क़त्ल की साजिश – एस सी बेदी

रेटिंग : 3/5
किताब मार्च 24,2018 में  पढ़ी गई

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 48
प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स
श्रृंखला : राजन-इकबाल

पहला वाक्य:
इकबाल अन्दर प्रविष्ट हुआ।

रमा कोहली शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी महेश कोहली की पत्नी थी। जब वो राजन इकबाल से मिलने आई तो किसी ने उनके घर के सामने उस पर गोली चला दी। खुशकिस्मती से रमा बच गई। राजन इकबाल से मिलने पर उसने उन्हें बताया कि उसे एक गुमनाम चिट्ठी मिली है जिसमे किसी ने उसके पति को मारने की धमकी दी है।

रमा को लगता था कि ये धमकी खोखली नहीं है। इसका कारण ये था कि ऐसी धमकी उसे पहली बार नहीं मिल रही थी। पहले भी ऐसी धमकी मिली थी और धमकी देने वालों ने उसके एक करीबी की जान ले ली थी।

इतना सब सुनने के बाद भी राजन ने उसकी मदद करने से मना कर दिया।

आखिर क्यों  राजन ने रमा की मदद करने से इंकार कर दिया था ? 


रमा को धमकी भरे खत देने वाला कौन था? 


क्या महेश का भी क़त्ल कर दिया गया?

वही दूसरी ओर राजन का  दोस्त अशोक क़ानून के शिकंजे में फँस गया था। रमा के मुताबिक अशोक ने सेठ हरपाल का कत्ल किया था। अशोक के अनुसार उसे फँसाया जा रहा था। कौन सही था?

राजन ने अशोक की मदद करने की ठान ली थी। और इस गुत्थी को सुलझाने का फैसला कर लिया था।

क्या राजन अशोक को बेगुनाह साबित कर पाया? आखिर किसने की थी सेठ हरपाल की हत्या?  रमा को क्यों लगता था कि अशोक कातिल है? और सेठ को मारा गया था?


सवाल कई हैं लेकिन  जवाब आपको इस लघु उपन्यास को पढ़ने के बाद ही मिलेंगे।

मुख्य किरदार:
राजन : बाल सीक्रेट एजेन्ट
इकबाल – राजन का साथी और बाल सीक्रेट एजेन्ट
शोभा – राजन-इकबाल की साथी और एक सीक्रेट एजेन्ट
महेश कोहली – शहर का एक जाना माना व्यापारी
रमा कोहली – शहर के एक जाने माने व्यापारी महेश कोहली की पत्नी
बंटी – महेश और रमा का बेटा जिसकी हत्या की गई थी
सेठ हरपाल – शहर का एक व्यापारी
अशोक – राजन इकबाल का दोस्त
राधा – महेश और रमा की नौकरानी
गीता – एक मजबूर लड़की जिसकी मदद करने के लिए महेश ने उसे नौकरी पे रखा था
सेठ श्याम लाल – शहर का एक धनाढय व्यक्ति
सरन कुमार – सेठ श्याम लाल का मैनेजर
आशा – अशोक की पत्नी
प्रताप सिंह – पुलिस इंस्पेक्टर

राजन इकबाल श्रृंखला का ये लघु-उपन्यास मुझे काफी पसंद आया।  उपन्यास की शुरुआत से ही पाठक कहानी से बंध सा जाता है। राजन जब एक मजलूम औरत की मदद करने से इंकार कर देता है तो पाठक पढ़ने पर मजबूर हो जाता है कि वो अपने किरदार से जुदा हरकत क्यों कर रहा है। फिर जैसे जैसे घटनाक्रम आगे बढ़ता है वैसे वैसे सारी बातें पता चलती रहती हैं। उपन्यास में कई मोड़ आते हैं। उपन्यास की खास बात ये है कि अंत तक आपको पता नहीं चलता कि साजिश रचने वाला कौन है? भले ही ये बाल उपन्यास है लेकिन व्यस्क भी इसे पढ़ेंगे तो इसका लुत्फ़ उठा सकते हैं।

उपन्यास के किरदार कथानक के अनुरूप हैं और इसमें फिट बैठते हैं। चूँकि कथानक ज्यादा बड़ा नहीं है तो पाठक को उनके विषय में उतना ही पता चलता है जितना कि जरूरी होता है। लेकिन ये सही भी है क्योंकि इससे कथानक की कसावट बरकरार रहती है। उपन्यास में इकबाल का मजाकिया अंदाज तो है ही इसके इलावा उसकी झख भी मनोरंजन देती हैं। राजन इक़बाल के उपन्यास में झख ने हो कुछ कमी सी लगती है। शुक्र है इधर ऐसा नहीं है।

उपन्यास में एक रोचक बात मुझे ये लगी कि मुझे  इसमें पहली बार राजन और इकबाल का टकराव देखने को मिला। उपन्यास में पता लगता है कि राजन इकबाल में राजन क्यों लीडर के रूप में है। वो भावनाओं को फर्ज के रास्ते में नहीं आने देता जबकि इकबाल ज्यादा भावुक इंसान है। इसलिए दोनों की जोड़ी भी सही निभती है क्योंकि दोनों एक दूसरे की कमियाँ पूरी करते हैं। मुझे लगता है कि अगर राजन-इकबाल में से कोई भी उपन्यास से गायब हो तो थोड़ा बहुत मजा तो कम ही हो जायेगा।

उपन्यास मुझे पसंद आया और इसने मेरा भरपूर मनोरंजन किया। आदमी कभी कभार प्यार के नाम पर क्या नहीं कर जाता ये उपन्यास में देखने को मिलता है। प्यार में पड़कर अगर आप किसी बेगुनाह या मासूम का नुक्सान कर रहे हो तो सोचने की जरूरत है कि वो प्यार है या नहीं। मुझे नहीं लगता उसका प्यार से कुछ लेना देना है। अगर कोई आपसे ऐसा करने को कहता है तो यकीनन वो आपसे प्यार नहीं करता। ये बात आपको समझ जानी चाहिए। एक किरदार को बहुत देर में इसका एहसास होता है। उपन्यास से पाठकों यही सीख मिलती है कि प्यार में सृजन होता है न कि विनाश।

अगर आपने इस उपन्यास को पढ़ा है तो आपको ये कैसा लगा ये बताना नहीं भूलियेगा।मैंने ये लघु उपन्यास राज कॉमिक्स की साईट से लिया था। अगर आप लेना चाहते हैं तो निम्न लिंक से जाकर ले सकते हैं:
राज कॉमिक्स

राजन इकबाल श्रृंखला के मैंने और भी उपन्यास पढ़े हैं। उनके विषय में जानकारी आप निम्न लिंक पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं:
राजन-इकबाल

एस सी बेदी जी की दूसरी पुस्तकों के विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं:
एस सी बेदी


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

2 Comments on “क़त्ल की साजिश – एस सी बेदी”

  1. राजन इकबाल की जोड़ी अक्सर मुझे इब्ने सफी द्वारा रचित जासूसी दुनिया के किरदार फरीदी हमीद जैसी लगती रही है

    1. जी शायद उन्हीं पर आधारित थे। बस फर्क ये था कि इसके कथानक किशोरों को ध्यान में रखकर रचे जाते थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *