पायरेसी एक ऐसा दीमक है जिसने प्रकाशन उद्योग का काफी नुकसान किया है। पहले प्रकाशित किताबों की पायरेटेड प्रतियों को प्रकाशित करके यह नुकसान किया जाता था लेकिन अब किताबों की पायरेटेड ई बुक संस्करणों को साझा करके यह कार्य किया जा रहा है।
कई दिनों से देखने में आ रहा था टेलीग्राम और अन्य ऑनलाइन माध्यमों से कई लेखकों की किताबों को मुफ्त में बाँटा जा रहा है। ऑनलाइन में उपन्यासों के मुफ्त में बाँटे जाने से लेखकों और प्रकाशकों को नुकसान का सामना करता पड़ता है।
जहाँ किताबों की घटती खरीद ने पहले ही लोकप्रिय साहित्य के कई प्रकाशकों को इस व्यापार को छोड़ने के लिए मजबूर किया है वहीं अब इस तरह से किताबों के पीडीएफ संस्करण साझा किये जाने से कमजोर होती प्रकाशन उद्योग के कस बस ढीले कर दिए हैं।
आपको बताते चलें 2019 में फ़ोर्ब्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल अमेरिका में इस पायरेसी के चलते हर साल तीस करोड़ डॉलर्स अर्थात 2 अरब रुपयों का नुक्सान होता है। वहीं 2020 में इकनोमिक टाइम्स में छपे एक लेख के अनुसार भारत में प्रकाशकों को यह नुकसान लगभग 400 करोड़ का होता है।
लेकिन अब लेखकों (अमित खान, शुभानन्द, कँवल शर्मा, संतोष पाठक, देवेन्द्र प्रसाद, शोभा शर्मा, जितेन्द्र नाथ, विक्रम दीवान, अनुराग कुमार जीनियस,ब्रजेश शर्मा, नृपेन्द्र शर्मा,अटल पैन्यूली इत्यादि ) और प्रकाशकों (बुक कैफ़े पब्लिकेशन ,फ्लाई ड्रीम्स पब्लिकेशन, सूरज पॉकेट बुक्स इत्यादि) के एक समूह ने मिलकर पायरेसी रुपी इस दीमक को खत्म करने के लिये बिगुल बजा दिया है।
एडवोकेट संजीव शर्मा द्वारा पायरेटेड किताबें मुहैया करवाने वाले ऐसे समूह को नोटिस जारी किया है जिसमें उन्होंने ऐसे सभी समूहों को किताबों की ई बुक को गैरकानूनी रूप से साझा करने की गतिविधियों को रोकने को कहा है।
अगर ऐसी गतिविधियाँ नहीं रूकती हैं तो आगे जाकर लेखकों और प्रकाशकों के इस समूह द्वारा पायरेसी फैलाने वालों के ऊपर कानूनी कार्यवाही करने की भी योजना है।
नोटिस नीचे पढ़ा जा सकता है:
— विकास नैनवाल ‘अंजान’
Very good initiative
जी सही कहा….
बहुत बढ़िया लेख। अब वो दिन आ गए है जब सभी को मिलकर साथ देना होगा पायरेसी के खिलाफ इस जंग में।।
जी पाठकों को भी सजग होने की जरूरत है….
Ham apke sath hai, Adv Sharma ji
जी सही कहा
पाइरेसी जो खत्म नही किया जा सकता पूरी तरह से। आज यह ग्रुप बंद हुए, कल दुबारा से खुल जाएंगे।
उससे बेहतर प्रकाशक ही टेलीग्राम आदि पर अपने ऑफिशियल अकॉउंट बनाकर ईबुक बेचे। प्रकाशक बोल सकते है कि उनकी फाइल्स सेफ है वाइरस आदि से साथ ही उनकी गुणवक्ता भी बेहतर होगी।
जी….लेकिन इससे उन्हें परेशानी होगी…चीजें आसान नहीं होगी.. बाकी मैं अपनी दूसरी वेबसाइट पर पब्लिक डोमेन में मौजूद कहानियों के अनुवाद करके लगाता हूँ…उधर कोई भी जाकर पढ़ सकता है…बिना शुल्क के…लेकिन उन्हें भी लोगों ने पायरेट कर दिया था….
बहुत बढ़िया कदम। इन लोगों पर कोई एक्शन नहीं हुआ इसलिए इनके अंदर डर नहीं है। अब सही वक्त है एकाध उदाहरण पेश करने का जिनसे फिर इस तरह की अनैतिक और आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगे।
जी सही कहा… जब तक उदाहरण नहीं होंगे तब तक असर नहीं पड़ेगा… यह पहला कदम है.. बात आगे बढ़नी चाहिए…..
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (03-01-2021) को "हो सबका कल्याण" (चर्चा अंक-3935) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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नववर्ष-2021 की मंगल कामनाओं के साथ-
हार्दिक शुभकामनाएँ।
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सादर…!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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चर्चा अंक में मेरी इस रिपोर्ट को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार….
पाइरेसी रोकने के लिए आप सभी के प्रयास सराहनीय है।
जी सही कहा..लेखकों का यह प्रयास सराहनीय है…
सराहनीय पहल…जागरूकता भरा कदम । नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जी सही कहा.. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ….
चिंतनिय मुद्दा हैं, सही पहल।
उपयोगी लेख।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
जी आभार…..नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ….
agar mai kisi book ko apne google blog par likhkar post kar du to kya vah bhi piracy hogi.
kyonki jo pathak mere blog par us book ko padhenge wo to us book ko kharidenge nhi.aur nahi kharidenge to writer aur publisher ko nuksan hoga.
to kya mere dwara ki gayi ye janseva bhi piracy mani jayegi?
जी अगर वो किताब पब्लिक डोमेन में नहीं है तो उसे प्रकाशित करना पायरेसी के अंतर्गत आएगा। पब्लिक डोमेन में मौजूद किताबों को आप प्रकाशित कर सकते हैं।