।
क्या आपने इंद्र के और कॉमिक्स पढ़े हैं ? अगर हाँ, तो आपका पसंदीदा कौन सा था? हो सके तो टिप्पणियों के माध्यम से मुझे बताइयेगा जरूर। मैं इंद्र के दूसरे कॉमिक्स जरूर पढ़ना चाहूँगा।
क्या आपने इस किस कॉमिक को पढ़ा है? अगर हाँ तो आपको यह कैसी लगी? अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईएगा।
रेटिंग: 2.5/5
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© विकास नैनवाल ‘अंजान’