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सुरेन्द्र मोहन पाठक |
मुकेश माथुर लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक द्वारा रचित किरदार है। वह पेशे से एक वकील है। वह एक गरीब परिवार से आता था और कभी वकील के तौर पर आनंद आनंद आनंद और एसोशिएट मे कार्य करता था। चूँकि उसके पिता फर्म के मालिक नकुर बिहारी आनंद के जानकार थे इसलिए उन्होंने उसे अपने साथ जोड़ दिया था लेकिन कभी अच्छा वकील नहीं समझा था।
मुकेश माथुर शृंखला के उपन्यास मुकेशब के साथ घटित होने वाले घटनाक्रमों पर ही आधारित होते हैं। शुरुआती दो उपन्यासों में वह न चाहते हुए भी ऐसे हालात में फँस जाता है जहाँ अपराधी का पता लगाना उसके लिए जरूरी हो जाता है। वहीं इस शृंखला के बाद के उपन्यासों में वह एक क्रिमिनल लॉयर की तरह अपने मुवक्किलों के मुकद्दमे लड़ते नजर आता है।
मुकेश माथुर एक आदर्शवादी युवक है जो कि सत्य के लिए अपना नुकसान भी करवा सकता है । यही कारण है कि उसकी वकालत उतनी नहीं चलती है जितनी की चलनी चाहिए। लेकिन चूँकि अचानक से वह एक अमीर व्यक्ति का वारिस बन गया था तो अब उसे पैसों की किल्लत नहीं है और इसलिए वह अपने उसूलों के लिए लड़ सकता है।
मुकेश माथुर शृंखला के अंतर्गत निम्न उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं:
- सात साल बाद | दिसंबर 1994
- वारिस | अगस्त 2002 | अमेज़न
- वहशी | फरवरी 2007 | अमेज़न
- क्रिस्टल लॉज | अगस्त 2015 | अमेज़न