सुनील प्रभाकर एक अपराध साहित्यकार थे। गौरी पॉकेट बुक्स से उनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई थीं।
उनकी कुछ रचनाएँ:
- हत्या एक पहेली
- हत्या होगी सरेआम
- कौन करे कुर्बानी
- लाश की गवाही
- कब सूरज निकलेगा
- घूँघट में छिपा कातिल
- गुण्डों का मंदिर
- कफम कम पड़ जायेंगे
- रावण की अयोध्या
- नसीब का विधाता
- महँगी पड़ेगी दुश्मनी
- विधवा की सुहागरात
- मेरी बीवी मेरी कातिल
- खून बनेगा तेज़ाब
- नसीब मेरी ठोकर पर
- मासूम गुनाह
- हत्यारी औरत
- यह कैसा इंसाफ
- इंतकाम की आग
- मौत हर कहीं है
- बिन ब्याही विधवा
- मौत का ताण्डव
- आगे पीछे मौत
- कौन लड़ेगा वर्दी से
- जमीन का खुदा
- मर्डर इज़ माई हॉबी
- मुर्दे भी बोलते हैं
- कानून से बचना मुश्किल है
- चौथा खम्भा
- महाबली
- रातों का बादशाह
- बूँद-बूँद में माँ का नाम
- महानायक
- कब्र मेरी माँ