दैनिक जागरण द्वारा वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों की सूची जारी की जा चुकी है। कथा, कथेतर, अनुवाद और कविता श्रेणी में यह सूची जारी की गयी है। कथेतर श्रेणी में जिन पुस्तकों ने जगह बनाई है वह निम्न हैं:
मिथकों से विज्ञान तक: ब्रह्मांड के विकास की बदल – गौहर रज़ा

पुस्तक विवरण:
मानव ने सवाल पूछना और जवाब ढूँढ़ना कब शुरू किया पता नहीं, पर एक बार शुरू किया तो सवालों और जवाबों का सिलसिला कभी नहीं रुका। इन्हीं सवालों और जवाबों की तलाश ने मानव ज्ञान की हर शाख़ को जन्म दिया। मिथक, कहानियाँ, धर्म, दर्शन, अध्यात्म, दर्शन, विज्ञान―प्रश्नों के उत्तर की तलाश का ही नतीजा हैं। सवालों की इस भीड़ में दो बड़े सवाल थे : ब्रह्मांड की उत्पत्ति और जीव-जंतु और मानव की उत्पत्ति कैसे और क्यों हुई। इतिहास हमें ये बताता है की कैसे और क्यों पूछने में एक बुनियादी अंतर है। कैसे से शुरू होने वाले सवाल हमें विज्ञान की तरफ ले जाते हैं और क्यों से शुरू होने वाले सवालों की तलाश हमें अध्यात्म और धर्म की तरफ। यह किताब ब्रह्मांड और जीवन के विकास की बदलती कहानी के उदाहरण को दर्शाती हुई ‘विज्ञान’ की परिभाषा चिह्नित करने की एक कोशिश है। इतिहास के पन्ने पलटते हुए यह किताब बताती है कि विज्ञान को, अध्यात्म और धार्मिक ज्ञान को छुए बिना, और इनके बीच लकीर खींचे बिना, पारभाषित नहीं किया जा सकता। विज्ञान और धार्मिक ज्ञान में कई बुनियादी तरह के फ़र्क़ में से एक अहम फ़र्क़ ये है कि विज्ञान में पुराने सच को ग़लत साबित करने पर जश्न मनाया जाता है और धर्म में हमेशा के सच पर उंगली उठाने से संकट पैदा हो जाता है।
प्रकाशक: पेंगुइन रैंडम हाउस | पुस्तक लिंक: अमेज़न
साँस के रहस्य: जो चाहें वो पाएँ – राजीव सक्सेना

पुस्तक विवरण:
इस पुस्तक में साँस से सम्बंधित बेहद गोपनीय और अत्यंत प्राचीन आध्यात्मिक विध्या के बारे में बताया गया है। इसे जान-बूझकर गुप्त रखा गया था, जिसकी वजह से आज यह ज्ञान लुप्त सा हो गया। साँस का मतलब जीवन का लक्षण मात्र नहीं, बल्कि हमारी साँस में इतने रहस्य छिपे हैं, जिनकी गिनती भी मुश्किल है। हमारा खाना-पीना, सोना-जागना, सेक्स, स्वास्थ्य, बीमारी यानी भौतिक जीवन की कोई भी क्रिया हो या आध्यात्मिक साधना, ध्यान/मेडिटेशन–मतलब हम कुछ भी करें–उसकी सफलता या असफलता इस बात पर पर निर्भर करती है कि उसे करते समय हमारी साँस कैसी थी। असल में, हमारी साँस लगातार बदलती रहती है। साँस में जरा से बदलाव से मन की स्थिति भी बदल जाती है। यह सब साँस के साथ चल रही नाड़ियों के कारण होता है, जो 24 घंटे बदलती रहती हैं। लेकिन इन सूक्ष्म क्रियाओं की ओर कभी हमारा ध्यान नहीं जाता, क्योंकि हम साँस लेने का काम, दिमाग का इस्तेमाल किए बगैर ही करते रहते हैं। जबकि कोई भी बड़ी आसानी से इन रहस्यों को खुद अनुभव करके इनसे लाभ उठाकर जीवन को सरल बना सकता है।यह पुस्तक आसान भाषा में DIY (डू इट योर सेल्फ) की शैली में लिखी गई है।
प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न
महाराणा: शस्त्र वर्षों का धर्मयुद्ध – डॉ. ओमेंद्र रत्नू

