संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 60 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: नागराज
टीम
कथा: अनुपम सिन्हा / तरुण कुमार वाही | चित्र: अनुपम सिन्हा | इंकिंग: विठ्ठल कांबले, विनोद कुमार | सुलेख व रंग: सुनील पांडेय
कहानी
नागमणि द्वीप के राजतांत्रिक विषंधर ने अपने यज्ञ से यक्ष राक्षस गरलगंट को खुश कर दिया था। उसका मकसद था गरलकंट को खुश कर के ऐसी ताकत हासिल करना जो कि नागराज को मौत का ग्रास बना देती।
और इसी तपस्या का परिणाम था कि गरलगंट द्वारा विषंधर को विषकन्या के रूप में वह शक्ति दी गई थी जो कि गरल गंट के अनुसार नागराज को मौत के घाट उतार सकती थी।
क्या सचमुच विषंधर अपने मकसद में कामयाब हो पाया?
विषकन्या और नागराज के बीच हुए युद्ध का क्या परिणाम निकला?
नागराज अपने ऊपर आने वाली इन मुसीबतों से कैसे निपट पाया?
मेरे विचार
‘विषकन्या’ राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित नागराज का विशेषांक है। यह कॉमिक बुक 1996 में प्रथम बार प्रकाशित हुआ था।
विषकन्या एक एक्शन कॉमिक है जिसमें नागराज नागमणि द्वीप के राजतांत्रिक विषंधर की चालों से निपटता हुआ दिखता है। राजतांत्रिक विषंधर ने यक्ष राक्षस गरल गंट की तपस्या करके विषकन्या के रूप में उनसे एक शक्ति प्राप्त की है। वह इस शक्ति का प्रयोग कैसे करता है यह देखना रोचक होता है।
कहानी में एक्शन भरपूर है। नागराज के समक्ष विषकन्या तो आती ही है लेकिन इसके अलावा उसे अष्ट सर्प और मकड़ा सर्पी जैसे खलनायकों से जूझना पड़ता है। इनसे नागराज को देखना रोमांचक रहता है।
कॉमिक बुक में एक्शन तो है ही साथ ही इस कॉमिक बुक में पाठकों को यह भी पता लगता है कि विषंधर नागराज से किस चीज का बदला लेना चाहता है। विषंधर अपनी कहानी विषकन्या को सुनाता है जो कि नागराज के जीवन से जुड़े कई पहलू भी पाठक के सामने लेकर आते हैं।
कहानी की कमी की बात करूँ तो चूँकि शीर्षक किरदार विषकन्या था तो मुझे लगा था कि कहानी उसके इर्द गिर्द होगी। अभी वह नागराज के लिए एक अच्छी खलनायक साबित होती है लेकिन उसे कम ही जगह मिली है। ज्यादातर वक्त नागराज तांत्रिक शक्तियों से उपजे ऐसे खलनायकों से लड़ने में बिताता है जिनके पीछे विषकन्या नहीं होती है। हाँ, इसका कारण दिया जाता है जो कि ठीक होता है लेकिन मुझे लगता है शीर्षक को न्यायोच्चित ठहराने के लिए विषकन्या को कहानी में थोड़ा अधिक जगह देनी चाहिए थी। वहीं चूँकि नागराज की मौत के लिए गरल कंट ने विषकन्या को जन्म दिया था तो उसके अंदर कुछ विशेष शक्तियाँ होती तो वह थोड़ा और मजबूत खलनायक बन पाती। अभी वह एक तरह से नागराज की शक्तियों पर ही निर्भर रहती है। कहा जाता है ज्ञात चीज से अधिक भय अज्ञात चीज का होता है। जिस चीज का आपको पता न हो उसे नियंत्रण करने में ज्यादा जद्दोजहद करनी होती है। ऐसे में अगर विषकन्या के अंदर कुछ ऐसी शक्तियाँ होती जो नागराज के लिए नितांत अपरिचित होती तो अच्छा होता। कथानक और रोचक हो सकता था।
नागराज आखिर में जिस तरह से विषकन्या पर विजय प्राप्त करता है वह भी कहानी का थोड़ा कमजोर पहलू लगा। अगर मैं विषंधर की जगह होता तो ऐसी चीज, जिसके क्षतिग्रस्त होने से मेरे सबसे खतरनाक हथियार को नुकसान पहुँच सके, को कुछ ज्यादा सुरक्षा देता। पर इधर ऐसा होता दिखता नहीं है। अगर नागराज को अपनी योजना को पूरा करने में थोड़ा और मेहनत करनी पड़ती तो शायद बेहतर होता।
आर्टवर्क की बात की जाए तो ये टिपिकल अनुपम सिन्हा जी वाला आर्टवर्क है। अगर आप उनके कॉमिक्स पढ़ रहे हैं तो इससे परिचित ही होंगे। कहानी के साथ न्याय करते हैं लेकिन आँखों को ठहरने के लिए ज्यादा कुछ नहीं देते हैं।
अंत में यही कहूँगा कि कहानी में एक्शन तो भरपूर है। हाँ, कथानक में विषकन्या के किरदार को थोड़ा और उभारा होता और उसे थोड़ा और जगह दी होती तो बेहतर होता। अगर आप एक्शन के शौकीन हैं तो कहानी आपका भरपूर मनोरंजन करेगी।
अमेज़न पर मौजूद नागराज के कॉमिक्स:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (24-05-2023) को "सारे जग को रौशनी, देता है आदित्य" (चर्चा अंक 4659) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा अंक में मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।