एक बुक जर्नल प्रतियोगिता #1- अभिषेक कुमार की प्रविष्टि

   

एक बुक जर्नल की  प्रतियोगिता #1 में हमें आपसे एक लेख की दरकार थी जिसमें कि आप ऐसी अंडररेटड किताबों के विषय में लिख कर भेजें जिन्हें वह पाठक वर्ग न मिल पाया जिस की वो हकदार थीं। ऐसी किताबें जो न किसी बेस्ट सेलर लिस्ट का हिस्सा बनती हैं और न ही कभी कोई लेख ही इन पर देखने को मिलता है। लेकिन फिर भी जब यह किताब आपकी ज़िंदगी में दाखिल होती हैं तो कई चर्चित किताबो को किनारे कर आपके मन के कोने में एक जगह बना देती हैं। प्रतियोगिता  के लिए लेख आ रहे हैं।
प्रतियोगिता के लिए अभिषेक कुमार की प्रविष्टि भी आई है। अभिषेक कुमार बीएचयू के छात्र हैं। साहित्य अनुरागी हैं और पठन पाठन के साथ लेखन में भी रूचि रखते हैं।
आइये पढ़ते हैं उनका लेख:

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यदि आप पठन-पाठन में रुचि रखने वाले व्यक्ति हैं तो ऐसे अवसर जरूर आते होंगे जब आप कोई पुस्तक पढ़ना प्रारंभ करते हैं तो लेखक के लिए बार बार मन में आदर का भाव आता है जिसका कारण होता है वो अद्भुत लेखन का प्रदर्शन जो उन्होंने अपनी रचना में प्रदर्शित की होती है। अपनी बात करूँ तो जब मैंने चित्रलेखा प्रारंभ की थी तो मेरे मन में कोई विशेष उम्मीद नहीं थी उस पुस्तक से क्योंकि न तो मैंने उस पुस्तक के बारे में ज्यादा सुना था और न ही लेखक के बारे में हालांकि उनकी एक कविता जरूर पढ़ी थी लेकिन उनके गद्य लेखन से साक्षात्कार नहीं हुआ था। जब मैंने चित्रलेखा पढ़ी थी तो हतप्रभ और अवाक रह गया था, बार बार मन में लेखक के लिए श्रद्धाभाव उमड़ रहा था। मेरे लिए यह रचना साहित्यिक चमत्कार से कम नहीं थी। इस पुस्तक के विषय में मैंने बहुतों को बताया।
भारत विशाल और विविधताओं से भरा देश है।जितने राज्य उससे अधिक भाषाएँ। इसके कारण हर भाषा का अपना अलग साहित्य। तिस पर कुछ भाषाओं का साहित्य विशाल है। अब हर व्यक्ति को हर पुस्तकों के बारे में जानकारी कैसे हो? पाठकों तक हर अच्छी पुस्तक सहज नहीं पहुँचती। कई रचनाएँ ऐसी हैं जिन्हें वह उचित स्थान नहीं मिला जिसके वे अधिकारी हैं। कुछ दायित्व हम साहित्य प्रेमियों पर है कि हम उन पुस्तकों को उचित स्थान दिलाने का प्रयास करें।
मैं अपनी तरफ से कुछ पुस्तकों के विषय में साहित्यप्रेमियों को बताना चाहूँगा। यदि आप पाठक हों तो कोशिश करें कि इन्हें पढ़कर देखा जाय।
1.बहती गंगा – शिवप्रसाद मिश्र रूद्र काशिकेय
बहती गंगा – शिवप्रसाद मिश्र ‘रूद्र’

यह लेखक का एक सार्थक एवं आवश्यक प्रयोग है। यह सामान्य उपन्यासों से भिन्न है। इसमें 10 से अधिक अलग अलग कहानियाँ हैं। लेकिन इसे उपन्यास की श्रेणी में रखा जाता है जिसका कारण उन कहानियों का किसी तरह आपस में जुड़ाव होना। इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है-“काशी”। भाषा शैली हो अथवा कहानी की पठनीयता, हर मानक पर यह उपन्यास खरा उतरता है। यह उपन्यास अपनी विलक्षणता, पठनीयता के कारण अवश्य पढ़ी जानी चाहिए।ऐसा प्रयोग विरले ही देखने को मिलता है।
किताब निम्न लिंक से मँगवा सकते हैं:
पेपरबैक | हार्डबैक


2.देहाती दुनिया – शिवपूजन सहाय

देहाती दुनिया – शिवपूजन सहाय 

इस उपन्यास की कथावस्तु ग्रामीण परिवेश से संबंधित है और ठेठ भाषा का प्रयोग भी बखूबी किया गया है। इसके प्रथम अध्याय की सुंदरता देखते ही बनती है, जिसे पढ़कर आपका मन यहीं रम जाएगा। देहाती कहावतें अतिरिक्त सुंदरता प्रदान करती हैं। ग्रामीण परिवेश को बखूबी प्रस्तुत किया गया है।

किताब निम्न लिंक से मँगवाई जा सकती है:

3.रसकपूर- आनन्द शर्मा
रसकपुर – आनन्द शर्मा
हालाँकि यह पुस्तक मैंने पूरी नहीं पढ़ी है फिर भी जितनी पढ़ी है उसी आधार पर इतना तो कह सकता हूँ कि यह उपन्यास पठनीय है। इस उपन्यास की कथावस्तु शानदार है। यह उपन्यास इतिहास पर आधारित है। यह उपन्यास जरूर पढ़ें।





