बहुरूपिया – सुरेन्द्र मोहन पाठक

रेटिंग :  ४/५

उपन्यास  मार्च ७ से  मार्च ९ के बीच पढ़ा गया 
संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 349
प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स 
सीरीज : सुधीर कोहली #२१
पहला वाक्य :
वो मुर्गाबी थी। 
सुधीर कोहली अपनी तफरी में व्यस्त था। वुडलैंड क्लब की शो गर्ल अंजना रांका, जिस पर कोहली कई दिनों से डोरे डाल रहा था, वो आज उसके फ्लैट में मौजूद थी। वो खुश था क्योंकि वो सब कुछ कर पाया था जो कि वो करना चाहता था। बस अब कुछ चाहिए था तो वो बहाना जिसके तहत वो अंजना को इस तरफ से दफा कर पाता कि वो भड़के न। इस काम को वो कर ही रहा था कि उसके फ्लैट की डोर बेल बजी। 
दरवाजे में दिल्ली के मशहूर रईस शिव मंगल तोशनीवाल की बीवी श्यामली तोशनीवाल खड़ी थी। रात के ग्यारह बजे एक रईस की बीवी को अपने द्वार पर देखना उसके लिए हैरत भरा जरूर था लेकिन वो मानता था कि मौत और क्लाइंट का कोई  भरोसा नहीं है। वो कभी भी आ सकते हैं। 
श्यामली ने अपनी आमद की वजह जो ब्यान की वो एक चिट्ठी थी। चिट्ठी में उसके पति के साथ उसके पूरे परिवार को खत्म करने की बात कह गयी थी। और ये बात चिट्ठी के अनुसार उसके पहले पति सुजित त्रेहन कर रहा था। वो सुजीत त्रेहन जिसकी मौत २२ साल पहले नेपाल में एक हादसे के दौरान हो चुकी थी। 
श्यामली इसी कारण सुधीर के पास आई थी। वो चाहती थी कि सुधीर इस चिट्ठी के भेजने वाले का पता लगाए। 
और इस धमकी को असलियत बनने से रोके। 
शुरुआत में सुधीर कोहली को ये बात मज़ाक लगी लेकिन जब श्यामली की बेटी सुरभि की मौत की खबर उसे मिली तो धमकी के मज़ाक न होने पर उसे विशवास हो गया। 
क्या सुधीर चिट्ठी भेजने वाले का पता लगा पायेगा?
क्या चिट्टी सचमुच सुजीत त्रेहन ने भेजी थी? और अगर हाँ तो क्या वो अपना बदला लेने में कामयाब हो पायेगा ?

बहुरूपिया सुधीर कोहली सीरीज का २१ वाँ उपन्यास है। उपन्यास की शुरुआत बेहतरीन होती है।जैसे जैसे कत्ल होते जाते हैं वैसे वैसे उपन्यास में रोमांच बढ़ते जाता है।

क़त्ल किसने किया इस पर भी संशय बना रहता है और अंत तक पता नहीं लगता कि कत्ल किसने किया। उपन्यास मुझे बेहद पसंद आया। सुधीर कोहली के रंगीन मिजाज ने भी काफी मनोरंजन किया।बाकी किरदार उपन्यास के कथानक के अनुसार फिट थे। उपन्यास में मुझे तो कोई कमी नज़र नहीं आई।अगर आप एक थ्रिलर पढ़ने के शौक़ीन हैं तो उपन्यास आपको निराश नहीं करेगा।
क्या आपने उपन्यास पढ़ा है ? अगर हाँ, तो उपन्यास आपको कैसा लगा? अपने विचार कमेंट बॉक्स में देना न भूलियेगा।और, अगर आपने उपन्यास नही  पढ़ा है तो आप इसे निम्न लिंक के माध्यम से मँगवा सकते हैं :
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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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