के के बिड़ला फाउंदेशन द्वारा दिये जाने वाले व्यास सम्मान की घोषणा की जा चुकी है। 31वाँ व्यास सम्मान लेखक असगर वजाहत को 2019 में प्रकाशित उनके नाटक महाबली के लिए दिये जाने की घोषणा 8 दिसम्बर को की गयी है।
फाउंडेशन द्वारा एक विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रोफेसर रामजी तिवारी की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति द्वारा 2019 में प्रकाशित असगर वजाहत के नाटक महाबली, जो बादशाह अखबार और महाकवि तुलसीदास को केंद्र में रखकर लिखा गया है, के लिए यह पुरस्कार देने का फैसला किया। यह नाटक अकबर और तुलसीदास के जीवन के उस वक्फ़े को दर्शाता है जब वह आमने सामने आ गए थे। जब अकबर ने तुलसी दास को अपने दरबार की शोभा बढ़ाने का न्यौता दिया था तो तुलसीदास ने वह न्यौता अस्वीकार कर दिया था। राजसत्ता और कलाकार की स्वाधीनता का यह द्वंद्व ही इस नाटक का विषय है।
ज्ञात हो 1991 में शुरू हुआ व्यास सम्मान के के बिड़ला फाउंडेशन द्वारा प्रति वर्ष दिया जाने वाला सम्मान है। यह सम्मान, सम्मान वर्ष के ठीक पहले 10 वर्ष की अवधि में प्रकाशित किसी भी भारतीय नागरिक की हिन्दी की एक उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को भेंट किया जाता है। 1991 में शुरू हुए इस सम्मान में अंतर्गत 4 लाख रूपये की पुरस्कार राशी के साथ प्रशस्ति पत्र व प्रतीक चिन्ह भेंट किया जाता है।
बताते चले 5 जुलाई 1946 में उत्तर प्रदेश के फेटहपुर में असगर वजाहत का जन्म हुआ था। उन्होंने हिंदी में एम ए और पीएचडी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से की थी। इसके बाद उन्होंने पोस्ट डॉक्टरोल रिसर्च दिल्ली के जवाहलाल नेहरू विश्वविद्यालय से की थी। वह कई वर्षों तक जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर रहे थे।
कई दशकों तक फैले अपने लेखकीय जीवन में उन्होंने नाटक, निबंध, कहानियाँ, उपन्यास और यात्रा वृत्तान्त लिखे हैं। अँधेरे से, दिल्ली पहुँचना है, फिरंगी लौट आये, बाक़र गंज के सैयद, सबसे सस्ता गोश्त, सफ़ाई गन्दा काम है, जिस लाहौर नईं देख्या ओ जम्या ई नईं, गोडसे /गांधी.कॉम, भीड़तंत्र, पहर-दोपहर,चलते तो अच्छा था, पाकिस्तान का मतलब क्या, रास्ते की तलाश में, अतीत का दरवाज़ा और स्वर्ग में पाँच दिन इनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।
अपने लेखन के लिए उन्हे कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। 2009-10 में हिंदी अकादेमी ने उन्हें श्रेष्ठ नाटककार के सम्मान से नवाका था। उन्हें 2014 में नाट्य लेखन के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2016 में शलाका सम्मान भी मिल चुका है।