4. भारती का सपूत- रांगेय राघव
भारती का सपूत – रांगेय राघव
रांगेय राघव से साहित्य प्रेमी अवश्य परिचित होंगे। उनके द्वारा लिखित विशाल साहित्य में से एक उपन्यास है -‘भारती का सपूत’।
रांगेय राघव की लेखनी से जीवनीपरक उपन्यासों की रचना प्रचुर संख्या में हुई है।प्रस्तुत उपन्यास के नायक हैं-हिंदी साहित्य के पितामह-‘भारतेंदु हरिश्चन्द्र’। उनके जीवनगाथा को अच्छी तरह से प्रस्तुत किया गया है, उनका जीवन, संघर्ष आदि। यह उपन्यास और उनके अन्य जीवनी परक उपन्यास जैसे रत्ना की बात, देवकी का बेटा, मेरी भाव बाधा हरो अवश्य पढ़े जाने चाहिए।
किताब आप निम्न लिंक पर जाकर मँगवा सकते हैं:
पेपरबैक | किंडल

5. मानस का हंस –  अमृतलाल नागर
मानस का हंस – अमृत लाल नागर 

यह उपन्यास भारतीय साहित्य की धरोहर है। क्लासिक का दर्जा पा चुकी यह कृति सहेज कर रखे जाने योग्य है।मुझे इस उपन्यास ने काफी प्रभावित किया। इस उपन्यास की भाषा शैली उत्कृष्ट है। शुरुआत में कई जगह लेखक का लखनवी अंदाज भी देखने को मिलता है। इस कहानी के नायक हैं भारतीय साहित्य के महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी। इस उपन्यास में लेखक ने उनका जीवनवृत्त विस्तार से खींचा है। साहित्य के हरेक मानक पर खरा उतरती है यह पुस्तक। साढ़े तीन सौ से ज्यादा पृष्ठों की है यह पुस्तक। पढ़ते पढ़ते चित्त इसी में तल्लीन हो जाता है और उपन्यास समाप्त होने पर मन पुस्तक में ही कहीं छूट जाता है। इस कृति को कम से कम एक बार अवश्य पढ़ें।



किताब आप निम्न लिंक पर जाकर मँगवा सकते हैं:
अभी आपने कुछ उपन्यासों के नाम पढ़े जिनको वह उचित स्थान नहीं मिला जिसके कि वो अधिकारी हैं। यह ध्यातव्य है कि मैंने शुरुआत में आपको चित्रलेखा का उदाहरण दिया तो आप यह न समझें कि हरेक उपन्यास चित्रलेखा के समक्ष ही है। हो सकता है कुछ आपको बेहतर लगें कुछ न भी लगें। एक बात यह भी कि अमृतलाल नागर की कृतियाँ तो बहुत प्रसिद्ध है तो फिर मानस का हंस का जिक्र क्यों?
मानस का हंस वास्तव में एक उत्कृष्ट उपन्यास है। कहीं कहीं तो इसे गोदान की टक्कर का उपन्यास बताया गया है। मैं अपनी भी बात करूँ तो व्यक्तिगत तौर पर मैं इस उपन्यास को अपने पसंदीदा उपन्यासों की सूची में दूसरे स्थान पर रखता हूँ। जैसा मैं देखता हूँ कि जितने प्रसिद्ध गोदान, रागदरबारी, चित्रलेखा आदि हैं उतने ही पाठकों
तक यह पुस्तक भी पहुँचनी चाहिए ताकि इसे भी उचित स्थान मिल सके।
– अभिषेक कुमार
ईमेल: abhishekkumar2000.in@gmail.com

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तो यह था प्रतियोगिता के लिए अभिषेक कुमार का लेख। लेख आपको कैसा लगा यह हमें जरूर बताईयेगा। क्या आपने इन पुस्तकों को पढ़ा है? अगर हाँ, तो अपने विचारों से हमें जरूर अवगत करवाईयेगा।  

अगर आप भी प्रतियोगिता में भाग लेना चाहते हैं तो आप भी हमें अपना लेख निम्न ई मेल पते पर ई मेल कर दीजिये:

contactekbookjournal@gmail.com

लेख भेजने से पहले प्रतियोगिता में आपको किस तरह का लेख भेजना है इसकी जानकारी आप निम्न लिंक पर जाकर एक बार अवश्य पढ़िएगा :
एक बुक जर्नल प्रतियोगिता #1

आपके लेखों का हमें इन्तजार रहेगा। याद रखें लेख भेजने की अंतिम तिथि 30 सितम्बर 2020 है।

प्रतियोगिता में शामिल सभी प्रविष्टियाँ आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
एक बुक जर्नल – प्रतियोगिता #1

© विकास नैनवाल ‘अंजान’


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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2 Comments on “एक बुक जर्नल प्रतियोगिता #1- अभिषेक कुमार की प्रविष्टि”

  1. बहुत खूब ! तीन नयी किताबों के बारे में पता चला. 'देहाती दुनिया' मैनें पढ़ी है और मेरे पास है. "मानस का हंस" और अण्डररेटेड नही. यह किताब खूब पढ़ी और सराही गयी और खूब चर्चित भी है. शायद ही कोई हिन्दी साहित्य का पाठक होगा जिसने इसे न पढ़ा हो. तुलसी पर यह सबसे लोकप्रिय उपन्यास है. बाक़ी दो किताबें मौक़ा लगते ही पढ़ूँगा और जो किताब, "रसकपूर" अभी आपने पूरी पढ़ी ही नही और न ही उसकी कथा वस्तु आदि के बारे में बताया – उसे कैसे अण्डररेटेड कह दिया.

  2. किताबों के विषय में अच्छी जानकारी मिली।
    सभी चर्चित रचनाएँ हैं।
    'मानस का हंस' और 'देहाती दुनियां' तो अपने आप में श्रेष्ठ रचनाएँ हैं।
    अच्छा आलेख, धन्यवाद।

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