संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 22 | प्रकाशन: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास | शृंखला: वीरगाथा माला
टीम
लेखक: गौरव सी सावंत | अनुवाद: सुधीर नाथ झा | चित्र एवं ग्राफिक्स: निपेन भूयाँ, समुद्र काजल सैकिया
पुस्तक लिंक: नैशनल बुक ट्रस्ट
कहानी
1962 का भारत और चीन युद्ध चल रहा था। रेजांग ला जम्मू और काश्मीर के लद्दाख में लगभग 17000 फुट की ऊँचाई पर मौजूद दर्रा था। इस जगह से चुशुल हवाई अड्डा दिखाई देता था और युद्ध में लेह की सुरक्षा के लिए इसकी रक्षा करना बहुत जरूरी था।
ऐसे में इसकी रक्षा करने हेतु कुमाऊँ रेजीमेंट की मेजर शैतान सिंह की 13 वीं बटालियन की चार्ली कंपनी को इस इलाके की रक्षा का जिम्मा सौंपा गया था।
मेजर शैतान सिंह अपने 124 सिपाहियों के साथ इस इलाके का मुआयना करने निकले थे कि अचानक चीनी सैनिकों ने हमला कर दिया।
आगे क्या हुआ?
कैसे इन वीर योद्धाओं ने अपने से कई गुना ज्यादा सैनिकों वाली चीनी सैना का सामना किया?
मेरे विचार
भारत में परमवीर चक्र भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी द्वारा शत्रु के समक्ष अदम्य वीरता का प्रदर्शन करने के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। 26 जनवरी 1950 को यह सम्मान आरंभ हुआ है और यह सम्मान शत्रु के समक्ष धरती, आकाश या फिर समुद्र में अत्यधिक उत्कृष्ट वीरता अथवा निर्भीकता अथवा असाधारण सहास के प्रदर्शन या आत्म बलिदान के लिए दिया जाता है।
2016 में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ( नैशनल बुक ट्रस्ट) द्वारा भारत के पाँच परमवीर चक्र विजेताओं की कहानी पर कॉमिक बुक्स लॉन्च की गई थी। 9 से 12 वर्षीय पाठकों के लिए रची गयी इन कॉमिक बुकों का मकसद बच्चों को भारत के उन वीर रणबाँकुरों से परिचित करवाना था जिन्होंने भारत के दुश्मनों के युद्ध में दाँत खट्टे कर दिए थे और शौर्य के लिए दिया जाने वाला सबसे ऊँचा सम्मान परम वीर चक्र हासिल किया था। यह पुस्तकें अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषा में रिलीज की गई थीं।
‘मेजर शैतान सिंह’ इसी श्रृंखला के अंतर्गत प्रकाशित पुस्तक है। 22 पृष्ठ के इस कॉमिक बुक की कहानी गौरव सी सावंत द्वारा लिखी गयी है और अंग्रेजी से इसका हिंदी अनुवाद सुधीर नाथ झा द्वारा किया गया है। अनुवाद अच्छा है।
कॉमिक बुक मेजर शैतान द्वारा लड़ी गई 1962 में रेजांग ला की उस जंग को दर्शाता है जहाँ उन्हें वीरगति प्राप्त हुई थी। कहानी की शुरुआत मेजर को उनकी पोस्टिंग पर भेजने से होती है और फिर मेजर और उनके सैनिकों को वहाँ किन किन मुसीबतों का सामना करना पड़ा था और कैसे आखिरी दम तक वो लड़ते रहे थे ये कॉमिक में दर्शाया गया है।
कहानी भारत के वीर सपूतों के प्रति सम्मान का भाव जागृत करती है और किन मुसीबतों का सामना ये माँ भारती के लाल हँसते-हँसते हुए कर जाते हैं ये भी दर्शाती है। लेखक ने फ्लैश बैक का प्रयोग करके मेजर शैतान सिंह के परिवार, बचपन और उनके फौज में आने तक के सफर को भी बाखूबी दर्शाया है।
