डोगा डाइजेस्ट २: अदरक चाचा, गैंडा, चोर सिपाही

रेटिंग : 4/5
कॉमिक्स 10 अप्रैल 2017 से 23 अप्रैल के बीच पढ़ी गयी

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 96
प्रकाशक : राज कॉमिक्स
ISBN-10: 9332418306
ISBN-13: 978-9332418301

राज कॉमिक्स वालों से जब से डाइजेस्ट उपलब्ध करवाने शुरू किये हैं तबसे मेरी वाह वाह हो चुकी है। उनके सब किरदारों  में से मुझे सबसे ज्यादा  डोगा ही पसंद आता है। बचपन में डोगा की पूरी कॉमिक्स जमा करने की इच्छा थी जिसे अब जवानी में पूरा कर रहा हूँ।

डोगा के दूसरे डाइजेस्ट में डोगा की निम्न तीन कॉमिक्स को संकलित किया गया है:

१. अदरक चाचा 3.5 /5 

लेखक : संजय गुप्ता
सम्पादन : मनीष गुप्ता
चित्रांकन : मनु
10 अप्रैल को पढ़ा गया
अदरक चाचा कॉमिक्स की शुरुआत में सूरज के डोगा बनने की कहानी को संक्षिप्त में बताया है। डोगा अपना बदला लेने में कामयाब हो चुका है। लेकिन इस दौरान वो घातक रूप से ज़ख़्मी हो जाता है। अदरक चाचा उसे हॉस्पिटल में ले जाते हैं जहाँ वो ठीक तो हो जाता लेकिन अदरक चाचा उससे अब किसी भी  लड़ाई में भाग न लेने का वादा ले लेते हैं।

इसी दौरान मुंबई में एक खूनी गैंग अपना फन उठा रही है। उनकी खूनी वारदातों के चलते शहर में दहशत का माहौल है।

आखिर कौन है ये गैंग? क्या डोगा इनसे लडेगा या अदरक चाचा को दिए अपने वादे के अनुसार जुर्म से लड़ने के अपने इरादे से किनारा कर लेगा?

  अदरक चाचा एक रोचक कॉमिक्स थी जो डोगा की कहानी को संक्षिप्त रूप में दिखाती है। इसके इलावा इसमें अदरक चाचा और डोगा के रिश्ते को भी खूबसूरती से दिखाया गया है। वो डोगा के लिए और डोगा उनके लिए क्या महत्व रखता है कॉमिक्स को पढने के बाद साफ़ होता है। इसके इलावा इस कॉमिक्स में एक नयी गैंग का जन्म होता है। ज्यादातर कॉमिक्स में हम इस गैंग की कारगुजारियों को ही देखते हैं। डोगा और इस गैंग का मुकाबला इस कॉमिक्स में नहीं होता है। इसके इलावा इस गैंग के पीछे किसका हाथ है ये भी इस कॉमिक्स में थोडा ही पता चलता है।

इस वजह से अगर आपके पास इसका दूसरा भाग गैंडा नहीं है तो आपको कहानी थोड़ी अधूरी लग सकती है। मेरे पास ऐसा नहीं था क्योंकि मैंने तो डाइजेस्ट ली थी तो इसमें अगला हिस्सा है।

अगर आर्ट की बात करूँ तो आर्ट ठीक ठाक है। कहानी में ठुमरी, हड्ड्ल,काकू और बॉबी की चौकड़ी वो गैंग है जिसने मुंबई की नाक में दम किया गया है। ये चारों पूरे साइकोपैथ हैं जो खून करने में नहीं हिचकिचाते हैं। इनके कारनामे काफी खूनी हैं जिनका एहसास मुझे अब हुआ है। एक बार वो एक दिन में अस्सी कत्ल कर देते हैं।  ऐसा नरसंहार शायद ही एक गैंग ने कभी किया होगा। इसके बाद भी वो ऐसी कई हरकतें करते हैं।

इनका अंत क्या होता है ये मुझे अब देखना है। इस पोस्ट को लिखने से पहले मैंने अगला हिस्सा नहीं पढ़ा था।

२.गैंडा  3/5

लेखक : संजय गुप्ता 
चित्रांकन : मनु 
संपादक : मनीष गुप्ता
19 अप्रैल को पढ़ा गया

गैंडा की कहानी ‘अदरक चाचा’ की कहानी से आगे बढती है। जहाँ अदरक चाचा में डोगा अपने चाचा की कसम से बंधा था वहीं गैंडा में वो इस कसम से बंधा नहीं रहता है।

बॉबी, हड्डल और ठुमरी के आतंक से मुंबई त्राहिमान कर रहा है। उनका एक बॉस जिसका नाम है गैंडा उन्हें वो इन हमलों के लिए निर्देशित कर रहा है। वो उन्हें बताता है किधर क्या करना है?

