रेटिंग : 3/5
किताब दिसम्बर 31 2017 को पढ़ी गई
संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 50
प्रकाशक : सूरज पॉकेट बुक्स
आईएसबीएन :
पहला वाक्य:
शाम का वक्त था।
अम्बाबाद इन दिनों दहशत के दौर से गुजर रहा था। इस दहशत को उधर के निवासियों ने रोड किलर नाम दिया था। ये वो अज्ञात हत्यारा था जो उन लोगों की हत्या कर देता था जो यातायात नियमों का उलंघन करते थे।
आखिर कौन था ये रोड किलर? और क्यों साधारण से अपराध की इतनी बड़ी सज़ा वो लोगों को दे रहा था? जब पुलिस भी इस गुत्थी तो सुलझाने में नाकामयाब हो गई तो सीक्रेट एजेंट राजन इकबाल शोभा और सलमा को ये केस दिया गया।
अब उन्ही से कुछ उम्मीदें थी।
क्या अम्बाबाद इस डर की गिरफ्त से मुक्त हो पायेगा? क्या राजन इकबाल केस की गुत्थी हल कर पायेंगे ?
क्या वो डर के इस दौर का पटाक्षेप करने में सफल हो पायेंगे?
सवाल तो कई है और जवाब केवल इस लघु उपन्यास को पढने से ही प्राप्त होंगे। आपको पता है आपको क्या करना है।
रोड किलर राजन इकबाल रिबॉर्न श्रृंखला का चौथा उपन्यास है। उपन्यास एक थ्रिलर है जिसमें हमारे सीक्रेट एजेंट्स की टोली एक सीरियल किलर की गुत्थी सुलझाते हैं। ५० पृष्ठों में फैला कथानक तेजी से भागता है और पाठक को अंत तक पढ़ने को मजबूर करता है। उपन्यास रोचक एवं पठनीय है। इकबाल हमेशा की तरह मनोरंजन करता है। भाषा राजन इकबाल के उपन्यासों की तरह सरल है और संवाद साधारण हैं। मुझे व्यकितगत तौर पर इससे परेशानी नहीं होती क्योंकि मैंने राजन इक़बाल के पुराने एक आध उपन्यास पढ़े हैं और इस श्रृंखला से मेरी अपेक्षा ऐसी ही होती है। लेकिन इस एक पक्ष पर भी काम हो सकता है क्योंकि व्यस्क पाठक जो गहरे कथानक और संवाद पढने के आदि हैं उन्हें ये कुछ ज्यादा सरल लग सकता है। उपन्यास से एक बाल उपन्यास का फील आता है जो कि गलत बात नहीं है अगर इसे बाल उपन्यास की तरह परोसा जाये। लेकिन वयस्कों में, विशेषकर उनमें जिन्होंने राजन इकबाल को पहले नहीं पढ़ा है, पैठ बनानी है तो इस पर काम किया जाना चाहिए।
हाँ, उपन्यास की एक कमी जो मुझे लगी वो खलनायक और नायको का टकराव था। ये टकराव का सिलसिला थोड़ा और मनोरंजक हो सकता था। इतनी भाग दौड़ के बाद ऐसा लगा मानो सब कुछ काफी जल्दी निपट गया।
इस एक चीज के इलावा उपन्यास मुझे तो पसंद आया और अगर आपको राजन-इकबाल पसंद आते हैं और तो ये उपन्यास भी निराश नहीं करेगा। वर्ष 2017 में सबसे आखिरी उपन्यास मैंने यही पढ़ा और मुझे अच्छा लगा कि इसे पढ़ा। उपन्यास की ख़ास बात ये भी है कि अंत में आपको एक बात बताई जाती है जो पाठक के रूप में मन में इस श्रृंखला के आने वाले उपन्यासों के प्रति एक उत्सुकता पैदा करती है। वो बात क्या है इसे तो उपन्यास पढ़कर ही आप जाने। अभी इस श्रृंखला के तीन उपन्यास मुझे पढ़ने बाकी हैं तो देखना है कि इसके तार उनसे जुड़े है या नहीं। हाँ, उपन्यास पढ़ने के बाद रोड पार करते समय जब बत्ती दिखेगी तो रोड किलर का ख्याल जरूर मन में एक बार कौंधेगा।
अगर आपने उपन्यास पढ़ा है तो इसके विषय में अपनी राय जरूर दीजियेगा। अगर आपने उपन्यास नहीं पढ़ा है तो इसे निम्न लिंक से मंगवा सकते हैं:
मैंने राजन-इकबाल श्रृंखला के और भी उपन्यास पढ़े हैं। उनके विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर क्लिक करके जान सकते हैं:
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मै भी पढना चाहता हूँ।
इस उपन्यास को कंहा से प्राप्त किया जा सकता है।
राज भाई…पोस्ट में ही अमेज़न का लिंक दिया है..आप उसपर क्लिक करके बुक मंगवा सकते हैं…
राजन इकबाल के उपन्यास बचपन मॆं खूब पढे थे।
अब शुभानंद जी ने इस श्रृंखला को पुन: आरम्भ किया है।
इनके भी उपन्यास पढे हैं, अच्छा लिखा है।
आपकी अच्छी समीक्षा के लिए धन्यवाद।
राजन इकबाल के उपन्यास बचपन मॆं खूब पढे थे।
अब शुभानंद जी ने इस श्रृंखला को पुन: आरम्भ किया है।
इनके भी उपन्यास पढे हैं, अच्छा लिखा है।
आपकी अच्छी समीक्षा के लिए धन्यवाद।
शुक्रिया। शुभानंद जी के उपन्यास मुझे भी पसंद आ रहे हैं। मैंने बचपन में तो नहीं पढ़े थे लेकिन अब इन्हे एन्जॉय करता हूँ।