पुस्तक विवरण:
इस क्षणभंगुर अस्तित्व में यदि कोई तत्त्व स्थायी हैं तो वे हैं आत्मसम्मान तथा स्वतंत्रता। ये तत्त्व, बहुत मूल्य चुका कर प्राप्त होते हैं। मेवाड़ के महान सिसोदिया राजवंश ने अपने सुख, संपत्ति व जीवन का मूल्य चुकाकर ये तत्त्व हिंदू समाज को सहजता से दे दिए। एक सहस्त्र वर्षों तक अरावली में यायावरों का सा जीवन जीने वाले मेवाड़ के इन अवतारी पुरुषों के कारण ही भारत में आज केसरिया लहराता है।
यह पुस्तक उन महापुरुषों के प्रति हिंदू समाज की कृतज्ञता व्यक्त करने का एक प्रयास है। लेखक ने निष्पक्ष प्रामाणिकता से भारत के इतिहास के साथ हुए व्यभिचार को उजागर किया है । यह पुस्तक स्थापित भ्रांतियों को भंग करने के अतिरिक्त नई मान्यताओं को भी स्थापित करती है।
प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न
काशी: सत्य ज्ञान और मोक्ष का संगल स्थल – पी नवीन कुमार

पुस्तक विवरण:
काशी का नाम तो सुना होगा, ये नाम नहीं सुना तो बनारस या वाराणसी तो सुना ही होगा यह सब एक ही जगह के नाम है। ऐसा कहा जाता है ये नगरी स्वयं महादेव ने बसायी है और ये उनके त्रिशूल पर टिकी हुयी है यही कारण है कि जब कभी भविष्य में पूरी सृष्टि प्रलय के प्रहार को सह रही होगी तब भी काशी ऐसी ही स्थिर, दृढ़ और चिरकाल तक वैसी ही बनी रहेगी जैसी आज है, प्रलय से बिल्कुल अछूती।
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न
आक्रांता क्रूरता और षड्यंत्र – रघु हरि डालमिया

पुस्तक विवरण:
भारत का अनकहा इतिहास – आक्रमण, अत्याचार और अस्तित्व की लड़ाई!
सदियों तक भारत समृद्धि, ज्ञान और आध्यात्मिकता की भूमि रहा, लेकिन इसकी संपत्ति और सांस्कृतिक शक्ति ने इसे लगातार आक्रमणों का शिकार बना दिया। यह पुस्तक भारतीय इतिहास के उन काले अध्यायों को उजागर करती है, जहाँ विदेशी आक्रांताओं ने हिंदू सभ्यता को नष्ट करने और अपना शासन स्थापित करने का प्रयास किया।
प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न
जितनी मिट्टी उतना सोना – अशोक पाण्डे

पुस्तक विवरण:
कुमाऊँ, उत्तराखंड के सुदूर हिमालयी इलाक़े में भारत-तिब्बत सीमा से लगी व्यांस, दारमा और चौंदास घाटियों में निवास करने वाले लोग सदियों से तिब्बत के साथ व्यापार करते आए हैं। अपने आप को रं कहने वाले ये जन अद्वितीय सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं से लैस एक अनूठी सभ्यता के ध्वजवाहक हैं।
यह यात्रावृत्त इन्हीं घाटियों में की गई अनेक लंबी शोध-यात्राओं का परिणाम है। यह आपका परिचय संसार के एक ऐसे रहस्यमय हिस्से से करवाएगा जिसके बारे में बहुत कम प्रामाणिक कार्य हुआ है।
इस किताब में आपको बेहद मुश्किल परिस्थितियों में हिमालय की गोद में निवास करने वाले रं समाज की सांस्कृतिक संपन्नता के दर्शन तो होंगे ही, आप उस अजेय जिजीविषा और अतिमानवीय साहस से भी रू-ब-रू होंगे जिसके बिना इन दुर्गम घाटियों में जीने की कल्पना तक नहीं की जा सकती।
मानवशास्त्रीय महत्त्व के विवरणों से भरपूर इस यात्रावृत्त में कथा, गल्प, कविता, लोक साहित्य, और स्मृति के ताने-बाने से एक तिलिस्म रचा गया है जिसमें बुज़ुर्गों के सुनाए क़िस्सों की परिचित ऊष्मा भी है और अजनाने भूगोल में यात्रा करने का रोमांच भी।
प्रकाशक: हिंद युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न
रॉ सीक्रेट एजेंट्स – हर्षा शर्मा