आखिर गैंडा का मकसद क्या है? वो क्यों मुंबई में आतंक में फैला रहा है ? और सबसे बड़ी बात ये गैंडा कौन हैं?

इन्ही राज़ों का पता डोगा को  लगाना  है? क्या वो इन कुख्यात लोगों से मुंबई को निजाद दिला पायेगा?

इसके लिए तो आपको इस कॉमिक्स को पढना होगा। 


इस कॉमिक्स को पढ़ते हुए भी जिस चीज ने मुझे हिट किया वो है इसमें दिखाई गयी दुर्दांत गतिविधियाँ। बॉबी, हड्डल और ठुमरी के हरकतों से काफी लोग इस कॉमिक्स में भी मारे जाते हैं। वो झुग्गियाँ जला देते हैं जिससे काफी लोगों (सेकड़ों) की मौत हो जाती है। मुझे नहीं पता कि मुझे कॉमिक्स पढ़ते हुए ये इतना क्यों एफेक्ट कर रहा है। बचपन में इतना एफेक्ट नहीं करता था।

इसके इलावा कॉमिक्स का कथानक तेज गति से भागता है। खलनायकों और डोगा के बीच कई टकराव होते हैं जिनमे वो उस पर  भारी पड़ते हुए दिखाई देते हैं। इससे रोचकता बढती ही है।

हाँ, कॉमिक्स में मुझे मुख्य खलनायक से थोड़ी निराशा हुई। वो उतना खतरनाक नहीं था जितना कि मैंने अपेक्षा की थी। वो भी अगर डोगा के लगभग पास का या उससे थोड़ा बेहतर होता तो कॉमिक्स पढने में मज़ा बढ़ जाता। 

३. चोर सिपाही  3/5

लेखक : संजय गुप्ता 
चित्रांकन : विनोद कुमार 
संपादन : मनीष गुप्ता
23 अप्रैल को पढ़ा गया 
गैंडा को डोगा ने शिकस्त दे दी थी लेकिन इस दौरान उसे अपने हथियारों से हाथ धोना पड़ा था। फिर मुंबई ‘सिक्स-टी’ गैंग की हरकतों से थर्रा गयी। ‘सिक्स-टी’ यानी टोकन, टकला, टिकैत, टपन्चु, टुकड़ा और टिंडा ने मुम्बई में अपनी गुंडागर्दी से दहशत फैला दी थी। आधुनिक हथियारों से लेस ये गिरोह किसी यमदूत से कम नहीं थे।

जैसे ज़हर ज़हर को काटता है वैसे ही इनके हथियारों से मुकाबले के लिए जोश और जज्बे के साथ-साथ   हथियारों की भी डोगा को आवश्यकता थी। वो इस बात को  भली भाँती समझता था। 

