किताब 15 जुलाई 2018 से 22 जुलाई 2018 के बीच पढ़ा गया
1 ) नागराज और लाल मौत 3/5
कॉमिक 15 जुलाई 2018 को पढ़ा
लेखक : तरुण कुमार वाही, सम्पादन : मनीष गुप्ता, कला निर्देशन : प्रताप मुलीक, चित्र : चंदु , सुलेख : पुष्पा पालवणकर
युसूफ अली बिन खान ने दुबई की सत्ता हथिया ली थी। यूसुफ़ अली बिन खान एक तस्कर था जिसका दुनिया में गैरकानूनी चीजों के खरीदफरोख्त का व्यापार चलता था। उसने दुबई के अमीर अल-बुखारी कि हत्या करके उसकी सम्पत्ति हथिया ली थी। अब उसे रुएबा खातून, जो कि अल बुखारी की बेटी थी, कि तलाश थी। युसूफ अली का मानना था कि जब तक वो रुएबा को पकड़ नहीं लेता तब तक दुबई के लोग उसका अधिपत्य स्वीकार नहीं करेंगे। और अब उसकी पूरी फ़ौज रुएबा के पीछे पड़ी थी।
वहीं रुएबा को पता था कि बिना किसी मदद के वो युसूफ से पार नहीं पा सकती थी। अगर उसे हराना था जो रूएबा को मदद की आवश्यकता थी। इसलिए रुएबा ने नागराज से मदद की गुहार लगाई थी।
नागराज भी दुबई पहुँच चुका था। लेकिन क्या वो रुएबा कि मदद कर सकता था?
युसूफ अली बिन खान एक ऐसे किले में रहता था जिसके चारों और एक ऐसे जीवों का पहरा था जिन्हें लाल मौत कहा जाता था। रेत के भीतर रहने वाले ये दैत्याकार लाल रंग के जीव कम्पन के साथ ही बाहर आ जाते थे और उस वक्त सतह पर जो भी होता उसे नष्ट कर देते थे। इनसे आजतक कोई जीत नहीं पा पाया था। इसलिए इन्हें लाल मौत भी कहा जाता था।
क्या नागराज रुएबा कि मदद कर पाया?
क्या हुआ जब युसूफ अली बिन खान और नागराज का सामना हुआ?
क्या नागराज लाल मौत से बच पाया?
नागराज ने दुनिया भर में मौजूद खतरनाक अपराधियों से लोहा लेने का मंसूबा बनाया है और इसी कारण वो कई देशों का सफर कर रहा है। इस कहानी में पाठक नागराज को दुबई में देखते हैं। दुबई जहाँ कि सत्ता युसूफ अली बिन खाना उर्फ़ yabk नामक अपराधी ने हथिया ली है।
नागराज दुबई पहुँचता है और रुएबा के साथ मिलकर yabk और उसकी फ़ौज से टकराता है। कॉमिक्स में एक्शन भरपूर है और अगर आप एक्शन प्रेमी हो तो आपको ये पसंद आयेगा। कहानी सीधी चलती है। नागराज पहले रुएबा को बचाता है और फिर युसूफ बिन अली खान से लड़ने निकलता है। वहीं लाल मौत से उसका सामना होता है। लाल मौत से भिड़ने वाले पैनल कहानी में रोमांच पैदा करते हैं। नागराज को उनसे झूझना पड़ता है तो थ्रिल बरकरार रहता है।
कॉमिक में मुझे ऐसी कोई कमी तो नज़र नहीं आई। बस एक दो सवाल थे।
नागराज फ्लाइट से जब भी आता है या फ्लाइट में जाता है तो ओवरकोट पहनता है लेकिन शहर में उतरने पर ओवरकोट उतार देता है। अरब शहर में जहाँ वो दुश्मन के बीच था नागराज बिना कोट के उभर कर सामने आ सकता था। ऐसे में खतरा था कि yabk के सिपाही या जासूस उसे देख लेते। और उसकी जानकारी yabk को दे देते। जबकि कायदे से उसे इधर भी ओवरकोट में होना चाहिए था या दुबई के लोग जिन पोशाको में थे उसमे रहना चाहिए था। लड़ाई के वक्त असल रूप में होता तो सही रहता। कॉमिक पढ़ते वक्त ये ख्याल मेरे मन में आता रहा। अब चूँकि आया तो मैंने सोचा कि हो सकता है नागराज किसी से न डरता हो और इसलिए ऐसे हो। तो यही सोचकर मैंने अपने मन को तस्सली दे दी थी।
एक और चीज मेरे मन को खटकी थी। नागराज जब रुएबा को बचाता है तो आखिर में उसके हाथ खाली होते हैं। उसने रुएबा को बचा लिया होता है। वो दोनों शहर जाने का प्लान बना रहे होते हैं। यहीं पहले नागराज को खाली हाथ दिखाया गया है और फिर प्लान बनाते हुए वो ओवर कोट पहनता दिखता है। ये ओवरकोट कहाँ से आया ये प्रश्न मुझे परेशान करता रहा?
