संस्करण विवरण:
फॉर्मेट – पेपरबैक
प्रकाशक – राजपाल प्रकाशन
पृष्ट संख्या – १३६
संपादक : विजय चौहान
विजय चौहान द्वारा सम्पादित किया हुआ कहानी संग्रह जिसमे पंजाब के मुख्य कहानीकारों की कृत्यों को संग्रहित किया गया है। इस संग्रह में निम्न कहानियाँ हैं :
१) ताश की आदत – नानक सिंह ३.५/५
पहला वाक्य :
“रहीम।”
सब-इंस्पेक्टर अब्दुल हमीद ने घर में दाखिल होते ही नौकर को आवाज़ दी-“बशीर को मेरे कमरे में भेजना ज़रा,” और झट से अपने प्राइवेट कमरे में जाकर उन्होंने कोट और पेटी उतारकर अलगनी पर टाँग दी और मेज के सामने जा बैठे।
अब्दुल हमीद शेख एक सब इंस्पेक्टर हैं। जब उन्हें मालूम हुआ कि उनका पाँच साल का लड़का ताश खेल रहा था तो उन्होंने उसे अपने पास बुलवाया। आगे क्या हुआ ? आगे क्या हुआ वो तो इस कहानी को पढ़िएगा तो जानियेगा।
अक्सर माँ बाप बच्चो को नसीहत तो देते हैं लेकिन खुद उन पर अमल नहीं करते हैं। ये बात बच्चों को किस तरह प्रभावित करती है इसी को बड़े ही खूबसूरत तरीके से दिखाया गया है इस कहानी में। एक अच्छी कहानी।
२) भाभी मैना – गुरबक्शसिंह २.५/५
पहला वाक्य :
शहर की गली के आमने-सामने दो घरों के बीच मुश्किल से तीन-साढ़े तीन गज़ का फासला होगा।
मैना एक २५ वर्षीय विधवा है और अपने घर में अपनी सास के साथ रहती है। उसका किसी के साथ मेल जोल नहीं है। बस पड़ोस के एक तेरह वर्षीय बच्चे को, जिसे वो काका कहती है, कभी वो आते जाते देख लेती है। उन दोनों के बीच न जाने कब एक सम्बन्ध सा स्थापित हो जाता है। फिर कुछ ऐसा होता है कि मैना जोगनी बनने का निर्णय ले लेती है। वो ऐसा क्यों करती है ? इस निर्णय का अंत क्या होता है ? ये कई सवाल हैं, जिनके उत्तर कहानी को पढ़कर ही मिलेंगे।
एक अच्छी कहानी है। विधवा औरतों के ऊपर कितनी बंदिश लगायी जाती है उसी को ये दर्शाती है। और अक्सर हमे लगता है कि बातचीत के माध्यम से ही प्रेम (स्नेह) जाग उठता है लेकिन ऐसा होता नहीं है। काका और मैना के बीच उत्पन्न हुआ पारस्परिक स्नेह इस बात का सुबूत है।
३) ला बोहिम – देविन्दर सत्यार्थी ३/५
पहला वाक्य :
रोज़ी गुलाब का फूल ही तो थी।
रोज़ी विदेश से नीलकंठ के साथ वक़्त बिताने आई है । लेकिन नीलकंठ अपने नाटक की रचना करने में व्यस्त है इसलिए वो ला बोहिमनामक रेस्टोरेंट में वक़्त बिताने आ जाती है । उधर उसकी मुलाकात नागपाल , मल्होत्रा और नैरेटर से होती है । चारों में दोस्ती हो जाती है और वो काफी वक़्त आपस में बिताने लगते हैं ।
कहानी खूबसूरत है ।
४) म्हाजा नहीं मरा – करतारसिंह दुग्गल ३.५/५
पहला वाक्य :
म्हाजा अपने घोड़ों से बात कर रहा है :
“चल पुत्तर ! तेरा साज फिट हो गया।”
