काला मोती | तुलसी कॉमिक्स | आशीष रानू

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: ई-बुक | प्रकाशन: तुलसी कॉमिक्स | प्लैटफॉर्म: प्रतिलिपि | लेखन: आशीष रानू | चित्रांकन: राम वारीअकर | सम्पादन: प्रमिला जैन 
कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि

कहानी

कहा जाता था कि काले मोती में असीम शक्ति थी। उसको हासिल करने वाला व्यक्ति सर्वशक्तिमान और धनवान बन जाता था। लेकिन इसके साथ यह बात भी मशहूर थी कि काले मोती को पाना इतना आसान नहीं था। उसकी सुरक्षा के लिए ऐसे इंतजाम किये गए थे जिसे पार करने की सोचना मौत की बाहों में समाने जैसा ही था। 
ऐसे में जब सुंदरवन के राजा ने काले मोती को लाने वाले को असीम दौलत देने की घोषणा की तो नगर में रहने वाले तीन युवक रोहन, सोहन और मोहन ने इस दुरूह कार्य को करने का फैसला कर लिया। 
अपने गुरु से आशीर्वाद लेकर वह निकल पड़े उस कार्य को अंजाम देने के लिए जिसकी हिम्मत बड़े से बड़ा शूरवीर भी नहीं कर पा रहा था। 
क्या तीनों युवकों को काला मोती मिल पाया? 
इस मिशन में उनके सामने किस तरह की मुसीबतें सामने आईं? 

किरदार

रोहन, सोहन, मोहन – सुंदर वन में रहने वाले तीन अनाथ युवक
सुकन्या –  भरतनगर की राजकुमारी 
सुनीता – रणपुर राज्य की राजकुमारी 

मेरे विचार

काला मोती तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित कॉमिक है जो कि प्रतिलिपि एप्प पर पढ़ा जा सकता है। कॉमिक बुक आशीष रानू द्वारा लिखा गया है। 
कॉमिक बुक की कहानी के केंद्र में श्री कृष्ण का एक काला मोती है जिसके अंदर इतनी ताकत है कि उसे पाने वाला सर्वशक्तिमान बन जाता है। इस काले मोती के विषय में पता सबको है लेकिन चूँकि उसकी सुरक्षा के उपाय श्री कृष्ण द्वारा किये गए हैं और वह ऐसे उपाय हैं जिन्हें पार कर पाना सरल नहीं है इस कारण उन तक पहुँच पाना जान को खतरे में डालने वाली बात है। लेकिन फिर भी इसे पाने की चाह हर किसी को है। इसी चाह के चलते जब सुंदरवन का राजा इस काले मोती को उस तक लाने वाले को इनाम की घोषणा करता है तो तीन अनाथ युवक रोहन, सोहन और मोहन इसे लेने चल पड़ते हैं। यह तीनों जिगरी दोस्त हैं और ऐसे मिशन के लिए काबिल हैं। इस मिशन में आगे बढ़ने की सलाह इन्हें इनके गुरु से मिलती है। 
यह तीनों इस गुरु के पास क्या कर रहे हैं और उसने इन्हें इस काबिल कैसे बनाया कि यह इस दुरूह मिशन को अंजाम दे सकें जैसे कुछ सवाल आपके जहन में कॉमिक पढ़ते हुए उठते जरूर हैं लेकिन आपको उसका जवाब दिया नहीं जाता है। अगर दिया होता तो शायद बेहतर होता। खैर, यह कॉमिक काला मोती इन तीनों दोस्तों और उनकी दोस्ती की कहानी है। अपने मिशन के  कारण उनकी जिंदगी में क्या क्या बदलाव आते हैं यही कॉमिक का कथानक बनता है।
 कॉमिक का एक हिस्सा उनके द्वारा इस काले मोती को हासिल करने के ऊपर है और दूसरा हिस्सा उनके जीवन की कहानी कहता है जब मोती उन्हें हासिल हो जाता है। वैसे तो कॉमिक के ज्यादातर हिस्से में तीनों दोस्त एक साथ दिखते हैं लेकिन आगे जाकर ऐसी घटनाएँ होती हैं जिससे केन्द्रीय किरदार मोहन लगने लगता है। इन दोनों हिस्सों में इन लोगों को अलग अलग मुसीबतों का सामना करना पड़ता है और यह मुसीबतें कहानी में एक्शन मुहैया करवाती हैं। 
कथानक सीधा सरल है। कहानी में एक साजिश के चलते ट्विस्ट आता भी है तो वह इतना चौंकाता नही है। 
कॉमिक बुक में कुछ गलतियाँ भी हैं जिनमें से कुछ प्रिंटिंग मिसटेक हैं और एक आध प्लॉट होल हैं। 
कॉमिक में एक प्रसंग है जब रोहन, सोहन और मोहन गुफा में घुसते हैं। वहाँ ये तीनों अलग अलग मुसीबतों से जूझते हैं। लेकिन फ्रेम में दो बार सोहन ही लिखा गया है। यह प्रिंटिंग की गलती है। एक बार रोहन और एक बार सोहन होना चाहिए था। 
दो दो सोहन

