हिंदी दिवस पर हुए समारोह में वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार सुमन बाजपेयी को मिला उनके बाल उपन्यास ‘तारा की अनोखी’ यात्रा के लिए पुरस्कार

श्रीडूंगरगढ़ स्थित राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति व जनार्दनराय नागर राजस्थान वि‌द्यापीठ, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हिन्दी दिवस समारोह में दिल्ली की सुमन बाजपेयी को उनके बाल उपन्यास तारा की अनोखी यात्रा के लिए श्यामसुंदर नागला स्मृति बाल साहित्य पुरस्कार प्रदान किया गया।

सम्मान समारोह में सुमन बाजपेयी
सम्मान समारोह में सुमन बाजपेयी

समारोह की अध्यक्षता करते हुए ववप्रख्यात साहित्यकार सूरज सिंह नेगी ने कहा, “हिन्दी समूचे विश्व में पांच हजार भाषाओं में तीसरे स्थान पर है और देश विदेश में वह अपनी जड़ों को जमा रही है। अगर देश में कोई भाषा अपना सामर्थ्य, कोशिश, शशव्यवहार व व्यापार की इच्छा रखती है तो वो भाषा हिन्दी है।”

उन्होंने कहा कि दुःख की बात यह है कि हिंदी भाषा अपने देश में जिस समान की अधिकारिणी है वो सम्मान प्राप्त नहीं कर पा रही है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक ताराचंद सारस्वत ने कहा कि हिन्दी का सम्मान करना इस देश के हर नागरिक का कर्तव्य है। वर्तमान काल में यह समझा जा रहा है कि अगर अंग्रेजी नहीं आती है तो वह पिछड़ा हुआ है। लेकिन यह सोच गलत है। हिंदी और अधिक सुदृढ़ बने, इसमें अध्यापकों की बड़ी भूमिका हो सकती है। विशिष्ट अतिथि संस्कृतिकर्मी व समाजसेवी रतननगर के बसन्त हीरावत ने हिंदी और हिंदुस्तान को एक दूसरे का पर्याय बताते हुए कहा कि हिन्दी देश की एकता व अखंडता के साथ जुड़ी हुई है और इसके माध्यम से ही भारत विश्व गुरु के रूप में उदयमान होगा।

“वैश्विक भाषायी परिदृश्य और हिन्दी” विषय पर बीज भाषण करते हुए युवा आलोचक बृजरतन जोशी ने कहा कि हिन्दी हमें सनातन चेतना से जोड़ती है। भारतीय सांस्कृतिक परिदृश्य को वह अपने भीतर समाये हुए है। उन्होंने कहा कि वैश्विक उन्नति के मूल में भाषा की पूरी-पूरी उपस्थिति रहती है। लेखक प्रफुल्ल प्रभाकर ने कहा कि सरकार को साहित्य अकादमियों पर ध्यान देना चाहिए। संस्था के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा कि यह संस्था साहित्यिक क्षेत्र में एक स्कूल की तरह कार्य कर रही है। भाषा और साहित्य के प्रतिबद्ध इस संस्था ने विगत 62 वर्षों में अनेक मानक स्थापित किए हैं। संस्था मंत्री रवि पुरोहित ने संस्था की गतिविधियों से अवगत करवाया और पुरस्कृत रचनाकारों का परिचय साझा किया। कार्यक्रम का संयोजन करते हुए साहित्यकार सत्यदीप ने हिंदी के बढ़ते आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश को रेखांकित किया।


इनका हुआ सम्मान

इस अवसर पर संस्था की सर्वोच्च मानद उपाधि ‘मलाराम माली स्मृति साहित्य श्री’ अजमेर के प्रफुल्ल प्रभाकर को दी गई। इसी तरह  ‘डॉ. नंदलाल महर्षि स्मृति हिन्दी साहित्य सृजन पुरस्कार’ जयपुर के प्रबोध कुमार गोविल, ‘शिवप्रसाद सिखवाल स्मृति महिला लेखन पुरस्कार’  दिल्ली की रिंकल शर्मा, सामाजिक सरोकारों को समर्पित ‘रामकिशन उपाध्याय स्मृति समाज सेवा सम्मान’ बीकानेर के डॉ. नरेश गोयल को प्रदान किया गया। इसी तरह दिल्ली की सुमन बाजपेयी को ‘श्यामसुंदर नागला स्मृति’ बाल साहित्य पुरस्कार, लखनऊ के प्रभु झिंगरन को ‘सुरेश कंचन ओझा लेखन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।


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