म्हाजा एक ताँगेवाला वाला है । वो ताँगाचलाकर ही अपना जीवन यापन करता आया है । लेकिन अब वक़्त बदल चुका है । रिक्शे,बसे आने से सवारियों ने ताँगे का उपयोग करना बंद कर दिया है । इस तकनीकी विकास से उसपर और अन्य ताँगेवालों पर क्या असर हुआ है ये ही इस कहानी में दिखाया है । एक मर्मस्पर्शी कहानी ।
५) एक गीत का सृजन – अमृता प्रीतम ४.५/५
पहला वाक्य :
रवि ने अभी अभी एक नज़्म लिखनी शुरू की थी।
अमृता प्रीतम जी कि लिखी कहानी रवि की है । रवि नज़्म लिखता है लेकिन इन नज्मों को वो न प्रसिद्धि के लिए लिखता है और न ही किसी ईनाम के लिए ।
रवि को लगा जब मैं नज़्म लिखता हूँ तो निराशा के जाल में खूबसूरती नहीं पकड़ता, बल्कि हमेशा खूबसूरती के जाल में निराशा को पकड़ने की कोशिश करता हूँ ।
ऐसा क्या हुआ जो उसे इस तरह सोचने में मजबूर करता है ? और इस नज़्म के सृजन के दौरान कौन कौन से ख्याल उसके अंतर्मन में आते हैं उसको बहुत खूबसूरत शब्दों में अमृता जी ने बताया है ।
और अंत में कैसे इस नज़्म लिखने की प्रक्रिया का उस पर असर पड़ा ये भी दिखलाया है ।
रवि की नज़्म ने उसकी देह का सारा ज़हर चूस लिया था ।
कैसे एक रचना एक कलाकार की जीवन कि हताशा या गिला शिकवों की अपने अन्दर समेट लेती है उसी का चित्रण किया है ।अमृता जी की रचनायें मुझे हमेशा से ही पसंद रहो हैं और ये भी काफी पसंद आयी । एक ऐसे व्यक्ति की कहानी जो किन्ही कारणवश अपने प्रेम को विवाह में तब्दीलन कर सका था ।और अपनी निराशा और अवसाद से वो गीत लिखकर निजात पाता है ।
६) माताजी – बलवन्त गार्गी ३.५/५
पहला वाक्य :
भगवा धोती लपेटे, पैरों के भार बैठी माता जी हथेली पर गांजा मल रहीं थी।
माताजी एक बजरे में अपने हिप्पी शिष्यों के साथ रहती हैं । वो और उनके शिष्य गांजा का सेवन पूजा के लिए करते हैं । लेकिन वो काशी में कैसे आई इस विषय में काफी भ्रांतियाँ और कहानियाँ है । क्या सच क्या झूठ ये कोई नहीं जानताक्या उनके विषय में कुछ पता चल पायेगा??
कहानी का अंत बेहतरीन है । ये काशी में आये विदेशी सैलानियों के विषय में भी दर्शाती है जो अक्सर नशे के लिए उधर आते हैं और इसे अध्यात्म के चोले में छुपा लेते हैं ।
७) मंगो – संतोखसिंह धीर २/५
पहला वाक्य :
हुक्मे माँगट की गाय जब दूध देना बंद करने लगी तो वह एक गाय और ले आया जो आजकल में ब्याने वाली थी।
हुक्मे माँगट की गाय मंगो ने दूध देना बंद कर दिया और इसी लिए वो एक दूसरी गाय सोमा को ले आये। लेकिन ये बात मंगो को जची नहीं। वो घर की पाली हुई गाय थी और सोमा को पराया समझती थी। वो सोमा से बैर रखने लगती है। इनके बैर का परिणाम तो आपको कहानी को पढ़कर ही पता चलेगा।