आगे जाकर जब तीनो युवकों को भगवान श्रीकृष्ण उपहार देने की बात करते तो हैं लेकिन जब उपहार देने की बारी आती है तो वह दो को ही देते हुए दिखाए गए हैं। यह चीज भी अटपटी लगी। 

कहानी के आखिर में मोती छीनने के लिए एक साजिश रची जाती है। उस साजिश के तहत एक किरदार की तलवार बदलने की योजना बनाई जाती है। लेकिन योजना बनाने वाले  व्यक्ति को तलवार के विषय में कैसे पता चला इस पर कोई रोशनी  नहीं डाली जाती है? हथियारों में जान होने वाली बात ऐसी थी जो कि गुप्त थी। ऐसे में किसी दुश्मन को उसका पता होना थोड़ा अटपटा लगता है। वहीं अगर यह बात सार्वजनिक भी  थी तो किरदार की पत्नी को इसके विषय में पता होना चाहिए था। ऐसे में किरदार की पत्नी ने जो किया उसे वो नही करना चाहिए था। यह प्लॉट हॉल थोड़ा खलता है। 
जब कहानी आगे बढ़ती है तो हम पाते हैं कि साजिश में फँसने वाले किरदार के गुरु को यह पता रहता है कि उस किरदार के साथ क्या हो गया है। गुरु जो इस विषय में जानकारी हुई यह बात ज्यादा साफ होती तो बेहतर होता।  
कथानक की बात तो हो गयी। कथानक के आर्टवर्क की बात करूँ तो इसे औसत से कम ही कहूँगा। आर्टवर्क ऐसा लगता जैसे किसी इन्टर्न ने किया हो। यह बेहतर हो सकता था। 
कॉमिक की एक कमी प्रकाशक द्वारा इसे प्रतिलिपि में अपलोड करने में भी हुई है। प्रतिलिपि में यह कॉमिक 6 भागों में विभाजित है। पाँच भागों में तो सब कुछ सही है लेकिन छठवें भाग में कॉमिक के कई पैनल दो दो बार अपलोड हुए हैं। इस चीज से बचा जा सकता था। 
अंत में यही कहूँगा कि काला मोती एक्शन से भरपूर तो है लेकिन फिर भी कथानक साधारण है। कुछ चीजें जिन पर वक्त लगाया जा सकता था वो एक आध पैनल में ही निपटा दी गयी हैं। ऐसे में उन चीजों का उतना प्रभाव नही पड़ पाता है जितना कि पड़ना चाहिए था। आपको पता रहता है कि नायकों को मोती मिल जाएगा। फिर जैसे कथानक आगे बढ़ता है आपको इसका अंदाजा रहता है कि क्या होने वाला है। और वह सब होते जाता है। कहानी में थोड़ा घुमाव होता, या मुसीबतों से नायक जूझते हुए दिखलाये जाते  तो शायद यह और रोमांचक बन सकती थी। फिर भी कॉमिक एक बार पढ़ा जा सकता है।  

कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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