उपन्यास जून 18,2016 से जून २०१६ के बीच पढ़ा गया
संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या :270
प्रकाशक : धीरज पॉकेट बुक्स
पहला वाक्य :
धप्प!
कच्ची जमीन और मेरे क़दमों के संगम से हल्की-सी आवाज उत्पन्न हुई थी और फिर पैराशूट से बंधी मैं दूर तक घिसटती चली गई थी।
रीमा भारती का उपन्यास काली दुनिया का भगवान पढ़ा। रीमा भारती के अब तक मैं ४ अन्य उपन्यास पढ़ चुका हूँ (उनके विषय में आप इधर पढ़ सकते हैं) और उनकी खासियत ये होती है कि उसमे एक्शन की तादाद बहुत ज्यादा होती है। ज्यादातर एक्शन ओवर द टॉप होता है (यानी यथार्थ से दूर होता है) लेकिन उपन्यास मनोरंजक होते हैं। इसके इलावा रीमा भारती का किरदार ऐसा है कि वो हनी ट्रैप का भी काफी इस्तेमाल करती है। और इस कारण इसमें सेक्स भी होता है जो कि इस सीरीज के आकर्षण का केंद्र होता है और इसी वजह से यह सीरीज बदनाम भी है।
खैर, इन सब बातों को इधर मैंने इसलिए उल्लेख किया है क्योंकि ‘काली दुनिया का भगवान’ में रीमा भारती के उपन्यासों की ये विशेषताएं मौजूद हैं। अब चूँकि मैं अंग्रेजी के उपन्यास पढता आया हूँ तो उपन्यासों में सेक्स मुझे इतना विचलित या एक्साइट नहीं करता है। हाँ, अगर कहानी में ऐसा प्रतीत होता है कि वो जबरदस्ती ठूँसा गया है तो वो परेशान करता है। सौभाग्यवश रीमा भारती के जितने भी उपन्यास मैंने अभी तक पढ़े हैं उनमे ऐसा नहीं हुआ है और इस उपन्यास में भी नहीं है।
उपन्यास की दूसरी विशेषता एक्शन की बात करें तो वो इसमें प्रचुर मात्रा में है जो कि उपन्यास को मनोरंजक बनाता है। कहानी क्योंकि प्रथम पुरुष में है तो कहानी में कई बार रीमा भारती अपनी तारीफ खुद ही करती है। एक आध बार चलता है लेकिन अक्सर ये बात रीमा जरूरत से ज्यादा करती है और इस बाद वह कुछ न कुछ गलती करके फँस जाती है जो उसे बडबोला ही दिखाता है। ये बात उपन्यास में मुझे खली। इसके इलावा उपन्यास के अंत में भी मुझे बोरियत सी आने लगी थी। कहानी को मुझे लगा खींचा गया था। हाँ, इस खींच तान में एक बात सही हुई कि रीमा भारती को एक आदमी ऐसा मिला जिसपर उसकी अदाओं का असर नहीं हुआ। रीमा के साथ साथ मैं भी इस बात से हैरत में था (हा हा)। अंत के कुछ पन्ने एडिट हो सकते थे जिससे उपन्यास की रफ़्तार बरकरार रहती। और रेटिंग मैं २.५ से साढ़े तीन करता। इसके इलावा एक और मजेदार बात मैंने नोट की। बीच में मुझे लग रहा था कि रीमा भारती की बन्दूक की गोलियाँ कभी खत्म ही नहीं होती लेकिन एक बार खत्म हुई तो मैंने चैन की साँस ली। चलो लेखिका को याद तो आया कि बन्दूक की गोलियां खत्म भी होती है।
उपन्यास पढ़ते हुए मुझे एक बात और ध्यान में आई। रीमा इतने मर्दों के साथ हम बिस्तर होती है लेकिन कहीं भी वो प्रोटेक्शन इस्तेमाल नहीं करती है और न ही करने के लिये किसी को मजबूर करती है। मुझे लगता है उसे करना चाहिए। कम कम से सोना है तो सुरक्षित सोओ आखिर तुम आई एस सी की नंबर वन एजेंट हो। ज़िन्दगी कीमती है तुम्हारी और प्रेगनेंसी का भी खतरा रहता है। ये बात आपको बेतुकी लग सकती है लेकिन दिमाग में ख्याल आया तो इधर लिख दिया। लेखिका अगर इनको इस्तेमाल करती है तो एक सही सन्देश ही जायेगा। कथानक में कोई नुकसान तो होगा नहीं।
इसके इलावा उपन्यास मुझे मनोरंजक लगा। रीमा भारती मुझे बेसिकाली जेम्स बांड और माता हरी का मिश्रण लगती है। और माँ भारती की इस अल्हड,चुलबुली और शरारती लाडली के किस्से पढने में मज़ा आता है। अगर आपको सेक्स विचलित करता है तो इसे न पढ़ियेगा। अगर आप केवल इसे सेक्स के लिये पढना चाहते हैं तो भी इसे न पढ़िएगा (उसके लिये कई साईटस मौजूद हैं )। हाँ,अगर एक बॉलीवुड स्टाइल और मसाले दार स्पाई स्टोरी पढना चाहते है तो इसे एक बार पढ़ सकते हैं।
अगर आपने रीमा भारती के उपन्यास पढ़े हैं तो उनके विषय में अपनी राय ज़रूर दीजियेगा। अगर नहीं पढ़े हैं तो वो आपको किसी भी रेलवे स्टेशन में मिल जायेंगे।
अगर यह उपन्यास पढ़ा है तो इसके विषय में भी अपनी टिपण्णी ज़रूर दीजियेगा। ऑनलाइन साईट में तो ये उपलब्ध नहीं होते हैं।