कॉमिक बुक 13 अगस्त 2020 को पढ़ी गयी
संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 46 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | कहानी: कमलेश्वर, कॉमिक रूपान्तर: हनीफ अजहर, चित्र : कदम स्टूडियो | शृंखला: विराट 2
विराट 2 |
कहानी:
विराट के सुंदरगढ़ पहुँचते ही महाराज विक्रमसिंह ने उसे नगर प्रमुख बना दिया था। विराट के ऊपर अब नगर में अमन और चैन कायम करने की जिम्मेदारी थी।
लेकिन नगर के ही कई प्रभावशाली लोग ऐसे थे जो कि विराट की इस बढ़ती लोकप्रियता से जल रहे थे। वह चाहते थे कि विराट को जिस काम की जिम्मेदारी महाराज ने दी है वह काम पूरा न हो और वह महाराज की नजरों से गिर जाए।
अपनी इस योजना की सफलता के लिए उन्होंने पूरी तैयारी कर ली थी।
आखिर इन लोगों के विराट के खिलाफ क्या योजना बनाई थी?
क्या विराट इन लोगों के षड्यंत्र से खुद को निकाल पाया?
विराट को इस षड्यंत्र से निकालने के लिए क्या क्या करना पड़ा?
मुख्य किरदार:
विराट – सुंदरगढ़ के दक्षिण प्रांत के वफादार सरपंच वीरबाहू का छोटा पुत्र
महाराज विक्रम सिंह – सुंदरगढ़ के राजा
कालभैरव – सुंदरगढ़ का सेनापति
दुर्जन सिंह – सुंदरगढ़ का उपसेनापति
नागेश्वर – महामंत्री
नटवर – विराट का दोस्त
चतुरा – कालभैरव की विश्वासपात्र दासी
मेरे विचार:
विराट दो जैसे नाम से ही जाहिर है विराट श्रृंखला का दूसरा कॉमिक है। इस कॉमिक की कहानी विराट की कहानी से ही आगे बढ़ती है। जहाँ विराट कॉमिक का अंत विराट के सुंदरगढ़ पहुँचने पर होता है वहीं विराट दो की कहानी की शुरुआत विराट के सुंदरगढ़ पहुँच कर नगर प्रमुख बनने से होती है।
विराट कॉमिक में भी विराट के खिलाफ एक साजिश रची गयी थी जिससे जूझकर जब विराट निकलता है तो उस कॉमिक का अंत हुआ था। यह कॉमिक भी कुछ ऐसा ही है। इस कॉमिक की शुरुआत ही विराट के खिलाफ एक साजिश से होती है। इसके बाद विराट कैसे इस साजिश से पर्दा उठाता है और खुद के खिलाफ हो रहे षड्यंत्र का पर्दा फाश कर खुद को निर्दोष साबित करता है यही कॉमिक का मूल कथानक बनता है।
अंग्रेजी की एक कहावत है कि uneasy lies the head that wears the crown यानी जिस व्यक्ति को कोई बड़ा पद मिलता है उसके ऊपर जिम्मेदारियाँ भी आ जाती हैं। विराट को इस कॉमिक में इसी बात का अहसास होता है। वह यहाँ अपनों से दूर है और इस कारण एक तरह का अकेलापन भी उसे सालता है। इसी कारण जब उसका मित्र नटवर उससे मिलने आता है तो विराट कहता है:
राजमहल में रहने वाले रहते तो बड़ी आन-बान शान से हैं नटवर पर सोते हैं तो नींद नहीं आती। नींद आती है तो सपने नहीं आते, सपने आते हैं तो सो नहीं पाते। तुम्हारा विराट भी अब चैन से सो नहीं पाता नटवर….
