संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता | शृंखला: डोगा #19
टीम
लेखक: तरुण कुमार वाही | सहायक: राजा | चित्रांकन: मनु
कहानी
महानगर में इस समय दहशत का माहौल था। कोई था जो धनाढ्य लोगों को मार रहा था। वह चुन चुन कर ऐसे अमीर लोगों को मार रहा था जो अमीर थे और अकेले रहते थे। मारने के बाद वो उनके शरीर को सुनहरे रंग से रंग देता था।
यही कारण था मीडिआ ने उसे गोल्डन हत्यारा का नाम दिया था।
महानगर की पुलिस भी अब तक उस कातिल को पकड़ने में नाकामयाब साबित हुई थी। डोगा को भी वह गच्चा देने में सफल रहा था।
आखिर कौन था ये गोल्डन हत्यारा?
क्या डोगा इस कातिल को रोक पाया?
मेरे विचार
‘गोल्डन हत्यारा’ राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित डोगा का कॉमिक बुक है। कॉमिक बुक प्रथम बार जनवरी 1995 में प्रकाशित हुआ था। कॉमिक बुक का यह संस्करण 2022 में राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता द्वारा प्रकाशित किया गया है। कॉमिक बुक का लेखन तरुण कुमार वाही द्वारा किया गया है और इसका चित्रांकन मनु द्वारा किया गया है।
‘गोल्डन हत्यारा’ की शुरुआत एक सुनहरी लाश से होती है। कोई है जो महानगर में लोगों को मार रहा होता है। अब इस ‘कोई’ जिसको मीडिआ गोल्डन हत्यारा कहती है के पीछे डोगा और पुलिस पड़ जाते हैं। उनका टकराव भी होता है लेकिन वह उन्हें छकाता हुआ निकल जाता है। कैसे डोगा इस हत्यारे से पार पाता है यही कॉमिक बुक बनता है।
कॉमिक बुक में गोल्डन हत्यारा नाम का खलनायक तो है ही साथ में एक और खलनायक है जो कि कथानक में नायक के मन में संशय पैदा करता है और कथानक को थोड़ा और रोमांचक बनाता है। यह खलनायक एक कुबड़ा है और जिस तरह से डोगा का मुकाबला करता है वो मजेदार रहता है।
कथानक में मौजूद यह दोनों खलनायक डोगा को कड़ी चुनौती देते दिखते हैं जो कि इनके टकराव को रोमांचक बना देता है।
यह एक एक्शन से भरा कॉमिक बुक है जिसका कथानक भले ही कमजोर हो लेकिन एक्शन इसकी भरपाई कर देता है।
कथानक की कमी की बात करूँ तो मुख्य खलनायक अपने शिकार को मारने के बाद उसे सुनहरे रंग से रंग देता था। यह एक खतरे वाला काम था और आदमी इसे तभी अंजाम देगा जबकि इसके पीछे कोई पुख्ता कारण हो। पर कथानक में ऐसा कोई कारण नहीं दिया गया है।
गोल्डन हत्यारे की पहचान उजागर करने के लिए लेखक ने संयोग का सहारा लिया है। यह संयोग अगर कथानक में न होता और डोगा अपने दम पर हत्यारे की पहचान कर पाता तो बेहतर होता। ये काम डोगा के लिए आसान भी था। उसने खलनायक को घायल भी कर लिया था और उसके कुत्तों ने उसका रास्ता भी रोक लिया था। ऐसे में उसकी कुत्ता फौज द्वारा उसकी गंध से उसका पता लगाकर डोगा को उस तक पहुँचाया जा सकता था। मुझे लगता है कि अगर लेखक इतना सा बदलाव कहानी में कर देते तो उस संयोग की भूमिका बनाने के लिए जो तीन पृष्ठ लगे हैं वो कथानक को और रोमांचक बनाने में लग सकते थे।
इनके अतिरिक्त एक और बात थी जो मुझे समझ नहीं आयी। राज कॉमिक्स में डोगा मुंबई में रहता है और नागराज महानगर में रहता है। यहाँ डोगा को महानगर में रहता दर्शाया गया है। क्या ये महानगर और नागराज वाला महानगर अलग अलग हैं? डोगा को इधर रहता क्यों दर्शाया गया है? या इधर मुंबई होना था और अभी संपादकीय त्रुटि के कारण महानगर इधर लिखा हुआ है। मुझे यह चीज समझ नहीं आयी। अगर आपको इस बारे में कुछ पता हो तो टिप्पणी करके बताइएगा।
कॉमिक बुक की आर्टवर्क की बात करूँ तो आर्टवर्क मनु का है और वो मुझे हमेशा से पसंद आता है। इसमें भी पसंद आया है।
अंत में यही कहूँगा कि यह कॉमिक एक बार पढ़ सकते हैं। कॉमिक बुक में एक्शन अच्छा है। अगर ऊपर बताए बिंदुओं पर ध्यान दिया होता तो कॉमिक बुक और बेहतर सकता था। अभी एक बार इसे पढ़ सकते हैं।
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