सतयुग | भूपिंदर ठाकुर और सुदीप मेनन | स्वयंभू कॉमिक्स

कॉमिक बुक रिव्यू: सतयुग | स्वयंभू कॉमिक्स | हिंदी

संस्करण विवरण

फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: स्वयंभू कॉमिक्स | शृंखला: सतयुग 1

टीम

कहानी: भूपिंदर ठाकुर और सुदीप मेनन | लेखन: सुदीप मेनन | चित्रांकन: कायो पेगाडो | रंग और ग्राफिक डिजाइन: संतोष पिल्लेवार | मुख्य पृष्ठ: कायो पेगाडो और मौरीसिओ | शब्दांकन और संपादक: रवि राज आहूजा | हिंदी अनुवाद: विभव पांडेय

कहानी

15 वर्षीय युगांत कपूर उर्फ युग अस्तिपुर में रहने वाला एक आम सा किशोर था। पर आजकल उसके हाल ठीक नहीं चल रहे थे। उसको रातों को एक डरावना सपना बार बार आता था और उसे पता नहीं चल रहा था कि ऐसा उसके साथ क्यों हो रहा है। उसके माता पिता भी इस कारण परेशान थे।

पर उस समय उसकी हैरानी का कोई ठिकाना नहीं रहा जब उसने देखा कि जिस जगह को वो सपने में देखा करता था वो असल में अस्तिपुर मौजूद थी।

आखिर युग के सपने के पीछे क्या राज था?
क्या उसके सपने में कोई सच्चाई थी या वो यूँ ही उसके कल्पनाशील दिमाग की उपज था?

विचार

‘सतयुग’ स्वयंभू कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित सतयुग शृंखला का पहला कॉमिक बुक है। मूलतः अंग्रेजी में सुदीप मेनन द्वारा लिखे गए इस कॉमिक बुक का हिंदी अनुवाद विभव पाण्डेय द्वारा किया गया है और अनुवाद अच्छा हुआ है। पढ़ते हुए लगता नहीं है कि आप अनुवाद पढ़ रहे हैं।

कहानी के केंद्र में एक 15 वर्षीय बच्चा युगांत कपूर है जो कि रातों के आते अपने खौफनाक सपने से परेशान है। उसके माता पिता भी इससे परेशान चल रहे हैं। ऐसे में जब एक दिन परिस्थितिवश वह उस जगह पर पहुँच जाता है जो सपने में उसे दिखती है तो वहाँ कुछ ऐसा हो जाता है जिससे उसकी जिंदगी बदल जाती है। उसे अपने विषय में एक विशेष बात तो पता चलती है और साथ ही एक ऐसा राज भी पता चलता है जो अस्तिपुर के लोगों की नजरों में 1991 से लेकर अब तक नहीं आ पाया है। एक ऐसा घिनौना राज जिसे उसे अब लोगों के समक्ष लाना है और शराफत का नकाब एक ऐसे सफेदपोश व्यक्ति के चेहरे से उतारना है जो कि इस नकाब के पीछे छुपकर अपने घिनौने कार्यों को अभी भी अंजाम दे रहा है। वह यह काम किस तरह करता है और इस दौरान उसके साथ क्या होता है यही कॉमिक में दर्शाया गया है। अधिक बताना कॉमिक बुक के स्पॉयलर देना होगा इसलिए बेहतर होगा आप पढ़कर ही उसे जाने। कथानक तेज रफ़्तार है। कथानक में कुछ ट्विस्ट भी आते हैं जो कि कथानक में रुचि बरकरार रखते हैं। चूँकि किरदार किशोर हैं तो उनके बीच की नोक झोंक भी इधर दर्शाया है जो कि मुझे मजेदार लगी।

इनसान की खाल में भेड़िये हमारे आस पास मौजूद रहते हैं। यह ऐसी जगहों पर भी रहते हैं जिन्हें हम बच्चों के लिए सुरक्षित समझते हैं लेकिन हमारे अनजान रहते रहते हमारे बच्चों के साथ क्या क्या हो जाता है इस विषय को कॉमिक बुक में उठाया गया है। यह एक ऐसा विषय है जिससे अभिभावक के तौर पर हम लोगों का परिचित होना जरूरी है और साथ ही अपने बच्चों के सामने लाना भी जरूरी है ताकि वो गलत चीज के विषय में चुप न हो जाए और उसे अपने अभिभावकों के समक्ष लाएँ।

कॉमिक बुक का नाम सतयुग है जो कि दो किरदारों के नाम से मिलकर बना है। इसमें एक किरदार तो युगांत हैं और दूसरा किरदार सत्येन्द्र है। यह सत्येन्द्र कौन हैं और क्यों युगांत के साथ उसकी जोड़ी बनती है ये देखना रोचक रहता है। सत्येन्द्र और युगांत के बीच बातचीत इस कॉमिक में कम है लेकिन युग के मजाकिया स्वभाव की हल्की सी झलक इधर देखने को मिलती है। उम्मीद है आने वाले कॉमिक बुक में इनके बीच होने वाली यह चुहुलबाजी देखने को मिलेगी। इसके अतिरिक्त कॉमिक बुक में महादर्शक नामक किरदार का जिक्र है। यह किरदार रहस्यमय लगता है और उम्मीद है आने वाले कॉमिक्स में उसकी भी कोई भूमिका रहेगी।