उपरोक्त बातें हैं तो छोटी लेकिन चूँकि मन में उठी तो इधर लिख दी। आपके इन बातों के विषय में क्या विचार हैं? इससे मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।
बाकी कहानी पठनीय है। कहानी में रोमांच रहता है और इस कारण पाठक अंत तक पढ़ता जाता है।
आपको ये कहानी कैसी लगी मुझे बताना न भूलियेगा।
लेखक : राजा, सम्पादन : मनीष गुप्ता, कला निर्देशन : प्रताप मुलिक, चित्र: चंदू, सुलेख: पालवणकर
तंजानिया के सेलेस गेम रिज़र्व नाम से प्रसिद्द अभ्यारण्य में तंजानिया की सरकार कई लुप्त होते वन्य प्राणियों को संरक्षण देती थी। यहाँ मौजूद जंगली कबीले हाथियों को काबुकी कहते थे और इन कबीले वासियों के बीच एक लोक कथा प्रचलित थी।और प्रसिद्ध था काबुकी का खजाना।
इसी खज़ाने के पीछे पड़े थे कई अंतर्राष्ट्रीय अपराधी और सेलेस गेम्स रिज़र्व का आतंक थोडांगा। थोडांगा, एक कबीले का राजा था, जिसके आतंक से पूरा जंगल काँपता था। और उसकी गुलामी करने के मजबूर था। थोडांगा को काबुकी के खज़ाने की तलाश थी और वो किसी भी कीमत पर इसे हासिल करना चाहता था।
और नागराज का मकसद था कि काबुकी का ये खजाना किन्ही गलत हाथों में न पहुँचे।
आखिर क्या था ये काबुकी (हाथियों) का खजाना?
क्यों इसके पीछे सारे लोग पड़े थे?
क्या नागराज थोडांगा को रोकने में कामयाब हो पाया?
काबुकी की का खजाना वैसे तो इस संकलन में आखिरी में छपी है लेकिन कहानी के क्रम के हिसाब से इसका घटनाक्रम ‘नागराज और थोडांगा’ से पहले होता है। ये बात मुझे ‘नागराज और थोडांगा’ के कुछ पृष्ठ पढ़ने के बाद पता चली तो मैंने जल्द ही भूलसुधार किया और इसे पढ़ने लगा। डाइजेस्ट खरीदने का एक फायदा ये भी था कि मुझे नया कुछ नहीं खरीदना पड़ा।
इस कॉमिक्स में खाली काबुकी के खजाने की जानकारी मिलती है और थोडांगा का नाम ही सुनाई देता है। कॉमिक की बात करूँ तो ये एक रोचक कॉमिक है जिसमें हम नागराज को हाथियों के झुंड, गेंडे, थोडांगा के दायें हाथ जिपा और दैत्याकार गुंटारा से भिड़ते हुए देखते हैं। इन सभी लोगों से भिड़ने पर हमारे हीरो को काफी मेहनत करनी पड़ती है जिसके कारण कॉमिक में रोमांच लगातार बना रहता है। कॉमिक पढ़ते हुए पाठक के रूप में आप सोचने पर मजबूर हो जाते हो कि वो थोडांगा कैसा होगा जिसके लिए जिपा और गुंटारा जैसे दैत्याकार जीव काम करने हैं और यही सोच इस कॉमिक का अगला भाग पढ़ने की ललक बढ़ा देती है।
कॉमिक ने मेरा भरपूर मनोरंजन किया।
कॉमिक 22 जुलाई 2018 को पढ़ा
लेखक: संजय गुप्ता, सम्पादन : मनीष गुप्ता, चित्रांकन : मुलीक
नागराज गुंटारा की घाटी में सम्राट ओसाका कि मदद से पहुँचा था। यह बात जब थोडांगा को पता चली तो उसने ओसाका के कबीले के सर्वनाश की आज्ञा जिपा को दे दी। वहीं जिस चीज का इतंजार सम्राट थोडांगा बरसों से कर रहा था वो चीज अब होने वाली थी। थोडांगा को काबुकी के खज़ाने का पता चलने वाला था।
आखिर कौन था ये थोडांगा जिससे तंजानिया के सेलेस गेम रिज़र्व में मौजूद कबीले वासी डरते थे?