एक गाय में अगर इंसानी भावना होती तो किस तरह से उन्हें व्यक्त करती यही इसमें दिखाया गया है। वैसे देखा जाए तो नए के साथ जलन की भावना अक्सर लोगो में भी आती है चाहे वो परिवार में नए बच्चे आने से बड़े बच्चे में हो या नई दुल्हन आने से पुरानी में। इस मामले में मंगो भी कोई जुदा नहीं है। वो अपने को परिवार का हिस्सा मानती है और सोमा के आने को अपनी बेज्जती। एक सुन्दर कहानी।
८) खूमनियाँ और बादाम – महिंदरसिंह सरना ३.५/५
पहला वाक्य:
पंजाबी का क्रांतिकारी कवि बिह्वल धमियालवी लम्बे लम्बे डग भरता ओरिजनल रोड पर जा रहा था उसके कदम बड़े लेकिन शिथिल थे।
विह्वल धमियाल्वी की आर्थिक हालात ठीक नहीं हैं वो एक कवि है । जब उसका उधार काफी बढ़ जाता है तो वो अपने प्रकाशक के पास अपनी रोयल्टी लेने जाता है । आगे तो आपको किताब को पढ़कर ही पता चलेगा।
ये कहानी साहित्य के तरफ आवाम के उदास हीन रवय्ये को दर्शाती है ।
९) माँ का दिल – अजीत कौर ५/५
पहला वाक्य:
बहुत सुबह जब प्रभात की रोशनी धरती के आँगन में मासूम बच्चे की तरह रेंगने लगती थी, माँ काम पर जाने के लिए घर से निकल पड़ती थी।
एक बेहद संवेदनशील कहानी जो घरेलु हिंसा को दर्शाती है।
१०)इंटरसेक्टिंग लाइन्ज़ – जसवंत सिंह विरदी ३.५/५
पहला वाक्य:
बड़े शहरों की छोटी छोटी घटनाओं की मैं कोई परवाह नहीं करता….
इस कहानी का नैरेटर एक पत्रिका निकलता है। उसकी पत्नी रमा एक शिक्षिका है जो आजकल अध्यापन के साथ साथ कविता भी लिखने लगी है । वो अपने पति की राय अपनी रचनाओं के विषय में जानने के लिए आतुर रहती है लेकिन अक्सर वो उन्हें कोई तवज्जो नहीं देता है। ऐसे ही हालात उसके दोस्त विजय के घर में भी हैं। जब उसे पता चलता है कि विजय और उसकी पत्नी अलग हो गये हैं तो उसे अपनी और उसकी ज़िन्दगी की रेखा कहीं मिलती हुई दिखाई देती है।
यह एक अच्छी कहानी है। आजकल जब नारी अपने पैरों पर शसक्त है तो वो अपना उत्पीडन नहीं सहती है। उसे पति परमेश्वर की नहीं अपितु एक दोस्त की तलाश है जो उसे बराबरी का दर्जा दे, उसका सम्मान करे और उसे एक साझेदार के रूप में देखे। जब ये सब नहीं मिलता तो फिर शादी के बंधन में रहकर भी कोई फायदा नहीं है। लेकिन अक्सर इस बात का पता नहीं चल पाता है जैसे इस कहानी में भी नैरेटर (कहानी सुनाने वाले) विजय की पत्नी के साहित्य रचना को उनके अलग होने का कारण मानते हैं। और चूंकि अब उनकी धर्म पत्नी भी साहित्य सृजन करने लगती है तो उनके मन में ये ख्याल आता है कि अब वो भी उनसे अलग हो जायेगी।
११) वफ़ादारी – जसवंत सिंह कँवल २.५/५
पहला वाक्य:
उन दिनों पार्टी सही अर्थों में जवान थी : पार्टी का हर पक्ष अपनी जगह गरम था।