कॉमिक बुक की कमियों की बात करूँ तो इसमें युग और सत्येन्द्र के मिलने के लिए जो ट्रोप प्रयोग किया है वह कई बार प्रयोग हो चुका है। एक विशेष व्यक्ति को ही कोई चीज दिखना या सुनना कई बार इस तरह की कहानियों में प्रयोग किया जा चुका है तो यहाँ थोड़ा नये पन की गुंजाइश थी। अभी ये नहीं बताया गया है कि जिस किरदार को चीज दिखती थी वो उसे क्यों दिखती थी। उम्मीद है आगे की कॉमिक बुक्स पर इस पर रोशनी डालेंगे। अभी के लिए यह चीज रहस्य के रूप में छोड़ी गयी है जो कि आपको सोचने के लिए कुछ तो दे जाती है। देखना होगा इस विषय में शृंखला में आगे क्या पता चलता है।

इसके अलावा खलनायक और नायक के बीच का शोडाउन हुआ वो मुझे लगता है बेहतर हो सकता है। अभी ऐया लगता है वो काफी जल्दी आता है और साथ ही जिस तरह से घटित होता है वो उतना प्रभावी नहीं रह पता है। पाठक के तौर पर मेरा मानना है कि वह लड़ाई अधिक रोमांचक होती है जहाँ नायक अपने से बड़े खलनायक को अपनी बुद्धि या चतुराई से मार गिराए। इस भिड़ंत की शुरुआत तो ऐसे ही होती है लेकिन फिर इसमें परलौकिक शक्ति का नायक के तरफ से आना थोड़ा लड़ाई को कमजोर कर देता है क्योंकि ये एक तरफा हो जाती है। अगर पारलौकिक शक्ति दोनों तरफ से मौजूद होती तो बेहतर रहता या फिर नायक अपनी बुद्धिमत्ता या चतुराई से लड़ाई जीतता या फिर परलौकिक शक्ति मौजूद तो रहती लेकिन वह सीधे तौर पर लड़ाई में हिस्सा न ले पाती और इशारों या किसी और चीज से मामले को ऐसा बना देती कि नायक फिर अपनी सूझ बूझ से खलनायक पर विजय पा लेता तो शायद कथानक और अधिक रोमांचक हो जाता।

कॉमिक बुक की एक और बात जो मुझे खटकी वह कमी नहीं कहलाएगी पर मुझे अटपटा लगा। अस्तिपुर एक छोटा सा कस्बा प्रतीत होता है। हो सकता है मैं इसमें गलत होऊँ पर अभी जो कॉमिक बुक में दिखता है उससे ऐसा ही लगता है। कॉमिक बुक में एक नशे का कोण भी है जिसमें छात्र नशे के गिरफ्त में दिखाए गए हैं। यहाँ जो चीज मुझे खटकी वो यह थी कि 1991 की कहानी में जो नशा करते उन छात्रों को दर्शाया गया है वह असल में बड़ा महंगा रहता है। आज भी वो नशा आम लोगों की पहुँच से दूर है। अक्सर बहुत अमीर लोग ही उसे अफोर्ड कर पाते हैं। ऐसे में उस नशे का उस छोटे से कस्बे के छात्रों के बीच प्रचलित होना थोड़ा अजीब लगा। मैं 15 साल का सन 2005 में था यानी इस कहानी के घटित होने के 14 साल बाद और तब भी हमारे आस पास छात्र जो नशा करते थे वो इतना महंगा नहीं रहता था जैसा इसमें दिखाया गया है। हाँ, आदि वह इसी कॉमिक बुक के किरदारों की तरह ही होते थे। वर्तमान में 2021 में उस नशे का उपयोग फिर भी उतना नहीं खलता लेकिन फिर भी मुझे नहीं लगता कि अस्तिपुर जैसे इलाके में वो नशा आज के समय में भी उतना प्रचलित होगा।

कॉमिक बुक का आर्ट कायो पेगाडो का है। आर्ट वर्क मुझे अच्छा लगा। हाँ, महिला किरदार इक्का दुक्का साड़ी में थी और बाकी सब स्कर्ट या गाउन में ही दिखे। सूट वगैरह में महिला किरदार नहीं दिखे जबकि अधिकतर कस्बे में स्कर्ट और गाउन के बजाये महिलाएँ सूट या साड़ी में ही रहती हैं। विशेषकर 1991 में तो यह अधिक होता था। यह छोटी सी बात है लेकिन चूँकि खटकी तो इधर लिख रहा हूँ।

अंत में यही कहूँगा सतयुग शृंखला की यह पहली कॉमिक बुक एक बार पढ़ी जा सकती है। ऊपर बताई कुछ चीजों पर और अधिक कार्य होता तो यह कॉमिक बुक और बेहतर बन सकती थी। थोड़ा पृष्ठ संख्या भी बढ़ाई जा सकती थी जिससे कथानक और अधिक खिल पाता। अभी कुछ चीजें जल्दबाजी में निपटाई गयी लगती हैं। कॉमिक बुक का अंत जहाँ पर होता है वह कई संभवानाएँ इस शृंखला के लिए खोल देता है। देखना होगा कि आगे आने वाली कॉमिक्स बुक्स में युग और सत्येन्द्र की यह जोड़ी किन किन रोमांचक कारनामों से दो चार होगी। चूँकि इसमें पारलौकिक शक्ति है तो उम्मीद है ऐसे खलनायक भी देखने को मिलेंगे जो कि इन शक्तियों से लैस होंगे।


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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