क्या नागराज ओसका के कबीले को जिपा के प्रकोप से बचा पाया?
क्या सचमुच थोडांगा जैसा शैतान काबुकी के खज़ाने को हासिल करने में कामयाब हो जायेगा?
थोडांगा से लड़ने से पूर्व भी नागराज को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है जो कि कॉमिक के रोमांच को बढ़ा देती हैं और आखिरी लड़ाई के लिए पाठक की उत्सुकता चरम पर पहुँचा देती हैं।कई बार बड़ी बड़ी लड़ाइयों में कुछ किरदारों को बलिदान देना पड़ता है और यही इस कॉमिक में होता है। जब जब ऐसा होता है तब तब पाठक के रूप में मैं भावुक हो जाता हूँ। सचमुच ज़िन्दगी में भी बिना त्याग किये कुछ भी हासिल नहीं होता है।
कॉमिक मुझे पसंद आई और इसने मेरा भरपूर मनोरंजन किया।
अगर कॉमिक से जुड़ी शंकाओं की बात करूँ तो मेरे मन में खाली एक शंका है। काबुकी का खजाना जिस जगह था वहाँ केवल हाथी ही जा सकते थे और वो भी तब जब वो मरने वाले हों। इसका लॉजिक ये भी था कि वो रास्ता इतना दुर्गम था कि जाने वाले को पता था कि जाते वक्त चाहे जनी चोटे उसे झेलनी पड़े (और ये चोट झेलनी ही थी। कॉमिक पढ़ेंगे तो समझेंगे।) उसे वापस आना नहीं था। ऐसे में थोडांगा अपने साथ जीवित हाथी लेकर उधर पहुँचता है तो मेरे मन में ये प्रश्न था कि क्या उधर जाने के बाद उन हाथियों में इतनी ताकत बची रही होगी कि वो बोझा ढो सकें और वापसी उसी रास्ते से कर सकें। ये चीज थोड़ी मुझे खटकी थी। ये इतनी बड़ी तो नहीं है लेकिन जब प्रश्न मन में उठता है और अपना ब्लॉग भी है तो इधर डालने में क्या हिचकिचाना? आपके पास इस छोटे सवाल का जवाब हो तो दीजियेगा।
इस कॉमिक में मौजूद तीनों कॉमिक मुझे पसंद आये और एक बार पढ़े जा सकते हैं।
मुझे कमेंट के माध्यम से आप जरूर बताइयेगा।
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लाल मौत में जो आपने कहा एक जगह की नागराज खाली हाथ था लेकिन फिर ओवरकोट अचानक आगया तो उसका कारण ये है की नागराज अपने कपड़ो को सूक्ष्म करके बेल्टइ छुपा लेता है
शुक्रिया,विक्की जी। ये जिज्ञासा मन में पढ़ते हुए हुई थी और अब इसका निवारण हो चुका है। आप अगर कोई अच्छी कॉमिक्स साझा करना चाहते हैं तो कृपया उनके नाम भी बताये। उन्हें भी पढ़ूँगा।