सूरज पॉकेट बुक्स द्वारा हाल ही में नई पुस्तकों की घोषणा की गयी। अप्रैल में यह उनका दूसरा सेट है जो कि लाया जा रहा है। इससे पहले भी उनकी कुछ किताबें आई थीं ।
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इस नये सेट में प्रकाशित किताबों की बात करें तो इसमें एक मर्डर मिस्ट्री, एक मध्यकालीन युग की कथा, एक प्रेम कहानी और परशुराम शर्मा के तीन अलग अलग फ्लेवर के उपन्यास मौजूद हैं। यह उपन्यास आपको सूरज पॉकेट बुक्स की साईट में और अमेज़न में ही मिल जायेंगे।
आइये जानते हैं यह किताबें कौन सी हैं।
राख
राख लेखक जितेन्द्र नाथ का प्रथम उपन्यास है। यह एक रहस्यकथा है जिसे उन्होंने प्रेम नगर नाम के शहर में बसाया है। अगर आप रहस्यकथाओं के शौक़ीन हैं तो आपको यह उपन्यास जरूर पसंद आएगा।
किताब के विषय में:
प्रेम नगर में एक के बाद एक होती हुई मौत की अबूझ पहेली के चक्रव्यूह में उलझा हुआ था इंस्पेक्टर रणवीर कालीरमण, जिसे सबूत के नाम पर हासिल थी सिर्फ ‘राख’ । एक ऐसी कहानी जिसमें मौत के नाच के बीच दबा था एक ऐसा अनसुलझा रहस्य जिसका अंदाजा किसी को भी नहीं था ।
सव्यासाची
सव्यासाची लेखक आकाश पाठक का लिखा हुआ उपन्यास है। मध्युगीन काल में बसाया गया यह कथानक एक युद्ध की कहानी है। अगर आप ऐतिहासिक गल्प या उस पृष्ठभूमि में बसाए गये कथानक पसंद आते हैं तो यह उपन्यास आपको जरूर पसंद आएगा।
किताब के विषय में:
वर्षों पूर्व शांति स्थापित करने के लिए जिस एकद्वीप का विभाजन हुआ था, आज वही एकद्वीप खड़ा है एक भीषण युद्ध की विभीषिका पर।
दक्षिणांचल का महाराज शतबाहु जल दस्युओं की सहायता से पुनः अखंड एकद्वीप का निर्माण करना चाहता है, परंतु उसके परिणाम सबके लिए भयावह होने वाले हैं।
मेघपुरम को लक्ष्य बना कर अपने ग्राम से निकला कौस्तुभ क्या मायावियों, वनवासियों और मार्ग की अन्य बाधाओं को पार कर अपने गंतव्य तक पहुँच पायेगा?
मरुभूमि के आश्रम में शिक्षा प्राप्त कर रहा शिखी क्या अपने साथ घट रही घटनाओं और स्वयं की वास्तविकता को जान पायेगा?
सिंधु के तट पर बसे प्रसान नगर में छद्म रूप में रह रहा युवराज यशवर्धन क्या समय से पूर्व वर्षानों के षडयंत्र को समझ पायेगा?
किस प्रकार जुड़े हैं यह सभी आने वाले युद्ध से?
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नोट बुक
कबीर अहमद का उपन्यास नोटबुक दो प्रेम कहानियों से बना हुआ है। यहाँ एक तरफा प्रेम भी है और दो तरफा प्रेम भी मौजूद है। अगर प्रेम कहानियों में आपकी रूचि है तो आपको यह जरूर पसंद आएगी।
किताब के विषय में:
नोटबुक में दिल को कचोट देने वाली दो कहानी हैं। दोनों दो अलग पहलू पर हैं । पहली- एक तरफा प्यार की कहानी और दूसरी- दो तरफा प्यार की कहानी।
एक तरफा प्यार की कहानी कबीर और सनाया के इर्द-गिर्द घूमती है। प्यार के किस्सों में जूझते हुए उसकी मुलाकात कसोल ट्रिप पर आंँचल, सैंडी, नीरज और ज्योति से होती है। कसोल ट्रिप पर जब सभी के किस्से कहानी निकलते हैं तो पता चलता है कि किस ने जिंदगी में क्या खोया और अब वह उससे कैसे जूझ रहा है।
दो तरफा प्यार के बंधन मे फंसे कबीर और मेघना हजारों दुखों के चक्रवात में घिरने के बावजूद प्यार के लिये डटे रहते हैं। अक्सर ऐसी प्रेम कहानियां अंत में सामाजिक दायित्व के कारण समाप्त हो जाती हैं, पर इस कहानी में कबीर और मेघना का मिलन अलहदा है।
दंगा फसाद
धर्मं की आड़ में सदियों से लोग अपराधों को अंजाम देते आ रह हैं और यह प्रवृत्ति केवल एक धर्म के अनुयायियों में नहीं दिखती वरन हर धर्म में ऐसा होता दिखता रहा है। परशुराम शर्मा का यह उपन्यास दंगा फसाद इसी विषय को लेकर लिखा गया है। यह विषय हमेशा ही प्रासंगिक रहा है और आज भी प्रासंगिक है।
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पाप का मंदिर
किताब के विषय में:
‘पाप का मन्दिर’ हमारी संस्कृति के वर्तमान समाज पर एक चोट है । आज के युग में देवता बनना जितना आसान है, इंसान बनना उतना ही मुश्किल है । इसी विषय पर यह उपन्यास लिखा गया है । इसके अतिरिक्त बहुत से पेचीदा सवाल इसमें उछाले गए हैं । सैशन कोर्ट किसी व्यक्ति को यदि मृत्यु दंड की सजा देता है तो हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के उपरान्त वही शख्स बाइज्जत बरी हो जाता है । ऐसी स्थिति में कौन से कोर्ट का जजमेंट दोषपूर्ण है, और ऐसी व्यवस्था क्यों है । एक व्यक्ति जो सजा के योग्य नहीं था, उसे सजा ही क्यों दे दी गयी ? इस प्रश्न को गम्भीरता से लिया गया है ।
सियासी लोगों की साजिशें, पुलिस के अधिकार और कानून की कमजोरियाँ इन सबको धर्म और अंधविश्वास के तराजू पर तौला गया तो पलड़ा किसका भारी निकला ? क्या धर्म की आड़ में बहुत से गैर कानूनी काम हो सकते हैं ? क्या कानून और पुलिस सियासी लोगों के शिकंजे में फंस चुकी है — क्या निर्दोष लोगों की बर्बर हत्याओं के जिम्मेदार यही लोग हैं ? इन सब सवालों को ‘पाप का मन्दिर’ उठाता है ।
बुलडॉग
बुलडॉग अल्जीरिया की जुर्म की दुनीया का बेताज बादशाह था। क्या हुआ जब विनाश उससे टकराने के लिए अल्जीरिया पहुँच गया।
बुलडॉग विनाश श्रृंखला का उपन्यास है। इससे पहले सूरज पॉकेट बुक्स से परशुराम शर्मा के बाज़ और बाज़ीगर नाम के उपन्यास आ चुके हैं।
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
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आकाश जी प्रतिलिपि पर लिखते है। उनकी अधिक कहानियाँ नही पढ़ी है लेकिन उमीद है कि उनका यह उपन्यास भी अच्छा ही होगा।
विषय वस्तु मुझे भी अच्छी लग रही है।
धन्यवाद विकास जी इन उपन्यासों की जानकारी साझा करने के लिए.किंडल पल उपलब्ध उपन्यास जरूर पढूंगी।
जी आभार… उम्मीद है आपको इनमें से कुछ उपन्यास जरूर पसंद आयेंगे….
जानकारियां साझा करने के लिए बहुत-बहुत आभार विकास जी। यदि परशुराम शर्मा जी के ये उपन्यास नवीन हैं तथा वे अब भी लेखन कर रहे हैं तो बहुत अच्छी बात है।
जी आभार सर। परशुराम शर्मा जी के यह उपन्यास तो पुराने ही हैं जिन्हें नई साजसज्जा के साथ पाठकों के समक्ष लाया जा रहा है। परन्तु हाल ही में उनके नये उपन्यास और जीवनी सलाखें प्रकाशित हुई हैं। उनकी जीवनी आपको जरूर पसंद आएगी।
जीवनी का लिंक: अमेज़न