 
                                                             
                                                            साहित्य की बात, साहित्य से मुलाकात
 
                                                                                                                                                                                                            पराग डिमरी मूलतः कोटद्वार उत्तराखंड से आते हैं। फिलहाल गाजियाबाद में मौजूद एक कम्पनी में कार्यरत हैं और वहीं उनकी रिहाइश है। हँसमुख स्वभाव के पराग जी मित्रों के बीच जितना अपनी हाजिरजवाबी के लिए जाने जाते हैं उतना ही अपनी बात कहने की गति के लिए जाने जाते हैं। क्योंकि मैं उन्हें व्यक्तिगत तौर पर जानता हूँ तो मैंने कई बार अनुभव किया है कि पराग जी अपनी चुटीली टिप्पणी करके निकल जाते हैं और सुनने वाले को अहसास बाद में होता है कि क्या कह दिया गया है। संगीत और साहित्य से पराग जी को विशेष अनुराग है। अब तक इनकी निम्न पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं: 'ओ पी नैय्यर: दुनिया से निराला हूँ, जादूगर मतवाला हूँ!','अधूरा,अव्यक्त किंतु शाश्वत','कोटद्वार: दिल लिखता भी है', 'दुनिया दिल्ली से देवगढ़ वाली', '44 साल बाद'
