संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 60 | लेखक: तरुण कुमार वाही | परिकल्पना: भरत | सहयोग: विवेक मोहन | पेंसिलिंग: सुरेश डीगवाल | इंकिंग: नरेश कुमार | कैलीग्राफी: टी आर आज़ाद | रंग संयोजन: सुनील पाण्डेय | श्रृंखला: डोगा, गमराज
कहानी:
गमराज और डोगा वैसे तो मायानगरी मुंबई के निवासी थे लेकिन उनके जीवन जीने का फलसफा धरती के दो ध्रुवों के समान अलग अलग था। एक दया का सागर था तो दूसरा एक ऐसा इनसान जो कि इनसानियत की रक्षा के लिए खुद दुर्दांत हत्यारा बन गया था।
और अब मुंबई के ये दो बाशिंदे एक दूसरे के सामने खड़े थे। गमराज ने ये फैसला कर दिया था कि वह डोगा की क्रूरता पर लगाम लगाकर रहेगा। और इसके लिए उसे जो कुछ करना पड़े वह करेगा।
आखिर क्यों हुआ था गमराज डोगा के खिलाफ ?
डोगा को रोकने के लिए क्या करने वाला था गमराज ?
गमराज के इन प्रयासों का जवाब क्या डोगा ने दिया?
और इस टकराव का आखिर क्या नतीजा निकला?
मेरे विचार:
डोगा ने मारा
डोगा और
गमराज का एक हास्य कॉमिक बुक विशेषांक है। राज कॉमिक्स के हास्य किरदारों की बात करूँ तो गमराज के कॉमिक बुक्स शायद मैंने सबसे कम पढ़े होंगे। इसका एक कारण यह भी था कि मेरे मामा(जिनके संग्रह से अक्सर मैं कॉमिक बुक लिया करता था और अभी भी काफी बार लेता हूँ) के पास गमराज के कम ही कॉमिक बुक रखे हुए थे। फिर जब खुद खरीदने की बात आती थी तो मैं अक्सर सुपर हीरो कॉमिक बुक्स या हॉरर कॉमिक्स बुक्स को तरजीह देता हूँ। अब यही देख लीजिये कि एक बुक जर्नल पर मैं काफी कॉमिक बुक्स के विषय में लिख चुका हूँ लेकिन आज गमराज के किसी कॉमिक पर पहली बार लिख रहा हूँ।
अब अगर सोचता हूँ तो पाता हूँ कि मुझे यह तो पता है कि गमराज के कुछ कॉमिक्स मैंने पढ़े हैं लेकिन वह कौन से हैं इसका मुझे आज के वक्त में कोई इल्म नहीं है। इसलिए इस बार जब हवलदार बाहदुर की कॉमिक्स लेने मामा के पास गया तो गमराज की कॉमिक्स उनके पास देखकर इसे उठा लिया। सोचा चलो इस हास्य किरदार के कॉमिक बुक भी पढ़ कर देख लें। फिर इसमें
डोगा भी था तो मेरे लिए अच्छा सौदा था।
डोगा मुझे वैसे भी पसंद है।
प्रस्तुत कॉमिक बुक की बात करूँ तो यह एक मनोरंजक हास्य कॉमिक्स है। कॉमिक बुक में गमराज अपने भोलेपन के चलते कुछ ऐसे संदिग्ध किरदारों की बातों पर विश्वास कर लेता है जिन पर उसे विश्वास नहीं करना चाहिए था। इसके चलते जो परिस्थितियाँ उत्पन्न होती है वह जहाँ एक तरफ हास्य उत्पन्न करती हैं वहीं दूसरी तरफ यह सीख भी देती हैं कि व्यक्ति में परोपकार की भावना होना अच्छी बात तो है लेकिन इसके साथ इस बात की समझ का होना भी जरूरी है कि कहीं अच्छाई का फायदा कोई बुरा व्यक्ति तो नहीं उठा रहा है।
डोगा ने मारा के कथानक की बात करूँ तो यह मुझे पसंद आया। आपको पता है कि डोगा और गमराज का टकराव होना है। दोनों के बीच शारीरक ताकत में जो फर्क है आप इस बात से वाकिफ हैं और इसलिए यह टकराव देखने के लिए आप उस्तुक रहते हैं। कहानी का अंत कैसे होगा यह तो पता ही रहता है लेकिन अंत तक पहुँचने में जो हास्य पैदा करने वाली परिस्थितयाँ रहती हैं वह भरपूर मनोरंजन करती हैं।