पंजाब की कम्युनिस्ट पार्टी का एक कार्यकर्ता पार्टी की शुरूआती गतिविधियों कि कहानी सुना रहा है। काहनी है कोमरेड मौजी की जिसके साथ काम करने से सभी कतराते थे क्योंकि वो किसी से नहीं डरता था। एक रोचक कहानी है। पढ़कर मज़ा आया।
१२) उसकी ओट – गुलज़ार सिंह संधू ३/५
पहला वाक्य :
कालका के ट्रक पर मिट्टी’के तेल के कनस्तर लादते-लादते बग्गासिंह की काफी देर हो गई।
बग्गा सिंह एक ट्रक ड्राईवर है। वो एक बेहतरीन ट्रक ड्राईवर है जो समय का पाबंद है और ड्राईवरी के लिए मशहूर है।
जिस व्यापारी का सामान बग्गासिंह के ट्रक में आता था, वह सदा सुख की नींद सोता था।
बग्गा सिंह को खुदा पे भरोसा था और इसीलिए उसने तेरी ओट अपने ट्रक पर लिखवा रखा था। ये कहानी भी बग्गा सिंह के एक सफ़र की है।
१३)दिल की जगह ताला – नवतेजसिंह ३/५
पहला वाक्य :
सुखजिन्दर अकेली लेटी दर्द से कराह रही थी।
सुखजिन्दर के पति वकील है। लेकिन वो एक शक्की मिजाज़ के आदमी है। यही शक है जिसके कारण जब वो कचहरी में जाते हैं तो सुखजिन्दर को तालाबंद करके जाते हैं। जब एक दिन सुखजिन्दर के दांत में दर्द उठता है तो वो उस डॉक्टर के पास ले जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। आगे क्या हुआ ? ये तो कहानी को पढ़कर ही मालूम होगा आपको।
१४) रेशम और टाट – गुरबचन सिंह भुल्लर ३.५/५
पहला वाक्य :
संगू ने हज़ार हीले किये कि आज भी उसका मन कह दे, ‘चल क्या है, सत्तनाम कह कर खा ले’, लेकिन उसके मन ने हामी नहीं भरी।
संगू मोदनसिंह के यहाँ खेती का काम करता है। वह सीर है जो की किसी के खेत में काम करने के लिए अनुबंध करता है। लेकिन संगू को अब ये अनुबंध जच नहीं रहा है। उसके खाने से लेकर जरूरत के वक्त पर उससे ज्यादतियाँ की जा रही है। अब उसने सोच लिया है कि वो इसके खिलाफ आवाज़ उठाएगा। आगे क्या होता है ये कहानी पढ़कर पता चलेगा।
ये कहानी एक गाँव की कहानी है। मोदनसिंह अपने खेत के सीरियों पर पहले से जुल्म करते आ रहे हैं और इसमें उन्हें कुछ बुरा भी नहीं लगता। आजतक किसी सीरी ने चूं भी नहीं कि इसलिए जब संगू सबके सामने अपनी बात रखता है तो उन्हें लगता है उनके ऊपर ज्यादती की जा रही है। यह एक ऐसी सोच को दर्शाता है जिसमे जुल्म करने वाले के खिलाफ जब कोई आवाज़ उठता है तो उसे लगता है कि कोई उसका पैदाइशी हक़ छीन रहा है। एक अच्छी कहानी है।
१५) हार – कुलवंत सिंह विर्क ३/५
पहला वाक्य :
“पैसे बचाओ !”
मनोहरलाल पैसा बचाने में विश्वास रखते हैं। उनका मानना है कि इससे देश की तरक्की होगी। यही पाठ उन्होंने अपनी धर्मपत्नी को भी पढ़ाया है और वो भी जी जान से इस देश सेवा में जुटी रहती हैं। लेकिन फिर कुछ ऐसा होता है जिससे उन्हें एक जीत की ख़ुशी नहीं एक मकसद में हार का गम मिलता है। वो क्या बात थी ?
