संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 60 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: नागराज
टीम
कथा व चित्र: अनुपम सिन्हा | इंकिंग: विट्ठल कांबले | सुलेख व रंग: सुनील पांडेय
कहानी
नागराज ने महानगर में रहने का फैसला कर लिया था। और उसके घर में अपराध नामक गंदगी वह बर्दाश्त नहीं कर सकता था।
इसलिए उसने महानगर के अपराधियों के खिलाफ एक मुहिम सी चला दी थी। अपराधियों के सारे धंधे चौपट से कर दिए थे।
और इसने महानगर के आपराधिक दुनिया के सरताज क्राइम किंग हेड को नागराज का दुश्मन बना लिया था।
सुप्रीम डॉन हेड ने फैसला किया था कि वो नागराज को अपने रास्ते से हटा देगा।
आखिर सुप्रीम डॉन हेड ने नागराज को रास्ते से हटाने के लिए क्या किया?
क्या नागराज सुप्रीम डॉन हेड की चालों को मात दे पाया या जीत गया क्राइम किंग!
विचार
क्राइम किंग राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित नागराज का विशेषांक है। प्रथम बार 1996 में प्रकाशित इस विशेषांक की कहानी और चित्र
अनुपम सिन्हा (Anupam Sinha) द्वारा किए गए हैं।
नागराज इस कॉमिक्स से पहले दुनिया भर में आतंक और अपराधियों का सफाया करने के लिए घूमता रहता था लेकिन इस कॉमिक में वह महानगर में रहने का निर्णय ले चुका है। महानगर में बसने के बाद वह जिस पहले बड़े अपराधी से टकराता है और इस टकराव में उसे किन किन मुसीबतों से होकर गुजरना होता है और इस टकराव का जो अंजाम होता है वही सब इस कॉमिक बुक का कथानक बनता है।
कॉमिक बुक में नागराज अपराधियों से लड़ता तो दिखता ही है साथ में भारती के साथ के उसके समीकरण भी उजागर होते हैं। भारती कैसे भारती कम्यूनिकेशन की मालकिन बनी वह भी इधर दिखता है।
खनलायक के रूप में सुप्रीम डॉन हेड एक रोचक किरदार है। उसके शरीर का केवल सर ही वह हिस्सा है जो कार्य करता है लेकिन फिर भी वह महानगर की आपराधिक दुनिया पर् राज करता है। तकनीक का प्रयोग कर उसे चीजों को प्राणघाती हथियारों में बदलने में उसे महारत हासिल है। नागराज के खात्मे के लिए जो योजनाएँ वो बनाता है उनसे नागराज को जूझते देखना कॉमिक बुक को रोमांचक बना देता है। कॉमिक पढ़ते हुए मैं यही सोच रहा था कि इतनी उन्नत तकनीक का ज्ञाता होंने के बावजूद उसने खुद के लिए शरीर का निर्माण क्यों न किया? कॉमिक में एक प्रसंग है जिसमें वह एक ऐसी गाड़ी (शायद ट्रांसफॉर्मर से प्रेरित) का मालिक होता है जो वो कंट्रोल करता है और जो उसके आदेश पर् खूनी रोबोट बन जाती है। अगर हेड के पास शरीर होता तो शायद वह नागराज को हरा ही देता क्योंकि अभी ही वह उसको नाकों चने चबवा ही देता है।
अक्सर नागराज की कॉमिक्स जब ध्रुव के साथ आती है तो दिमाग का काम ध्रुव के लिए छोड़ दिया जाता है और नागराज उतना बुद्धिमान नहीं प्रतीत होता है। लेकिन इस कॉमिक में नागराज की सूझ बूझ का भी प्रदर्शन होता है।
कॉमिक के अंत में एक रोचक अंश है जो कि भारतीय कम्यूनिकेशन से संबंधित है। वो भारती कम्यूनिकेशन की सैटलाइट से धरती के लोगों को काबू करने की बातें कर रहे होते हैं। वो कौन लोग थे जो कि यहाँ दर्शाये गए थे और क्या उन्हें लेकर कोई कॉमिक्स आई हैं? अगर आपको इसकी जानकारी हो तो मुझे अवश्य बताइएगा।
कहानी की कमी की बात करूँ तो अगर आपको एक्शन से भरपूर रोमांचक कहानियाँ पसंद हैं तो आपको ज्यादा कमी नजर नहीं आएगी। पर आप कहानी में ट्विस्ट चाहते हैं तो ट्विस्ट की कमी आपको थोड़ा निराश कर सकती है। कहानी में दो ही मुख्य ट्विस्ट हैं। वहीं मुख्य खलनायक के अलावा एक ही ऐसा खलनायक है जो नागराज की टक्कर का दिखता है। ऐसे में अगर कुछ और रोचक छोटे खलनायक होते तो मज़ा अधिक आता। कॉमिक में हेड का एक गुलाम तमारा भी रहता है जो कि कॉमिक की शुरुआत में आता है लेकिन वो बाद में नदारद रहता है। उसका क्या होगा? ये कॉमिक के अंत में सोच रहा था।
साथ ही नागराज असल अपराधी तक खुद नहीं पहुँचता है बल्कि अपराधी द्वारा उसे फाँसा जाता है। अगर नागराज खुद तहीकत करके सबूत जुटाकर पहुँचता तो बेहतर होता लेकिन फिर कॉमिक के पृष्ठ बढ़ जाते। वैसे भी कॉमिक में पृष्ठों का भी ध्यान रखने के कारण थोड़े बहुत समझौते तो लेखक को करने ही होते हैं।
कॉमिक बुक में आर्ट वर्क अनुपम सिन्हा का है और कहानी के साथ न्याय करता है।
अंत में यही कहूँगा कि क्राइम किंग एक रोमांच से भरपूर कॉमिक बुक है जो पाठक का मनोरंजन करने में सफल होता है। अगर एक्शन आपको पसंद है तो निराश नहीं होंगे।
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