कहानी में जिस तरह से गमराज और डोगा परिचय करवाया गया है वह भी मुझे काफी पसंद आया। लेखक तरुण कुमार वाही इन दोनों के परिचय के माध्यम से शुरुआत में ही पाठकों को संदेश देते हैं जो गौर करने लायक है। कहानी में डोगा और गमराज के बीच की बातचीत चुटीली है और डोगा का एक हसोड़ रूप भी देखने को मिलता है। वहीं गमराज की डोगा को पछाड़ने के लिए की जाने वाली तैयारी भी रोचक है। वह जिम में वही हरकतें करता है जो कि कई नये लोगों को करते हुए मैंने देखा हैं। कॉमिक के इस हिस्से को पढ़ते हुए कई परिचितों का चेहरे मेरी नजरों के सामने से गुजर रहे था। गमराज है तो उसके साथी शंकालू और यामुंडा भी इधर मौजूद हैं। यामुंडा जब आता है अपनी छाप छोड़ देता है।
कॉमिक में आर्टवर्क सुरेश डीगवाल का है। यह नाम मैंने पहली बार सुना है लेकिन आर्टवर्क मुझे अच्छा लगा है। यह कहानी के साथ न्याय करता है।
अंत में यही कहूँगा कि एक यह एक हल्की फुल्की कॉमिक बुक है जो कि आपको हँसाने के साथ एक सीख भी दे जाती है। कॉमिक बुक मुझे पसंद आया। इसे एक बार पढ़ा सकता है।
कॉमिक के अंत में प्रकाशक द्वारा गमराज के परमाणु, इंस्पेक्टर स्टील और कोबी भेड़िया के साथ किये गये करनामों को दर्शाती उन कॉमिक बुक्स का जिक्र है जो ‘डोगा ने मारा’ के बाद वह प्रकाशित करने वाले थे। यह कॉमिक बुक्स भी मुझे रोचक लग रही हैं और अगर मौका मिलेगा तो मैं इन्हें जरूर पढ़ना चाहूँगा।
अगर आपने ‘डोगा ने मारा’ को पढ़ा है तो मुझे जरूर बताइयेगा कि आपको यह कैसी लगी। अगर आपने गमराज के कॉमिक बुक्स पढ़े हैं तो अपने पसंदीदा पाँच कॉमिक्स के नाम साझा जरूर करियेगा।
©विकास नैनवाल ‘अंजान’
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बढ़िया कॉमिक्स। अच्छी समीक्षा। गमराज की ज्यादा नहीं पढ़ी। डोगा तो फेवरेट है।
जी आभार….
बहुत सुन्दर और सटीक समीक्षा।
जी आभार…..
किंग कॉमिक्स, राज कॉमिक्स की एक इकाई थी जो कुछ साल चली। उसके बाकी किरदार नियमित चल नहीं पाए, लेकिन अपने मूल प्लॉट, अलग तरह के सहायक किरदारों की वजह से गमराज को किंग कॉमिक्स बंद होने के बाद भी राज कॉमिक्स में जारी रखा गया। काफ़ी समय तक गमराज का कोई विशेषांक (सिर्फ़ 30 पेज की कॉमिक आती थी) न आने की वजह से प्रशंसकों ने विशेषांकों की मांग की। उसके बाद 'डोगा ने मारा' से गमराज के विशेषांक आए। उसके शुरुआती विशेषांक एक सीरीज़ की तरह थे जिनमें वह सोलो न होकर डोगा, परमाणु, कोबी-भेड़िया, इंस्पेक्टर स्टील, और शक्ति के साथ आया।
एक समय (2008-2009) में गमराज के ज़रिये मैंने भी राज कॉमिक्स के लिए लिखने की कोशिश की थी, पर कई आईडिया और फिर एक 64 पेज की स्क्रिप्ट अप्रूव नहीं हुई। मुझे यह भी बताया गया की गमराज को लगभग बंद किया जा रहा है, इसलिए दूसरे किरदारों पर लिखूं। हालांकि, पढ़ाई-नौकरी की वजह से जितनी मेहनत गमराज के उन आईडिया पर की थी उतना फिर राज कॉमिक्स के लिए कभी बैठ नहीं पाया। इस बात का हमेशा मलाल रहेगा।
वह रोचक जानकारी दी आपने। रही बात मेहनत की तो अभी भी देर नहीं हुई है। जब जागो तभी सवेरा आपने सुना ही होगा। बैठिये और लिखना शुरू कीजिये। मुझे यकीन है आप कुछ अच्छा ही लिखेंगे।