इसीलिए जब डोगा को बिच्छू गिरोह के हथियार भण्डार के विषय में पता चला तो उसने उसे लूटकर अपने हथियारों की कमी को पूरा करने का मंसूबा बना लिया। 
इस भण्डार के विषय में चीता को भी पता था।  और उसने डोगा और भण्डार में मौजूद हथियारों को क़ानून के शिकंजे में जकड़ने का इरादा बना लिया था। 
इस चोर सिपाही के खेल में कौन विजयी होगा? क्या सिक्स टी के आतंक से मुंबई निजाद पा पायी? डोगा को इसके लिए कितने पापड़ बेलने पड़े?
कहानी की शुरुआत में डोगा को चोर बाज़ार से खरीदे हुए हथियारों से लड़ते हुए दिखाया गया है। लड़ने के दौरान ये हथियार उसे धोखा दे देते हैं जिससे इस बात को अंडरलाइन करने की कोशिश की गयी है कि हथियार उसके लिए कितने जरूरी हैं। फिर डोगा न केवल जुर्म बल्कि  जुर्म करने वालों के सफाये पे भी विश्वास रखता है तो इसलिए भी हथियार उसके लिए जरूरी हैं। मैंने छोटे में इस हथियारों के फ़ैल होने के  हिस्से को पड़ा होता तो काफी हँसता। अभी भी पहली बार पढ़ते हुए हँसी आई थी लेकिन एक बात और मन में आई। डोगा काली चाचा के बदौलत हथियारों का एक विशेषज्ञ बन चुका है। इसलिए जब उसने चोर बाज़ार से सामान खरीदा तो उसे बम के नकली होने का पता कैसे नहीं चला? राइफल और बन्दूक इतनी बुरी होंगी इसका एहसास क्यों नहीं हुआ? ये बात मेरे गले से नीचे नहीं उतरी।

ऊपर लिखी बात के इलावा कॉमिक्स मुझे पसंद आई। सिक्स टी वाकई क्रूर थे। और उन्होंने डोगा को कड़ा मुकाबला दिया जिससे पाठक के रूप में मेरा भरपूर मनोरंजन हुआ।

इसके इलावा के सीन है जिसमे डोगा ‘टुकड़े'(सिक्स-टी का एक सदस्य) को एक प्लेट जैसी चीज में बांधकर दिवार से टकराता है। जिससे ‘टुकड़े’ की चटनी सी बन जाती है। उस सीन में मेरे दिमाग में वो ध्वनि, जो टुकड़े के शरीर के टकराने से उत्पन्न हुई होगी, मैंने  महसूस की। उससे अजीब सा लगा। लगता है कल्पना अगर परिपक्व होने लगे तो नुक्सान भी होता है। हा हा।

अंत में ये ही कहूँगा एक अच्छी कॉमिक जिसने मेरा पूरा मनोरंजन किया।

इसके इलावा अगर डाइजेस्ट की बात करूँ तो इसमें डोगा, अकरम गाँधी उर्फ़ अदरक चाचा, करीम गाँधी उर्फ़ काली मिर्च चाचा, दानिया गाँधी उर्फ़ धनिया चाचा, हलीम गाँधी उर्फ़ हल्दी चाचा और कुंदन उर्फ़ इंस्पेक्टर चीता की छोटी सी जीवनी भी पृष्ठों में दी गयी है। मुझे डोगा के चारों गुरुओं के विषय में तो पता था लेकिन उनके असल नाम नार्मल होंगे ये नहीं  पता था। छोटे में अदरक, हल्दी काली नामो को सुनकर काफी खी खी करके हँसा हूँ। इस डाइजेस्ट के माध्यम से उनकी कहानी भी पता चली तो वो सोने पे सुहागा थी।

अगर आप डोगा के फेन हैं तो आपके पास ये शुरूआती कॉमिक नहीं है तो आपके लिए ये अच्छी खरीद होगी। मैं तो इसे खरीद के खुश और पूरी तरह से संतुष्ट हूँ।  मेरे पास डोगा के और भी डाइजेस्ट पड़े हैं। उनके विषय में आने वाले दिनों में लिखूँगा।

अगर आपने इन कॉमिक्स को पढ़ा है तो इनके विषय में अपनी राय जरूर दीजियेगा। और अगर नहीं पढ़ा है तो आप राजकॉमिक्स की साईट से इसे खरीद सकते हैं। मैंने अमेज़न से खरीदा था लेकिन उधर अब उपलब्ध नहीं है शायद, फिर भी वो लिंक भी दे दिया है।

राजकॉमिक्स
अमेज़न


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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2 Comments on “डोगा डाइजेस्ट २: अदरक चाचा, गैंडा, चोर सिपाही”

  1. रात का रक्षक डोगा।
    काॅमिक्स जगत का एक खतरनाक पात्र है।
    जो अपराधी को सीधी सजा देने में यकीन रखता है।

    1. जी, डोगा मेरे पसंदीदा पात्रों में से एक है। मेरे पास इसके कई डाइजेस्ट पड़े हैं जिनके विषय में अपने विचार देता रहूँगा।

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