पुस्तक विवरण:
जासूसी एक गुप्त अवैध गतिविधि है। जासूस कभी भी मनमानी या मनमर्जी से काम नहीं कर सकते। वे केवल वही निर्धारित काम करते हैं, जो उन्हें सौंपा जाता है। ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, वफादारी, सच्चाई और नियोक्ता का अनुपालन ऐसे गुण हैं, जो एक जासूस के व्यवहार में आते हैं। ये मूल्य जासूसों एवं उनके नियोक्ताओं के बीच विश्वास के कारण हैं और पेशे की गरिमा को आधार प्रदान करते हैं।
खुफिया सेवाओं में काम करना तनावपूर्ण हो सकता है। बाहरी लोगों के साथ अपने काम की चर्चा करना वर्जित है। देश के बाहर जासूसी करना तो जान हथेली पर लेकर फिरने जैसा है। फिल्मी कहानियों से उलट, पकड़े जाने पर यहाँ चमत्कार होने की कोई उम्मीद नहीं होती। ऐसी स्थिति में उनके नियोक्ता भी हाथ खींच लेते हैं। वे कभी स्वीकार नहीं करते कि वे (पकड़े गए व्यक्ति) उनके जासूस हैं, न ही वे उन्हें जासूस होने की मान्यता देते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में दी गई जासूसों की भावुक कहानियों से हमें यही जानने को मिलता है कि ये कथित जासूस वर्षों जेल में अपनी जवानी खपाकर लौटे तो बुढ़ापे में इन्हें नारकीय जीवन हासिल हुआ। आजीविका के लिए किसी को रिक्शा चलाना पड़ा तो किसी को मजदूरी करनी पड़ी। किसी को ऐसा सदमा लगा कि वह अपनी सुधबुध खो बैठा। लेकिन जैसा कि बताया गया है, यही इस खेल का नियम है, जो शायद आनेवाले वर्षों में भी न बदले।
प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न
प्रोफेसर की डायरी – लक्ष्मण यादव

पुस्तक विवरण:
यह किताब डायरी, नोट्स और टिप्पणियों की शैली में अपने समय की तफ्तीश करती है। इसमें समाज और राजनीति की बड़ी परिघटनाएं हैं तो इसके बीच बनते हुए एक प्रबुद्ध नौजवान की कहानी भी है। यह आज़मगढ़ के पिछड़े किसान परिवार में पैदा होता है। इलाहाबाद और दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ायी करता है। दशक भर से ज़्यादा दिल्ली के एक कॉलेज में अध्यापन करता है। उसके कंधों पर गरीब परिवार की अपेक्षाओं और अपने सपनों का वज़न है। वह अकेला है। वह असमंजस, असुरक्षा और अनिश्चितता से घिरा हुआ है। वह डरा हुआ है। मगर वह किताबों को नौकरी पाने का जरिया नहीं बनाता, उनसे अपने समाज को समझने का नज़रिया हासिल करता है। सत्ताएँ उसे डराती हैं तो वह डरने की बजाय दुस्साहसी होता जाता है। धीरे-धीरे उसकी समझ, दायित्वबोध और लोकप्रियता का दायरा बढ़ता जाता है। वह क्लास के छात्रों से सुदूर ग्रामीण लोगों तक का प्रोफ़ेसर बन जाता है। यह फिक्शनल है, क्योंकि इसमें संज्ञाएँ बदल दी गयी हैं. यह नॉनफ़िक्शन है, क्योंकि शैक्षणिक संस्थानों की स्थिति, सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियाँ रत्ती-रत्ती सही हैं। इसमें इसमें कथा, संवाद और सटायर है तो वक्तृता और विश्लेषण की चमक भी।
प्रकाशक: अनबाउंड स्क्रिप्ट | पुस्तक लिंक: अमेज़न
रूह – मानव कौल

