डोगा और झबरा | तरुण कुमार वाही | राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता

समीक्षा: डोगा और झबरा | राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता | शृंखला: डोगा

टीम

लेखक: तरुण कुमार वाही | सहयोग: राजा | चित्रांकन: मनु | सम्पादन: मनोज गुप्ता

पुस्तक लिंक: फर्स्ट क्राई

 

कहानी:

दिखने में वह मासूम लगता था लेकिन था एकदम खूँखार। वह था एक कुत्ता जिसे नाम दिया था मोनिका ने झबरा। 

मुंबई पुलिस को भी झबरे की तलाश थी। उनके अनुसार उसने कुछ लोगों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। 

आखिर मुंबई पुलिस को झबरे की तलाश क्यों थी?

क्या सच में झबरे ने किसी का कत्ल किया था?

आखिर कौन था ये झबरा और कहाँ से आया था?

क्या मोनिका की जान अब खतरे में थी?

 

मेरे विचार

‘डोगा और झबरा’ राज कॉमिक्स  बाय मनोज गुप्ता द्वारा प्रकाशित कॉमिक बुक है। यह कॉमिक बुक पहले 1994 में प्रकाशित हुआ था और अब  राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता द्वारा प्रकाशित किया गया है।

‘डोगा और झबरा’ की कहानी सीधी सादी है। एक कुत्ता है जो खूंखार है। उसने कत्ल किए हैं और अब पुलिस उसके पीछे पड़ी है। वहीं परिस्थितिवश मोनिका उस कुत्ते के संपर्क में आ जाती है और उसे झबरा नाम दे देती है। वह कुत्ता कौन है? उसने कत्ल क्यों किए? वह इतना खूँखार क्यों बना? इन सब सवालों के जवाब ही कॉमिक बुक देता है। 

जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है एक रहस्यमय साया भी कहानी में दिखता है। यह दर्शाता है कि कुत्ते के साथ कुछ न कुछ हुआ है जिस कारण वो ऐसा हुआ है। यह रहस्यमय साया कौन है और उसने कुत्ते के साथ क्या किया? ये सब जानने के लिए आप कॉमिक पढ़ते चले जाते हैं।

कहते हैं कि विज्ञान की ताकत असीम है और इसकी शक्ति का प्रयोग मानवता की भलाई के लिए भी किया जा सकता है और मानवता को नुकसान पहुँचाने के लिए भी। लेकिन अक्सर नई वैज्ञानिक खोजों का प्रयोग जानवरो पर पहले किया जाता है ताकि ये देख सकें कि उसका इंसानों पर कैसा असर पड़ेगा। ये प्रयोग कई बार क्रूरता की हद पार कर जाते हैं और कई बार जिन पर प्रयोग होता है वह पूरी तरह बदल जाते हैं। इसी थीम पर यह कहानी लेखक द्वारा लिखी गयी है। 

चूँकि कॉमिक बुक 29-30 पृष्ठ की है तो कथानक तेजी से भागता है। इसके साथ साथ कहानी में जो रहस्य का बिंदु रहता है उसे उजागर करने का भी आसान सा रास्ता लेखक द्वारा चुन लिया जाता है। यहाँ इतना ही कहना काफी होगा कि रहस्यमय साये तक जैसे कॉमिक के किरदार पहुँचते हैं वह थोड़ा बेहतर हो सकता था। 

डोगा जिस तरह खलनायक तक पहुँचता है उसका भी हिंट सा दिया गया है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उसकी कुत्ता फौज का इसमें हाथ होगा लेकिन यह चीज ढंग से बतायी नहीं गयी है। मुझे लगता है डोगा को मुख्य खलनायक तक पहुँचने के लिए थोड़ा और मेहनत करनी पड़ती तो बेहतर होता। 

फिर कहानी के शुरुआती हिस्सों में झबरा ही केंद्र में है। डोगा काफी बाद में दाखिल होता है। 18 वें पृष्ठ में वो आता है और फिर 19 वें पृष्ठ के एक पैनल में दिखता है। इसके पश्चात सीधे 25वें पृष्ठ में आता है और अंत तक रहता है। ऐसे में लगता है कि डोगा की थोड़ा और भूमिका कथानक में होनी चाहिए थी। वह थोड़ा ज्यादा हाथ पैर मारता। साफलता पाते पाते असफलता का मुहाने पर खड़ा रहता और फिर वह खलनायक तक पहुँचता तो कथानक में रोमांच अधिक आ जाता। 

हाँ, आखिर में डोगा और मुख्य खलनायक के बीच की लड़ाई बेहतरीन बन पड़ी है। उसे पढ़कर मजा आ जाता है।

इसके अतिरिक्त मोनिका और झबरा का रिश्ता कॉमिक बुक का मानवीय पहलू दर्शाता है। यह मर्मस्पर्शी बन पड़ा है। कुछ मनुष्य किस तरह अपने स्वार्थ के चलते प्रकृति से छेड़छाड़ करते है और उसका खामियाजा कैसे मासूमों को उठाना पड़ता है यह भी इधर दिखता है। 

आर्टवर्क की बात की जाए तो कॉमिक बुक में आर्ट वर्क मनु का है। आर्टवर्क अच्छा है।  इधर एक बात का जिक्र जरूर करना चाहूँगा। कॉमिक बुक में एक दृश्य है जिसमें झबरा पेड़ पर चढ़कर अपने एक शिकार को भंभोड़ता है।  ये दृश्य थोड़ा अधिक हिंसक हो जाता है। ऐसे में यह कॉमिक बुक बच्चों के बजाय किशोरों के पढ़ने के लिए हो जाता है।

अंत में यही कहूँगा कि यह एक सीधा सादा कॉमिक बुक है जिसे आखिर में डोगा और खलनायक की रोमांचक लड़ाई के लिया पढ़ा जा सकता है। मुझे लगता है कि अगर इस कहानी को 30 पेज के बजाय 48 या 60 पेज में कहते तो शायद यह और अधिक रोमांचक कहानी बन पाती। तब काफी कुछ चीजें इस कहानी में जोड़ सकते थे जो कि कॉमिक बुक को एक बार पढ़े जा सकने वाले कॉमिक के बजाय एक अच्छा कॉमिक बना देते। 

 

पुस्तक लिंक: फर्स्ट क्राई


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर उन्हें लिखना पसंद है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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