पढ़िएगा ज़रूर।
१५)माँ – बेटी – मोहन भँडारी २/५
पहला वाक्य :
गुनगुनी सी उनकी बेटी थी -जाड़ों में धूप जैसी।
माँ और बेटी इस भरी दुनिया में अकेली है। वो घर से निकलती हैं तो सहमे सहमे से। माँ बेटी को अकेले कहीं जाने नहीं देती है और बेटी है कि अकेले ही पूरे संसार में विचरण करना चाहती है। फिर उनकी ज़िन्दगी में एक लड़का आता है। बेटी उसकी तरफ आकर्षित होती है। माँ उसे डांटती है। आगे क्या होता है ? ये तो आप इस कहानी को पढ़कर ही जान पायेगे।
एक अच्छी कहानी। अंत इसका थोडा हटके था। बच्चे अक्सर ये भूल जाते हैं कि माँ बाप की भी कई इच्छाएं है जिनका त्याग वो बच्चो के लिए करते हैं। वे केवल अपनी इच्छाओं के विषय में सोचते हैं लेकिन क्या हो अगर माँ बाप भी ऐसा करें।
१६)कुत्ता और आदमी – गुरदियाल सिंह ५/५
पहला वाक्य :
“आज मंगलवार है ,” ढीली गान्थोंवाला आटा तोड़ते हुए अचानक ईसरे को याद आया – “मंगलवार के दिन चंदी कुत्ते को रोटी डालती थी और उसने एक रोटी के लिए आटा तोड़ लिया। “
ईसरे की बीवी चंदी अब नहीं है , बस है तो एक कुत्ता डब्बू। कभी ऐसा वक़्त था जब ईसरे डब्बू से जलता था क्योंकि उसे ऐसा लगता था कि उसकी बीवी उससे ज्यादा डब्बू को चाहती है। लेकिन चंदी के जाने से जो हाल ईसरे के हुए हैं वही डब्बू के भी हैं। दोनों को चंदी के जाने का दुःख है।
एक खूबसूरत कहानी है। एक बाप को कैसे अपनी पत्नी के चले जाने के बाद अपने बच्चे का ख्याल रखने में परेशानी होती है यह बहुत खून्सूरती से दिखाया है। और दूसरी चीज़ औरतों की खरीदो फरोख्त का चलन जो है उसके विषय को भी ये कहानी हल्का सा छूती है। कई सवाल ये अधूरे छोडती है कि चंदी को आखिर हुआ क्या और इन दोनो का क्या हुआ जिनके सोहार्द्य के तार चंदी से जुड़े थे। लेकिन फिर भी कहानी मुझे बहुत अच्छी लगी।
१७)सोया नाग – रामस्वरूप अनखी ३/५
पहला वाक्य :
मुकलावे (गौना) आई जीतो को मुश्किल से बीस दिन हुए थे।
मुकन्दा की शादी जीतो से हुई थी लेकिन वो उससे वो प्यार नहीं पा सका था तो पति के नाते उससे मिलना था। फिर एक दिन जीतो उससे मायके जाने के लिय कहती है और मुकन्दा ये सोच कर कि ,चलो इसने कुछ तो कहा ,तैयार हो जाता है। जीतो मायके क्यों जाना चाहती थी ? वो मुकंदे से क्यों कटी कटी रहती थी ? इनकी गृहस्थी का अंत कैसा होगा ?
एक अच्छी कहानी है लेकिन इसका अंत एक फिल्म की तरह लगता है। एक छोटी किन्तु अच्छी कहानी। यह एक अपराध कथा भी बन सकती है।
यह एक अच्छा संग्रह’ है जिसमे गाँव और शहर के जीवन से जुडी हुई कहानियाँ हैं। मुझे ज्यादातर कहानियाँ पसंद आयीं। हाँ एक बात साफ़ करना बनता है कि इसमें सारी कहानियाँ पंजाब के जीवन को नहीं दर्शाती है। ये वो कहानियाँ है जो पंजाबी में लिखी गयी थी और इसी लिए कई कहानियों की पृष्ठभूमि पंजाब नहीं हैं। इनके दिल्ली,काशी आदि जगह में भी घटित होते हैं और वहां के जीवन को भी दर्शाते हैं।
अगर आप भी इस संग्रह को पढ़ना चाहते हैं तो आप इसे निम्न लिंक्स पे जाकर मंगवा सकते है :
Infibeam(इनफीबीम)
अमेज़न
ये संग्रह आपको कैसा लगा ये बताना नहीं भूलियेगा।