कॉमिक बुक के कथानक की कमी की बात करूँ तो एक ही चीज मुझे खली। कॉमिक पढ़ने के बाद मैंने मेजर शैतान सिंह के विषय में कई जगह पढ़ा और उधर ये ही लिखा था कि मेजर घायल होने के बाद भी आखिरी दम तक लड़ते रहे थे। यहाँ तक कि उन्होंने अपने को सुरक्षित निकालने आए दो सैनिकों को भी वापस जाने के लिए कहा था और खुद को एक चट्टान के पीछे रखवाने के लिए कहा था जहाँ से वह दुश्मन का सामना कर सकें। सैनिकों ने ऐसा ही किया। वह आखिरी दम तक दुश्मनों से लड़ते रहे थे। भारी बर्फबारी के कारण उनका शरीर बर्फ से ढक गया था। तीन महीने बाद भारतीय सैना को जब उनका शरीर मिला तो वह उस वक्त भी उसी चट्टान के पीछे थे और उनके हाथ में उनकी मशीन गन तब भी मौजूद थी जिसे उन्होंने रस्सी के सहारे अपने पैरों पर इसलिए बँधवाया था ताकि वो दुश्मन का सामना करते रहें। (स्रोत: 1. शैतान सिंह: हाथ चोटिल होने पर पैर से बांध ली थी मशीन गन, 1300 चीनी सैनिकों को साथ लेकर शहीद हुए, 2. विकिपीडिया, 3. हॉनर पॉइंट)
लेकिन कॉमिक में ऐसा नहीं दर्शाया गया। यहाँ दिखता है कि उनको उनका साथी राम सिंह यादव अपने कंधे में उठाकर कंपनी मुख्यालय की ओर ले जा रहे हैं और नाले पर पहुँचने से पहले ही शैतान सिंह की मृत्यु हो गई थी।
दूसरी जगहों पर लिखा वर्शन और कॉमिक का वर्शन का अलग होना थोड़ा संशय में डालता है। लेखक ने अपनी रिसर्च किधर से की ये जरूर जानना चाहूँगा।पुस्तक के अंत में मेजर शैतान सिंह के विषय में अधिक जानकारी हासिल करने हेतु कौन सी पुस्तकें पढ़ी जा सकती हैं ये भी दर्ज होता तो बेहतर होता।
कॉमिक बुक के आर्ट वर्क की बात करूँ तो आर्ट वर्क ठीक है। न बहुत ज्यादा अच्छा है और न बुरा ही है। युद्ध के सीन कुछ बेहतर बन सकते थे। पर ये सरकारी काम है तो इससे इतने की भी उम्मीद मुझे नहीं ही थी।
अंत में यही कहूँगा कि अगर आपके घर में बच्चे हैं तो आपको राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (नेशनल बुक ट्रस्ट) द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक शृंखला उन्हें जरूर उपहार स्वरूप देनी चाहिए। हर किसी को हमारे देश के उन वीर सपूतों के विषय में जानना चाहिए जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान देकर देश की रक्षा की है। अगर बच्चे नहीं हैं और संक्षिप्त में आप हमारे इन वीर सपूतों की गाथा जानना चाहते हैं तो भी यह कॉमिक बुक इसका अच्छा स्रोत हो सकती हैं। यह कॉमिक बुक उनके विषय में विस्तृत तौर पर जानने हेतु आपको प्रेरित करेंगी।
हमें देश के वीर सपूतों पर नाज़ है और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (नैशनल बुक ट्रस्ट) का यह प्रयास सराहनीय है।
पुस्तक लिंक: नैशनल बुक ट्रस्ट
वीरगाथा माला की अन्य पुस्तकें भी नैशनल बुक ट्रस्ट की साइट से मँगवाई जा सकती हैं:
मेजर सोमनाथ शर्मा | सेकंड लेफ्टीनेन्ट अरुण खेत्रपाल | कैप्टन मनोज कुमार पांडेय | कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार वीर अब्दुल हमीद