आवाज़ – चन्द्रप्रकाश पाण्डेय

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: ई बुक | पृष्ठ संख्या: 154 | ए एस आई एन: B08SQL1VM3

किताब लिंक: किंडल

किताब समीक्षा:  आवाज़ - चन्द्र प्रकाश पाण्डेय

प्रथम वाक्य:
रात के दो बज रहे थे।
कहानी:
वह आवाज़ पन्द्रह वर्षीय कैथरीन के साथ हमेशा से रही थी। वह आवाज ही थी जिसने उसे कई मुसीबतों से बचाया था।
लेकिन फिर अचानक उसे वह आवाज सुनाई देना बंद हो गयी। और कैथरीन के साथ अजीबों गरीब हरकतें होने लगीं। 
उसे ऐसी चीजें दिखने लगीं जो कि वहाँ मौजूद नहीं थी।
आखिर यह कैसी आवाज़ थी जो कैथरीन को आगाह करती थी?
वह आवाज़ अचानक से क्यों गायब हो गयी?
कैथरीन को दिखती इन चीजों के पीछे क्या राज था? 
मुख्य किरदार:
कैथरीन ब्रिगेंजा – एक पंद्रह साल की लड़की जो शिमला के एक स्कूल सैंट औगेस्टीन  में पढ़ती थी 
प्रमिला डिसूजा – कैथरीन की दोस्त 
किरण माथुर – कैथरीन के हॉस्टल की वार्डन 
फादर अल्बर्ट – कैथरीन के प्रधानाध्यापक 
गजानंद – स्कूल का लाइब्रेरियन 
जॉन सैमुएल – गणित के शिक्षक 
डॉक्टर विश्वास सक्सेना – हेल्थ लाइन अस्पताल का एक डॉक्टर 
शायरा बानो – हेल्थ लाइन अस्पताल की नर्स
आयेशा खातून – सैंट औगेस्टीन की एक अध्यापिका जो कि बरसों पहले उधर पढ़ाती थी 
डॉक्टर अलफांसो थॉमस – एक न्यूरोलॉजिस्ट 
मेरे विचार:
चन्द्रप्रकाश पाण्डेय एक उभरते हुए युवा कथाकार हैं जिन्हें मैं काफी दिनों  से पढ़ना चाह रहा था।  यह इसलिए भी था क्योंकि वह उनके लेखन का काफी बड़ा हिस्सा हॉरर है और इस तरह का गल्प मुझे हमेशा से पसंद आता रहा है।  ऐसे में जब मैंने उनके नव प्रकाशित उपन्यास आवाज को किंडल पर देखा तो इसे पढ़ने का लोभ संवरण नहीं कर पाया।  और इस उपन्यास को पढ़ने के बाद उनके अन्य कथानकों को पढ़ने की इच्छा मन में जागृत हो गयी है। 
आवाज़ मूलतः पन्द्रह वर्षीय कैथरीन की कहानी है। कैथरीन को बचपन से ही एक आवाज आने वाले खतरों से आगाह करती रहती है। यह आवाज किसकी  है और क्यों कैथरीन को आगाह करती है इसका कैथरीन को कोई ज्ञान नहीं है। लेकिन फिर उसके समक्ष ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती है कि वह आवाज और अपने साथ होने वाली अन्य घटनाओं के राज जानने की कोशिश करने लगती है। यह कोशिश उसे किधर ले जाती है यही उपन्यास का कथानक बनता है।
 
