2 फरवरी 2025, नई दिल्ली:
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में लेखक योगेश मित्तल को उनके साहित्यिक कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। इस दौरान कई प्रशंसक मौजूद रहे जिसमें लेखक, सम्पादक और प्रकाशक भी मौजूद थे।
यह कार्यक्रम गुरप्रीत सिंह बुट्टर की संस्था ‘साहित्य देश’ और नीलम जासूस के सहयोग से आयोजित किया गया था, जिसका आयोजन नीलम जासूस के स्टॉल पर हुआ। योगेश जी को शॉल, स्मृति चिन्ह और उपहार देकर सम्मानित किया गया। गुरप्रीत सिंह बुट्टर के साथ सुनील कुमार और संदीप जुयाल भी इस अवसर पर मौजूद थे।
गुरप्रीत सिंह बुट्टर ने समारोह के दौरान बताया कि साहित्य देश संस्था का उद्देश्य लोकप्रिय लेखन के ऐसे नामों को सम्मानित करके उनका आभार प्रकट करना है जिन्होंने इस विधा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस शृंखला में सर्वप्रथम वो योगेश मित्तल जी को उनके अतुलनीय योगदान के लिए सम्मानित करना चाहते हैं।
इस सम्मान समारोह में नीलम जासूस के संस्थापक सुबोध भारतीय ने योगेश जी की लेखनी की प्रशंसा की और उनकी जीवटता को सराहा।
लेखक राम पुजारी ने भी योगेश मित्तल जी के लेखकीय और संपादकीय गुणों पर प्रकाश डाला और साहित्य देश की इस पहल के लिए उनकी प्रशंसा की।
योगेश मित्तल ने कहा कि वो कभी नाम को लेकर महत्वकांक्षी नहीं रहे हैं लेकिन इस सम्मान ने उन्हें भावुक कर दिया है। उन्होंने ऐसे किसी पल के आने की कल्पना नहीं की थी। उन्हें बस ये रहता था कि उन्हें लिखना और अच्छे से अच्छा लिखना है। ऐसे लिखना है कि कोई उसे बकवास कहे। अपनी बात का अंत उन्होंने सभी का शुक्रियादा अदा करके किया।
यह सम्मान समारोह साहित्य देश की ओर से लोकप्रिय लेखन को बढ़ावा देने और ऐसे लेखकों को सम्मानित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिन्होंने साहित्य जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। बताते चलें गुरप्रीत सिंह पेशे से शिक्षक हैं और लोकप्रिय साहित्य से जुड़ी वेबसाइट साहित्य देश का संचालन करते हैं। वह लोकप्रिय साहित्य के संरक्षण के लिए काफी वर्षों से कार्य कर रहे हैं।
बताते चलें कि योगेश मित्तल का जन्म 1957 में दिल्ली में हुआ। इसके पश्चात 1963 से लेकर 1968 तक वो कलकत्ता में रहे जहाँ रहते हुए उनकी पहली कहानी और कविता 1964 में सन्मार्ग नामक दैनिक में प्रकाशित हुई। इसके पश्चात वहाँ और कविता और कहानियाँ प्रकाशित हुई। इसके बाद 1969 में दिल्ली आने पर उनकी रचनाएँ प्रकाशित होने का सिलसिला जो शुरू हुआ वो अब तक नहीं थमा है। अब तक मूलतः प्रेत लेखन करने वाले योगेश मित्तल की पुस्तकें अब उनके नाम से छपी हैं। ‘प्रेत लेखन का नंगा सच’, ‘वेद प्रकाश शर्मा: यादें बातें और अनकहे किस्से’, ‘शैतान: जुर्म के खिलाड़ी’ उनकी कुछ रचनाएँ हैं जिन्होंने पाठकों का काफी प्यार पाया है। हाल ही में लायंस पब्लिकेशन से उनकी लिखी बाल कथाओं की चार पुस्तकें (चांदी की चोंच, लोमड़ी का दूल्हा, लड्डू मास्टर की भैंस, काठ की अम्मा) प्रकाशित हुई हैं।