संस्करण विवरण
फॉर्मेट: ई बुक | पृष्ठ संख्या: 179 | प्रकाशक: फलाईड्रीम्स पब्लिकेशंस
पुस्तक लिंक: अमेज़न
कहानी
अमर और परी ने प्रेम विवाह किया था। अब वह अपने नए घर में आए थे। इस घर को लेकर परी के मन में कई आशाएँ और आकांक्षाएँ थीं। अमन के साथ मिलकर वो यहाँ अपने सपनों का संसार बसाना चाहती थी।
पर यहाँ कुछ था जिसे उसका आना पसंद न आया था।
घर में मौजूद खटखटाहट से वह अपनी बात परी और अमन तक शायद पहुँचा रहा था।
आखिर वह कौन था?
इस खटक का क्या अर्थ था?
क्या परी और अमन अपने सपनों का संसार बसा पाए? क्या वो इस अनजानी ताकत का मुकाबला कर पाए?
टिप्पणी
क्या किसी जगह का इतिहास किन्हीं लोगों के वर्तमान पर इतना भारी पड़ सकता है कि उनकी जान पर बन पाए? यही सवाल विकास भान्ती द्वारा लिखित खटक के किरदार परी और अमन उस घर में रहने के दौरान एक दूसरे से पूछते होंगे।
हॉरर के अंदर एक उपविधा होती है पारलौकिक भयकथा (सुपरनैचुरल हॉरर) जिसमें पारलौकिक तत्वों के माध्यम से भय पैदा किया जाता है। इस उपविधा में कुछ रचनाएँ होती हैं जिसमें किसी पारलौकिक ताकत द्वारा मनुष्य के शरीर पर काबिज होने और अन्य किरदारों द्वारा इससे जूझने की कथा को बताया जाता है। विकास भान्ती द्वारा लिखित ‘खटक’ इसी पारलौकिक भयकथा के अंतर्गत आने वाली पजेशन विधा का हॉरर उपन्यास है।
‘खटक’ अमन और परी के एक नये घर में रहने आने से शुरु होती है। फिर कैसे उनकी ज़िंदगी घर में मौजूद पारलौकिक शक्ति के आने के कारण नारकीय होने लगती है और किस तरह वह इस मुसीबत से जूझते हैं यह उपन्यास का कथानक बनता है। उपन्यास दो हिस्सों में विभाजित है और प्रत्येक हिस्से में परी और अमन पारलौकिक ताकतों से जूझते दिखते हैं।
पहले हिस्से में परी को परलौकिक शक्ति के चंगुल से निकालना अमन का ध्येय होता है। अमन किस तरह से इस पारलौकिक शक्ति से कई बार असफल होकर सफल होता है यह इस भाग का कथानक बनता है। अपनी इस जद्दोजहद के तहत वो कई किरदारों से मिलता है जिनके माध्यम से उसे उस पारलौकिक शक्ति के विषय में पता चलता है जिसने परी को का काबू किया हैं। वहीं उसे और साथ में पाठक को उस जगह के इतिहास की अधिक जानकारी मिलती है जहाँ अमन और परी का घर था।
पुस्तक का पहला भाग खत्म होते होते जब आपको लगने लगता है कि कहानी तो खत्म हो गयी तब लेखक अंत में एक ऐसा ट्विस्ट दे देते हैं कि आप समझ जाते हो कि अभी काफी कुछ होना बाकी है और आप आगे पढ़ने के लिए विवश हो जाते हो। पुस्तक के दूसरे भाग में उस स्थान का सम्पूर्ण इतिहास आपको जानने को मिलता है। इसके साथ ही कहानी देहरादून से लंदन शिफ्ट होती है। अमन और परी को वहाँ जाकर कोई विशेष कार्य करना है जबकि कोई ताकत है जो चाहती है वो ये न कर पाए। ये काम क्या है? वो ताकत कैसे उन्हें रोकने की कोशिश करती है और वो लोग अपने दोस्तों के साथ मिलकर वो कार्य कर पाते हैं या नहीं ये आप इस भाग में पढ़कर जान पाते हैं।
यह दोनों भाग अलग-अलग छोटे अध्यायों में विभाजित हैं और कहानी चुस्त है। लेखक कहीं भटकते नहीं हैं और कहानी में चीजें इस तरह खुलती जाती है कि आप आगे जानने के लिए उत्सुक होते चले जाते हैं। कथानक के बीच-बीच में आते भयवाह दृश्य भी कथानक की रोचकता बढ़ाते हैं। उपन्यास का अंत आपको हैरत में डालने में सफल होता है और आप सोचने लगते हो कि क्या जो चीजें जैसी दिखती हैं वैसी असल में होती भी हैं। लेखक ने कथानक को ऐसी जगह पर छोड़ा है जहाँ पर आगे कहानी बढ़ाने की गुंजाइश है। ऐसे में लेखक अगर कहानी बढ़ाते हैं तो मैं उस कहानी को पढ़ना चाहूँगा।
उपन्यास की भाषा सहज सरल है जिससे कथानक में पठनीयता बनी रहती है।
कथानक की कमी की बात करूँ तो कुछ छोटी-छोटी चीजें थीं जो मुझे खटकीं। उनका जिक्र करना इधर लाजमी होगा।
