चलो कब्र की ओर

रेटिंग : 3.5/5
कॉमिक्स 24 फ़रवरी 2018 को पढ़ी

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 64
प्रकाशक : राज कॉमिक्स
आईएसबीएन : 9789332411616
श्रृंखला : एंथोनी
मूल्य : 30 रूपये

एंथोनी परेशान था। रूपनगर में लोग काफी तादात में आत्महत्या करने लगे थे। कईयों को तो एंथोनी बचाने में कामयाब हो चुका था लेकिन फिर भी कई लोग मौत के आगोश में समा चुके थे।

रूप नगर के बाशिंदों के अन्दर ये आत्मघाती प्रवृत्ति अचानक कैसे जागृत हो गयी थी?

आखिर इन आत्महत्याओं के पीछे क्या कारण था?

 क्या एंथोनी इन्हें रोक पाया?

या रूप नगर का आखिरी नागरिक भी कह उठेगा चलो कब्र की ओर?

हाल फिलहाल में मैंने एंथोनी की काफी कॉमिक्स ले ली हैं और इसलिए इन्हें पढ़ भी रहा हूँ। मेरी कोशिश रहती है कि हफ्ते में एक कॉमिक तो पढ़ी ही जाये और आज के लिए मैंने इस कॉमिक को चुना।

कॉमिक बुक की बात करूँ तो मुझे कहानी पसंद आई। इसमें एंथोनी एक सुपर हीरो तो है ही लेकिन लोगों को अच्छा जीवन जीने के लिए प्रेरित भी करता दिखता है। कॉमिक में लेखक तरुण कुमार वाही  ने काफी सामजिक बुराईयों को छुआ है और उससे सकारात्मक तरीके से कैसे निपटा जा सकता है ये भी दर्शाया है। इसके लिए वो बधाई के पात्र हैं।

प्रिंस एंथोनी का साथी,दोस्त और मेंटर है और ये इस कॉमिक में दिखता है। उनके आपस का समीकरण ऐसा ही है जैसे दो जिगरी दोस्तों का होता है। कॉमिक में जब एंथोनी को ज्यादा ज्ञान देते हुए प्रिंस कहता है कि लगता है एंथोनी कब्र से सीख कबाब खाकर निकला था तो उनके बीच की बेतकल्लुफी साफ़ झलकती है।

कॉमिक का ज्यादातर हिस्से में एंथोनी लोगों को बचाते हुए ही दिखता है। लड़ाई के पैनल कम हैं लेकिन तगड़े हैं। जलात्मा  और कब्रा नाम के दो मुख्य खलनायक ही इसमें आते हैं जिनसे उसकी मुठभेड़ होती है। दोनों का कांसेप्ट मुझे पसंद आया और विशेषकर जलात्मा तो काफी भयावह लगा। एक बार जलात्मा की पकड़ से जब एंथोनी बाहर आता है तो एक बार को मुझे लगा था कि जलात्मा वायु में मौजूद नमी का न इस्तेमाल करे। ऐसा होता नहीं है लेकिन होता तो देखना रोचक होता कि एंथोनी उससे कैसा छूटता। दूसरा मुख्य खलनायक कब्रा है। खलनायक के रूप में ये मुझे अच्छा लगा लेकिन इसकी बेक स्टोरी कमजोर लगी। मुझे लगता है उस पर थोड़ा बहुत काम करके उसे और मजबूत बनाया  जा सकता था।

इन दोनों के इलावा एक आध छुटपुट लड़ाई और मार पिटाई के दृश्य कॉमिक में हैं जो कि मजेदार थे। इसके साथ ही कहानी में जूली, जो कि एंथोनी की बीवी थी, की भी एंट्री होती है और वो पैनल भावुक करते हैं। एंथोनी और जूली के बीच की तड़प को महसूस किया जा सकता है और एंथोनी के लिए दुःख भी होता है।

कॉमिक के  आर्ट वर्क की बात करूँ तो  मुझे वो ठीक ठाक लगा। इस कॉमिक में मैंने पहली बार नोटिस किया कि एंथोनी की आँखों में पुतलियाँ नहीं है। वो पूरी सफ़ेद हैं। इससे वो ज्यादा डरावना लगता है। बाकी का आर्टवर्क ठीक है। कहानी को कॉम्प्लीमेंट करता है।

कुल मिलाकर अंत में तो कहूँगा कि कॉमिक मुझे काफी पसंद आई। थोड़ा मुख्य खलनायक कब्रा की कहानी पे फोकस करके उसे मजबूत बनाया होता और उसकी मौजूदगी कॉमिक में थोड़ी और बढ़ाई होती  तो कॉमिक और अच्छा बन सकता था। कॉमिक पढने लायक है और एक बार पढ़ा जाना चाहिये।

अगर आपने इस कॉमिक को पढ़ा है तो आपको ये कैसा लगा? अपने विचार कमेंट बॉक्स में लिखकर बताईयेगा। अगर आपने इसे नहीं पढ़ा है और पढ़ना चाहते हैं तो इसे निम्न लिंक से मँगवा सकते  हैं:

अमेज़न
राज कॉमिक्स


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर उन्हें लिखना पसंद है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

2 Comments on “चलो कब्र की ओर”

  1. नहीं पढ़ी है यह कॉमिक्स।पढूँगा।रिव्यु अच्छा लिखा आपने

    1. धन्यवाद। पढ़कर अपनी राय से जरूर अवगत करवाईयेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *