बाँकेलाल और बकासुर

 कॉमिक बुक नवम्बर 16, 2020 के पढ़ा गया

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट:
पेपरबैक |  पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स |  लेखिका: मीनू वाही | चित्रांकन: बेदी | श्रृंखला: बाँकेलाल

बाँकेलाल और बकासुर: समीक्षा
बाँकेलाल और बकासुर



कहानी:

बकासुर ने आखिर अपनी कठोर तपस्या से अपने देवता को प्रसन्न कर लिया था और उससे गदासुर हासिल कर ली थी। अब उसका अगला मकसद राक्षसलोक का राजा बनकर मानवों पर अत्याचार करना था।

क्या बकासुर अपने मकसद में कामयाब हो पाया? 

वहीं कंकड़ बाबा के श्राप की अवधि समाप्त होने पर बाँकेलाल और विक्रम सिंह विशाल गढ़ की खोज में चल रहे थे। उनकी इस यात्रा के दौरान कुछ ऐसा हुआ कि बाँकेलाल ने मासूम नगर के राजा कठोरसिंह और राक्षसों से बदला लेने का मन बना लिया था। 

उसके दिमाग में कुछ ऐसा पक रहा था जिससे यह बात तय थी कि बाँकेलाल अपना बदला ले पायेगा। 

आखिर बाँकेलाल राजा कठोर सिंह और राक्षसों से किस बात का बदला लेना चाहता था? 

बदला लेने के लिए उसने क्या योजना बनाई थी?

क्या वह अपनी योजना में सफल हो पाया?

मेरे विचार: 

बाँकेलाल और बकासुर बाँकेलाल डाइजेस्ट 11 में मौजूद दूसरा कॉमिक बुक है। इस कॉमिक की एक अच्छी बात मुझे यह लगी कि इसमें संक्षिप्त रूप में यह बताया गया है कि क्यों बाँकेलाल और विक्रमसिंह यहाँ वहाँ भटक रहे हैं। इससे पाठक को एक तरह का सन्दर्भ तो मिल ही जाता है। यह चीज डाइजेस्ट के पहले कॉमिक बुक बाँकेलाल और चींटाघाटी से नदारद थी तो एक तरह का अधूरापन मुझे उधर महसूस हुआ था।

इससे एक फायदा और भी हुआ है कि अब मैं यह जरूर जानना चाहूँगा कि वह कौन सी कॉमिक बुक थी जिसमें बाँकेलाल और विक्रमसिंह को कंकड़ बाबा द्वारा ये श्राप दिया गया था जिसके कारण उन्हें अपने राज्य से बाहर जाना पड़ा। उस दौरान उनके साथ क्या हुआ यह जानने की इच्छा भी मेरे अंदर अब जागृत हो गयी है। अगर आपको पता है तो बताइयेगा जरूर। मैं उस कॉमिक बुक को पढ़ना चाहूँगा।

प्रस्तुत कॉमिक बुक पर लौटे तो मीनू वाही का लिखा यह कॉमिक बुक एक टिपिकल बाँकेलाल कॉमिक है। कॉमिक बुक में हास्य प्रचुर मात्रा में मौजूद है। बकासुर और उसके देवता की बातें, बाँकेलाल के मन की बातें और कॉमिक बुक में आती परिस्थितियाँ आपका मनोरंजन करती हैं और आपको हँसाती हैं।

हाँ, चूँकि आपको पता है कि कॉमिक बुक का अंत किस तरह होगा तो बस यह देखना होता है कि जिनका बुरा करने की बाँकेलाल सोच रहा है उनका भला कैसे होगा? यह देखने के लिए आप कॉमिक बुक पढ़ते चले जाते हैं। इधर मैं यह भी कहना चाहूँगा कि इस बार बाँकेलाल ने जो चाल चली वह मुझे साधारण ही लगी। वह चाल थोड़ा जटिल होती तो ज्यादा मजा आता। बाँकेलाल की कुटिल बुद्धि का मज़ा तो उसकी गढ़ी गयी जटिल चालों में ही है। चाल अत्यधिक सरल जरूर है लेकिन फिर भी मैं यही कहूँगा कि कॉमिक बुक आपका मनोरंजन तो करती ही है।

अगर आप बाँकेलाल के प्रशंसक है तो आपको यह कॉमिक बुक पसंद आयेगा। कॉमिक बुक एक बार पढ़ा जा सकता है।

रेटिंग: 2.5/5

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© विकास नैनवाल ‘अंजान’


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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2 Comments on “बाँकेलाल और बकासुर”

  1. बहुत सुन्दर जानकारी

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