कहानी की शुरुआती भाग में जब परी बुरी आत्मा के कब्जे में होती है उसे आत्मा के कब्जे से मुक्ति दिलाने के लिए कालीपुरवा वाला बाबा बुलाया गया था। जिस तरह से वो बीच में परी को छोड़कर जाता है वो किरदारनुरूप नहीं लगता। कोई व्यक्ति मदद के लिए आए तो वो केवल इसलिए नहीं जायेगा क्योंकि कुछ लोग जो पीड़ित से सम्बंधित भी नहीं है उस पीड़ित पर मौजूद शैतानी ताकत की चाल में आकर उसका अपमान करे। मुझे लगता है उसके जाने का थोड़ा बेहतर कारण दिया जा सकता था।
उपन्यास में जब अमन परी और उनके साथी लंदन के लिए निकल रहे होते हैं तो एक किरदार को छोड़कर बाकी सबके पास खुद को बचाने के लिए धार्मिक वस्तुएँ होती हैं। किरदार इस विषय में बात भी करते हैं और ये निर्णय भी होता है कि अगली सुबह एक धागा उसे दिया जाएगा। पर ऐसा होता नहीं है और आगे जाकर पता चलता है उस पर किसी पारलौकिक शक्ति ने काबू कर लिया। चूँकि वो सब कुछ समय पहले ही खतरे से जूझकर निकले थे तो ऐसी असावधानी की उम्मीद नहीं हो सकती है। जब वह किरदार पारलौकिक शक्ति के कब्जे में हो जाता है तब भी इस चीज का जिक्र न होने से ऐसा लगता है जैसे लेखक इस चीज को भूल गए या फिर उन्होंने नजरंदाज कर दिया। कहानी में आगे कुछ होता है लेकिन उसका जिक्र इधर करना कथानक का स्पॉइलर देना होगा लेकिन उसके होने के बावजूद इस बिन्दु को लेखक छोड़ते नहीं और किरदार आपस में उनके द्वारा हुई इस गलती का जिक्र कर देते तो बेहतर होता।
उपन्यास के लगभग अंत में परी एक किरदार के विषय में बताती है उसने पवित्र जल का छिड़काव जब उस पर किया तो वो उसे झेल नहीं पाया और अपनी असलियत बता दी। यहाँ ये साफ नहीं है कि वो असल में पवित्र जल का छिड़काव झेल नहीं पाया या उसने न झेलने का अभिनय किया। ऐसा इसलिए क्योंकि उपन्यास के शुरुआती भाग में वही किरदार एक और किरदार के साथ मिलकर परी को जब सम्भाल रहे होते हैं तो उस समय पवित्र जल और पवित्र मंत्रों का प्रयोग होता है। तब इन चीजों का उस पर असर होते नहीं दिखता है। ऐसे में ये बात गले नहीं उतरती कि उस समय पवित्र जल के प्रभाव में सारी कहानी बताने का कारण क्या था। अगर बताने का कोई मजबूत कारण देते तो शायद बेहतर होता।
इसके अतिरिक्त उपन्यास का कथानक देहरादून और लंदन में घटित होता है। चूँकि मैं देहरादून में रहता हूँ तो इस चीज ने मुझे उत्साहित किया था। पर देहरादून के नाम अलावा देहरादून का कुछ और विशेष उपन्यास में दिखता नहीं है। अगर पढ़ते हुए देहरादून का कुछ हिस्सा भी कथानक में दिखता तो बेहतर होता। भले ही लेखक उन्हें देहरादून की मुख्य घूमने जाने वाली जगहों या किसी वीकेंड मसूरी के आस-पास घुमवाने से इतिश्री कर देते। कथानक को जिस शहर में बसाया गया है उसका कुछ एहसास अगर लेखक करवा सकें तो उससे कथानक और जीवंत हो जाता है पर यहाँ इस मामले में थोड़ी अतिरिक्त कोशिश की जरूरत थी।
उपन्यास के किरदारों की बात करें तो किरदार जीवंत लगते हैं। अमन और परी के अलावा प्रोफेसर सुब्रमण्यम, एलन डेविस का किरदार भी रोचक बन पड़े हैं। प्रोफ़ेसर् के किरदार में जो बदलाव आता है वो आपको भावुक कर देता है। डेविस का परिचय एक झक्की किरदार के रूप में कराया गया था जो कि शुरुआत में तो दिखता है लेकिन बाद में भी कभी-कभी दिखता तो अच्छा था। कुछ स्थितियाँ थीं जिसमें ऐसा दिख सकता था। इन किरदारों के अतिरिक्त समीर का किरदार भी रोचक बन पड़ा है। वह उपन्यास में आता है तो उसकी हरकतें देखकर बरबस ही पाठक के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।
बाकी सब किरदार कहानी के अनुरूप थे और कहानी के हिसाब से अपना कार्य कर रहे थे।
अंत में यही कहूँगा कि अगर परलौकिक भयकथा के अंतर्गत आने वाली पजेशन हॉरर रचनाएँ आपको पसंद आती हैं तो यह उपन्यास भी आपका मनोरंजन करने में सफल होगा। कथानक चुस्त है, तेज रफ़्तार है और कथानक में बीच बीच में रहस्यों के आने और नवीन रहस्यों के खुलने से रोचकता बनी रहती है। कुछ दृश्य भय पैदा करने में भी सफल होते हैं।
उम्मीद है लेखक हॉरर विधा में आगे भी लेखन करते रहेंगे।
पुस्तक लिंक: अमेज़न