

साहित्य की बात, साहित्य से मुलाकात
देवेन्द्र प्रसाद की प्रारम्भिक शिक्षा उत्तराखण्ड के चमोली और टिहरी जिले में पूरी इसके पश्चात इन्होंने शिवालिक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग देहरादून से 2012 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और कुछ वर्षों तक जिन्दल स्टील एंड पावर लिमिटेड रायपुर (छत्तीसगढ़) में क्वालिटी इंजीनियर के पद पर कार्य किया।
परलौकिक घटनाओं के इर्द गिर्द अपनी कहानियों को बुनने में उन्हें महारत हासिल है। प्रतिलिपि और कहानियाँ नामक प्लेटफार्म में ये असंख्य कहानियाँ प्रकाशित कर चुके हैं। वहीं कुकू और पॉकेट एफ एम जैसे एप्लीकेशन में इनकी कहानियों के ऑडियो संस्करण आ चुके हैं।
वर्तमान में ये देहरादून में निवास करते है और नौकरी के साथ विभिन्न उपन्यासों को लिखने में मसरूफ़ हैं। इन्हें बहुत आसानी से सोशल मीडिया पर ढूँढा जा सकता है।
पुस्तकें:
'खौफ... कदमों की आहट','लौट आया नरपिशाच','अभिशप्त रूपकुण्ड','रहस्यमयी सफर',जिन्न की गर्लफ्रेंड, चुड़ैल लीला,'डूमक: गाथा एक पुश्तैनी श्राप की'