विराट की यह मनःस्थिति हर उस व्यक्ति के मन की स्थिति होती है जो कि या तो बहुत अमीर या बहुत ताकतवर या बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध होता है। षड्यंत्र केवल राजघरानों में ही नहीं रचे जाते थे। ये ऐसे लोगों के आस पास भी बुने जाते हैं। हाल ही में फ़िल्मी दुनिया, जहाँ जाने के लिए लोग एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं, के स्याह चेहरे से हम सभी वाकिफ हुए हैं। यह चकाचौंध और ताकत की दुनिया लोगों को सब कुछ देती तो जरूर हैं लेकिन बदले में काफी कुछ ले लेती हैं। कौन आपका है और कौन आपका करीबी होने का स्वांग रचकर अपना उल्लू सीधा कर रहा है यह जाँचना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति तनाव में रहने लगता है। इस कॉमिक में भी यही दिखता है। विराट खुद इस तनाव में दिखाई देता है। ऐसी स्थिति में नटवर जैसे सच्चे मित्र की ही सबसे ज्यादा जरूरत होती है। विराट को तो ऐसा मित्र मिल गया था लेकिन कई लोगों को नहीं मिल पाता है।
इसी कॉमिक में विराट के चरित्र का एक और पहलू हमे दिखता है। विराट खून खराबा पसंद नहीं करता है। वह दयालु है और वह प्रेम और सद्भावना में विश्वास रखता है ये तो हम सभी जानते हैं लेकिन इस कॉमिक में हमे यह भी दिखता है कि वह जैसे को तैसा की लोकोक्ति पर भी विश्वास करता है और उसके अनुरूप कार्य करने से नहीं झिझकता है। उसका यह रूप कहानी को और रोमांचक बना देता है। वह षड्यंत्र का जवाब षड्यंत्र से देना जानता है। उम्मीद है उसका ऐसा रूप श्रृंखला के आगे के कॉमिक्स में भी मिलेगा।
कॉमिक का कथानक एक्शन से भरपूर है और आगे क्या होगा ये पढ़ने के लिए आप उत्सुक रहते हैं। कहानी में ट्विस्ट भी आते हैं जो कि रोमांच बरकरार रखते हैं। कहानी का अंत जहाँ पर होता है वहाँ पर आपके मन में बस यही ख्याल रहता है कि विराट ने ये चुनौती तो पार कर ली लेकिन आगे की चुनौतियों को किस प्रकार पार करेगा? यह चुनौतियाँ और कठिन होने वाली हैं।
कॉमिक की कमियों की बात करूँ तो कॉमिक की कहानी में इक्का दुक्का बातें थी जो श्रृंखला के पहले कॉमिक में तो थी लेकिन इस कॉमिक में उनका जिक्र नहीं किया गया है। यह मुझे अटपटा लगा।
पिछली कॉमिक में राजगुरु और उनकी बेटी का जिक्र था जो कि सुंदरगढ़ से अचानक गायब हो गयी थीं। हमे यह भी बताया गया था कि सेनापति कालभैरव इनकी तलाश कर रहा है और राजगुरु अपनी बेटी के साथ सेनापति के चंगुल से बचकर विराट के गाँव जाना चाहते हैं। इन दोनों किरदारों का इस कॉमिक में कोई जिक्र नहीं है। पढ़ते हुये आप सोचने लगते हो कि इन दो किरदारों का आखिर क्या हुआ होगा?
पिछली कॉमिक के अंत में ही महाराज को यह पता चलता है कि विराट को पहले मुद्रिका देकर राज्य में बुलाया गया और फिर मुद्रिका होते हुए भी उपसेनापति ने उन पर हमला किया। यह हमला क्यों किया? इस पर कुछ रोशनी नहीं डाली गयी। न ही महाराज इस बातपर किसी की सफाई माँगते दिखते हैं।
इन दो चीजों को भी कॉमिक में जगह दी होती तो यह बेहतर रहता।
इसके आलावा यह बात हम जानते हैं कि यह कॉमिक महायोद्धा विराट नाम के टी वी श्रृंखला पर आधारित है ।विराट धारावाहिक के एपिसोड जब मैं देख रहा था तो उसमें ऐसा काफी कुछ है जो कॉमिक में मौजूद नहीं है। इस कारण एक कमी सी खलती है लेकिन फिर यह भी सोचने वाली बात है कि यह एक अलग माध्यम है और इसकी कुछ सीमाएं हैं। उम्मीद है कुछ बातों पर आने वाले कॉमिकों में रौशनी डाली जाएगी। हाँ, अगर आप कॉमिक की तरह इसे पढेंगे तो इसे एन्जॉय करेंगे लेकिन अगर सीरीज से इसकी तुलना करेंगे तो कम सामग्री होने के कारण थोड़ा निराश हो सकते हैं।
कॉमिक मुझे तो पसंद आई। अगले भाग को पढ़ने की इच्छा है जिसे जल्द ही पढूँगा। इस कॉमिक के अंत में मुकेश खन्ना, जिन्होंने विराट की भूमिका निभाई थी, का लिखा हुआ पत्र भी छपा है। यह पत्र भी मुझे काफी पसंद आया।
रेटिंग: 4/5
क्या आपने इस कॉमिक को पढ़ा है? अगर हाँ तो कॉमिक के प्रति अपनी राय से मुझे अवगत जरूर करवाईयेगा। आपकी राय की प्रतीक्षा रहेगी।
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© विकास नैनवाल ‘अंजान’