रेटिंग : 2/5
आर्ट : 2.5/5
कहानी : 1.5/5
कॉमिक्स 17 अप्रैल,2017 को पढ़ी गयी
आर्ट : 2.5/5
कहानी : 1.5/5
कॉमिक्स 17 अप्रैल,2017 को पढ़ी गयी
संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | श्रृंखला: थ्रिल हॉरर सस्पेंस | लेखक: तरुण कुमार वाही | संपादन: मनीष चन्द्र गुप्त | चित्रांकन: अश्विनी, चंदू | आईएसबीएन: 9788184916539
मछली पकड़ते हुए शंकर ने सोचा भी नहीं था कि उसकी ज़िन्दगी बदल जायेगी। वो एक छोटा मोटा बदमाश ही था।उस वक्त जहाँ वो मछली पकड़ रहा था एक गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ। वो एक्सीडेंट की जगह पे पहुँचा तो उसके होश ही उड़ गए।
एक्सीडेंट में मरा व्यक्ति हूबहू उसके जैसे दिखता था। वो कपडे और पहनावे से बहुत अमीर लग रहा था। इस बात ने शंकर के दिमाग में एक योजना को जन्म दिया। एक्सीडेंट में मरे व्यक्ति की पहचान चुराने का और उसकी दौलत हथियाने का। इस काम के लिए वो क़त्ल करने से भी गुरेज नहीं करने वाला था।
क्या वो अपने शैतानी मंसूबों में कामयाब हुआ? आखिर शंकर का क्या हश्र हुआ?
इस बार घर आया तो पुरानी कॉमिक्स को निकाल कर देखने लगा। इन्हीं में मुझे ये कॉमिक मिली। पहले राज कॉमिक्स की तरफ से हॉरर शैली की कई कॉमिक्स आती थी। इनकी कहानियाँ भूत प्रेत, ममी और इसी तरह की अन्य सुपरनैचुरल चीजों के इर्द गिर्द घूमती थी। मुझे इन्हें पढ़ने में बड़ा मज़ा आता था। इसलिए इस कॉमिक्स को उठाकर बचपन के उन्ही दिनों में पहुँचने का मैंने फैसला किया।
कॉमिक की कहानी है एक साजिश की, बदले की और एक नागिन की। कहानी ऐसी जिसे शायद हम शायद कई बार देख चुके हैं और पढ़ भी चुके हैं। लेकिन चूँकि कॉमिक रूप में है तो पढ़ने में मज़ा आता है। लेकिन थोड़ी और काम्प्लेक्स होती तो ज्यादा मज़ा आता।अभी बहुत साधारण लगती है।
ब्लॉग की पोस्ट खंगालने पे पता चला कि मैंने ये कॉमिक्स दो साल पहले भी पढ़ी थी। लेकिन इस विषय में मुझे कुछ भी याद नहीं था। अब चूँकि पोस्ट लिख ली थी तो इसे डिलीट करने का मन नहीं किया। दो साल पहले मेरे इस कॉमिक्स के विषय में क्या विचार थे वो आप इधर पढ़ सकते हैं।
एक बार इस कॉमिक को पढ़ा जा सकता है।
आप इस कॉमिक को निम्न लिंक से मँगवा सकते हैं।
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