कॉमिक बुक 18 दिसम्बर 2020 को पढ़ा गया
संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | श्रृंखला: डोगा | लेखक: तरुण कुमार वाही | चित्रांकन: मनु | आवरण: धीरज वर्मा
समीक्षा: हड़ताल – तरुण कुमार वाही |
कहानी:
मुंबई पुलिस की नाक कहे जाने वाला चीता आज मुंबई पुलिस की बदनामी का कारण बना था। बस्ती के गरीब लोग उसके खून के प्यासे थे। बस्ती के लोगों के माने तो उसने बड़ी निर्दयता से एक पूरी बस्ती को जला दिया था जिसके कारण कई मासूमों की जान चली गयी थी।
वह इंसाफ चाहते थे। वहीं चीता को अपनी सफाई में कुछ नहीं कहना था। वह चुप था और उसकी चुप्पी शहर के लिए खतरनाक होने जा रही थी। एक ऐसी हड़ताल मुंबई में होने जा रही थी जैसी आज तक नहीं हुई थी।
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अब डोगा ही इस समस्या का निदान कर सकता था।
क्या चीता के ऊपर लगाये गये इल्जामों में कोई सच्चाई थी?
आखिर चीता क्यों चुप था?
आखिर शहर में कैसी हड़ताल होने वाली थी?
क्या डोगा इन सवालों के जवाब ढूँढ पाया?
मेरे विचार:
हड़ताल राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित ‘डोगा डाइजेस्ट 5’ में संकलित तीन कॉमिक बुक्स में से पहला कॉमिक बुक है। यह तीनों कॉमिक बुक एक ही सीरीज का हिस्सा हैं जो कि इस डाइजेस्ट में प्रकाशित हुई हैं।
कॉमिक के कथानक की बात करूँ तो यह शुरुआत से ही आपकी उत्सुकता जगा देता है। कई प्रश्न हैं जो कि कॉमिक बुक पढ़ते हुए आपके मन में उठते चले जाते हैं। इन प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए आप कॉमिक बुक पढ़ते ही चले जाते हैं। वहीं कई नये किरदार जैसे काला और फौजी भी कॉमिक बुक में आते हैं। यह कौन हैं और चीता का इनसे क्या रिश्ता है यह सवाल आपको कॉमिक बुक पढ़ने में विवश कर देता है।
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चूँकि यह डोगा की कॉमिक है तो उसे आना ही है लेकिन वह कॉमिक बुक में आखिर के नौ पृष्ठों में ही एंट्री मारता है। और वह भी अभी मामले को समझ रहा होता है। हाँ, अंत तक पहुँचते पहुँचते उसे ऐसी बातें पता चल जाती है जो कि पाठक के मन में आगे का भाग जगाने के लिए उतुस्कता जागृत कर देती हैं।
चूँकि यह श्रृंखला का पहला भाग है तो कथानक अभी स्थापित ही किया जा रहा है। कथानक के अंत में काफी प्रश्न अनुत्तरित रह जाते हैं जिनका जवाब जानने के लिए पाठक अगला भाग ‘डोगा जिंदाबाद’ तो पढ़ेगा ही पढ़ेगा।
इस हिसाब से यह भाग अपने लक्ष्य में सफल तो होता ही है। बस अब देखना है कि अगले भागों में कथानक उम्मीद पर खरे उतरते हैं या नहीं। चूँकि यह तीन भागों में विभाजित कथानक है तो मुझे उम्मीद है कि दूसरा भाग भी काफी अच्छा होने वाला है।
कहानी के अलवा कॉमिक बुक के आर्टवर्क की बात करूँ तो जहाँ कवर आर्ट धीरज वर्मा का है वहीं अन्दर का चित्रांकन मनु द्वारा किया गया है।
कवर आर्ट अच्छा है और कथानक के प्रति रूचि जगाता है। आवरण चित्र जहाँ एक तरफ बस्ती के बाशिंदों पर गोली चलाता चीता दिखता है वहीं डोगा ने भी अपनी बंदूक की नाल किसी व्यक्ति की नाक में ठूँसी हुई है। जहाँ आप एक तरफ इंस्पेक्टर चीता की इस हरकत के विषय में सोचने लगते हो कि वह क्यों कर रहा है वहीं दूसरी तरफ आप सोचते हो कि वह कौन है जो कि डोगा के गुस्से का शिकार बना है। डोगा उसके साथ जो कर रहा है वह क्यों कर रहा है। यह कहानी के प्रति उतुस्कता पैदा करते हैं।
मनु द्वारा किया गया चित्रांकन भी अच्छा है। वैसे भी मुझे चित्रांकन से तब तक दिक्कत नहीं होती है जब तक कि वह हद से ज्यादा खराब न हो। और इधर तो ऐसा दूर दूर तक नहीं है।
अंत में यही कहूँगा कि यह कॉमिक बुक मुझे पसंद आया है। यह अगले कॉमिक बुक के प्रति भी रोचकता जगाने में कामयाब होता है जो कि मेरी नजर में इसे सफल बनाता है।
रेटिंग: 3.5/5
अगर आपने इस कॉमिक बुक को पढ़ा है तो आपको यह कैसा लगा मुझे जरूर बताईयेगा। डोगा के वह कौन से कॉमिक बुक हैं जो आपको सबसे ज्यादा पसंद हैं यह भी जरूर बताइयेगा।
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
पुलिस की हड़ताल वाली ये कॉमिक्स मैंने भी पढ़ी थी। डोगा की कॉमिकसें अच्छी होती हैं। अन्य सुपरहीरो की तुलना में रियलटी बेस्ड होती हैं।
जी सही कहा….मुझे भी वो पसन्द आते हैं…