प्रकाशक: हिन्द युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न
भारतवर्ष के आक्रांताओं की कलंक कथाएँ – परशुराम गुप्त

पुस्तक विवरण
प्रस्तुत पुस्तक भारतीय इतिहास के कुछ ऐसे दुर्दांत आक्रांताओं के कुत्सित कुकृत्यों पर प्रकाश डालती है | महमूद गजनवी के आक्रमण से पहले भारत में सूफियों को छोड़कर इसलाम का शायद ही कोई अनुयायी रहा हो | लेकिन सैयद सालार मसूद गाजी के आक्रमण के समय, सलल््तनत काल तथा मुगल काल में धर्म-परिवर्तन का नंगा नाच किया गया | धर्म-परिवर्तन न करने पर जजिया कर लादा गया, जो कि मुगल काल तक चलता रहा | इस कालखंड में भारतीय संस्कृति को पददलित करने का हरसंभव प्रयास किया गया। इसमें नालंदा विश्वविद्यालय का पुस्तकालय जलाने से लेकर अनेक मह्त्त्वपूर्ण मंदिरों व श्रद्धाकेंद्रों को ध्वस्त करना प्रमुख था। इन्हें न केवल ध्वस्त किया गया, बल्कि इन पर उन्होंने अपने उपासना-स्थलों का निर्माण भी किया | सिकंदर और उसके बाद 712 ई. से लेकर 1947 तक भारतवर्ष के लुठेरों की काली करतूतों के कारण भारत आअँधेरे के गिरफ्त में छटठपटाता रहा, लुठता रहा। इन्होंने भरतीय संस्कृति, परंपराओं और मान्यताओं को नष्ट किया, हमारी शिक्षा व्यवस्था, उद्योग, व्यापार, कलाओं और जीवनमूल्यों पर निरंतर प्रहार करके भारतवर्ष की समृद्धि और सामर्थ्य को खंडित किया | यह पुस्तक इन क्रूरों और आततायियों की नृशंसता और पाशविकता की झलक मात्र देती है, जो हर भारतीय को भीतर तक उद्वेलित कर देगी कि हमारे पूर्वजों ने इन नरपिशाचों के हाथों कितने दुःख और कष्ट सहे |
प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न
विस्तृत सूची में जो अन्य पुस्तकों आयी हैं वह निम्न हैं:
- डायनेमिक डी एम – डॉ हीरालाल और कुमुद शर्मा | प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न
- सुपरकॉप अजीत डोभाल – महेश दत्त शर्मा | प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न
- कतरनें – मानव कौल | प्रकाशक: हिंद युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न
- अमानत: एक स्मृतिकोष – अमोल पालेकर | प्रकाशक: वेस्टलैंड बुक्स | पुस्तक लिंक: अमेज़न
- यार बटोही – चौदह लेखक | प्रकाशक: हिंद युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न
- विभाजन की विभीषिका – मनोहर पुरी | प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न
- स्ट्रीट वेंडर से ब्यूरोक्रेट – मनोज कुमार | प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न
- जनादेश 2024 – हिंदुत्व की हैट्रिक – हर्ष कुमार | प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न
- रुक जाना नहीं – निशांत जैन | प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न
- जादूनामा – अरविंद मंडलोई | प्रकाशक: मंजुल पब्लिशिंग हाउस | पुस्तक लिंक: अमेज़न
तो आपने इनमें से कितनी पुस्तकें पढ़ी हैं?