संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या: 30
प्रकाशक: राज कॉमिक्स
लेखक: हनीफ अजहर, सम्पादक: मनीष गुप्ता, चित्रांकन: नरेश, जसवंत सिंह नार
फ्रेंडी 4 |
कहानी:
फ्रेंडी के कहर से बचकर भागते विशु के कुछ ऐसी परिस्थितियाँ पेश आई कि उसकी मंजिल बाल सुधार ग्रह बन गयी। पुलिस की माने तो विशु ने कई कत्ल किये हैं।
लेकिन रिपोर्टर शिल्पा शेट्टी को पुलिस की यह थ्योरी सही नहीं लगती है। उसे लगता है कि इन कत्लों के पीछे विशु नहीं बल्कि किसी और व्यक्ति का हाथ है। उसने फैसला कर लिया है कि वह इस मामले की जड़ में जाएगी और मामले की असलियत उजागर करके ही रहेगी।
रंजना गुहा अभी तक हॉस्पिटल में मौजूद है। उसकी हालत में सुधार हुआ है। उसे इस बात से थोड़ी राहत मिली है कि उसका पति विनोद आखिरकार उसके पास वापस आ चुका है। उसे उम्मीद है कि उसका पति विशु की मदद जरूर करेगा।
आखिर विशु को बाल सुधार ग्रह क्यों भेजा गया? उसने किसके कत्ल किये थे?
क्या शिल्पा शेट्टी शिमला में हो रही इन हत्याओं के पीछे का सच जनता के सामने ला पाई?
क्या विशु के पिता विनोद विशु की मदद कर पाए?
फ्रेंडी चार में आपको इन्हीं सब प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे।
मेरे विचार:
फ्रेंडी चार की कहानी वहीं पर शुरू होती है जहाँ फ्रेंडी तीन का अंत होता है। फ्रेंडी तीन के अंत में हमने देखा था कि विशु को लगता है कि उसने फ्रेंडी को मार दिया है लेकिन असल में ऐसा नहीं होता है। उसके बाद जो घटनाएं होती है उनके चलते विशु की परेशानियाँ और बढ़ जाती हैं। परिस्थितियाँ कुछ ऐसी हो जाती है कि विशु पुलिस के हत्थे चढ़कर बाल सुधार ग्रह पहुँच जाता है।
विशु के बाल सुधार ग्रह पहुँचने के बाद कहानी में केवल फ्रेंडी और उसके नये शिकार ही बचते हैं। फ्रेंडी अपने राज को उजागर कर सकने वाले हर इनसान को मार देता है और आगे के कॉमिक में वो यही करता है। वह कितना क्रूर है यह पाठको को इस कॉमिक में देखने को मिलता है। बहुत ही वीभत्स तरीके से यह हत्याएं होती दिखाई गयी हैं।
कॉमिक में विनोद, विशु के पिता, आखिरकार आये थे लेकिन उनकी आमद कम रही। मुझे लगा था वह कुछ अच्छा करेंगे लेकिन लेखक ने उन्हें फ्रेंडी के एक अन्य शिकार के जैसे ही इस्तेमाल किया। इस कहानी में यह पैटर्न देखने को मिलता था कि एक नया किरदार आता था तो वह अगले अंक में ही मारा जाता था। फिर चाहे वो इंस्पेक्टर सुनील हो, विकास शर्मा हो, उसकी पत्नी हो या शिल्पा शेट्टी हो लगभग सभी के साथ ऐसा हुआ। इस कारण भी मैं उम्मीद कर रहा था कि विनोद अगले अंक तक तो जायेंगे पर ऐसा हुआ नहीं तो निराशा हुई।
शिल्पा इस कॉमिक में कोई राज उजागर करने की बात करती है लेकिन उसे इसका मौका नहीं मिलता है। अगर शिल्पा को तहकीकात करते और तहकीकात करने के अंत में फ्रेंडी से जूझते दिखाया जाता तो बेहतर होता। अभी फ्रेंडी ही उसके पास पहुँच जाता है। यह थोड़ा सा आसान काम लगता है। कहानी में जो रोमांच आ सकता था वह इसके कारण थोड़ा कम हो जाता है।
कहानी का अंत जिस मोड़ पर होता है उसे देखकर लगता है कि अब विशु का कोई चाहने वाला बचा नहीं है। अब विशु अपनी जान कैसे बचायेगा यह देखना रोचक होगा। अब सीधे टकराव की बारी है। इसीलिए आखिरी भाग पढ़ने के लिए मैं उत्सुक हूँ।
कॉमिक में कुछ कमी तो नहीं है लेकिन अगर मेरा बच्चा बाल सुधार ग्रह में होता तो मैं उससे मिलने जाता न कि उसके लिए खिलौने लेने। लेकिन इधर शायद कहानी में रोचकता पैदा करने के लिए यही किया गया हो।
खैर, अब तो आखिरी भाग पढ़ने का इन्तजार करना है। यह कॉमिक औसत से थोड़ा अच्छा है। कहानी में फ्रेंडी ही छाया हुआ है। उसकी क्रूरता और विभत्सता चरम पर है। यह कॉमिक आखिरी पार्ट को पढ़ने की इच्छा मन में जगाता है।
रेटिंग: 2.5/5
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© विकास नैनवाल ‘अंजान’