किताब रोचक है और कथानक एक तरह की ताजगी लिए हुए है। लेखक ने इस्लामिक और रोमन मिथकों का रोचक इस्तेमाल करते हुए एक पठनीय कृति की रचना की है। आवाज के पीछे क्या रहस्य है यह जानने के लिए लेखक किताब को पृष्ठ दर पृष्ठ पलटता चला जाता है। 
किताब के किरदारों की बात करूँ तो उपन्यास में प्रमिला का किरदार मुझे काफी पसंद आया। वह एक चुलबुली सी लड़की है जो कि संजीदा कैथरीन की जिदंगी में हँसी ठट्ठा लेकर आती है। उसकी हरकतें कई बार पाठक को भी बरबस हँसा देती हैं। फादर अल्बर्ट मुझे अपने स्कूल के फादर की याद दिलाते रहे। जब मैं उनके डायलॉग पढ़ रहा था तो मेरे पुराने स्कूल के फादर के चेहरा मेरे मन मस्तिष्क में उभर रहा था। उपन्यास के बाकी किरदार कहानी के हिसाब से ही बन पड़े हैं। आयाशा का किरदार कहानी में इतना नहीं है। उसके जीवन की घटनाएं एक वक्तव्य के रूप में ही दिखती हैं लेकिन फिर वह मुझे काफी रोचक लगी। मुझे लगता है आयाशा के शुरूआती जीवन को लेकर अगर लेखक कुछ लिखते हैं तो उस कृति को मैं जरूर पढ़ना चाहूँगा।
उपन्यास के कमियों की बात करूँ तो यह काफी छोटी छोटी हैं लेकिन यह न होती तो उपन्यास और खिल सकता था। 
उपन्यास में जो एक रहस्य (कैथरीन और आयशा को लेकर) बरकार रहना चाहिए था वह आसानी से पता चल जाता है। इसके पीछे कारण यह भी है कि लेखक ने प्रस्तावना ऐसी लिखी है जिसे पढ़कर काफी कुछ अंदाजा हो जाता है और फिर जब प्रस्तावना वाले किरदार सामने आते हैं तो आप जान जाते हो कि इनका मुख्य किरदार से क्या सम्बन्ध हो सकता है। 
उपन्यास शिमला जैसे खूबसूरत शहर में बसाया गया है लेकिन लेखक ने इस शहर की खूबसूरती का न्यूनतम इस्तेमाल किया है। अभी तो ऐसा लगता है अगर यह शिमला में न बसाया जाकर किसी और कस्बे में भी बसाया होता तो ज्यादा फर्क नहीं आता। अगर कहानी में शिमला थोड़ा अधिक दिखलाया जाता तो मेरी नजर में कथानक और खिल जाता।
 
उपन्यास में कई छोटी छोटी प्रूफ रीडिंग की गलतियाँ भी हैं जो कि आँखों के सामने आ गयी थी। चूँकि शायद यह उपन्यास लेखक ने स्वयं प्रकाशित किया है तो ऐसा होना लाजमी है। इन्हें दूर किया जा सकता है। किंडल वैसे भी यह सुविधा देता है कि आप किताब का नया संस्करण अपडेट कर लें। 
अंत में यही कहूँगा कि यह किताब मुझे पसंद आई। यह पठनीय रचना  है जिसे अगर आपने नहीं पढ़ा तो एक बार पढ़ सकते हैं। उम्मीद है कि इस किताब ने जिस तरह मेरा मनोरंजन किया वैसा ही आपका मनोरंजन करने में यह  कामयाब होगी। 
किताब लिंक: किंडल
किताब की कीमत 49 है लेकिन अगर आपने किंडल अनलिमिटेड की सेवा ले रखी है तो आप इसे बिना किसी अतरिक्त शुल्क के पढ़ सकते हैं।  ऐसी हजारों किताबें आप इस सेवा के माध्यम से पढ़ सकते हैं।
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© विकास नैनवाल ‘अंजान’

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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8 Comments on “आवाज़ – चन्द्रप्रकाश पाण्डेय”

  1. पढने की इच्छा है। किंडल वार्षिक ले रखा है, समय मिलते पढता हूँ।

    1. जी मौका मिलते ही पढ़िएगा…. आपके विचारों का इन्तजार रहेगा…

  2. अच्छी पुस्तक समीक्षा।

    1. जी लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा। आभार।

  3. मैंने पढ़ी है , शानदार किताब है।

  4. विकास जी…. चन्द्र प्रकाश जी की….. हॉरर… विधा में महारथ हासिल है….. बढ़िया समीक्षा…….. 👍👍👍👍👍👍

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