ऐ लड़की – कृष्णा सोबती

रेटिंग:३.५/५

दिनांक जब कहानी ख़त्म की गयी : २, सितम्बर २०१४

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक
पृष्ठ संख्या:८८
प्रकाशक:राजकमल पेपरबैक्स

पहला वाक्य:
ऐ लड़की, अँधेरा क्यूँ कर रखा है! बिजली पर कटोती!क्या सचमुच ऐसी नौबत आ गयी !

‘ऐ लड़की’ कृष्णा सोबती की दीर्घ कहानी है , जिसका प्रकशन पहली बार १९९१ में हुआ था। कहानी अम्मी जी और उनकी लड़की के विषय में है।  अम्मी काफी वृध हो चुकी हैं और वे बिस्तर पकड़ चुकी हैं।  उनकी देखबाल उनकी सबसे छोटी लड़की करती है।  अपनी बीमारी के चंद दिनों में वो अपनी बेटी से अपनी ज़िन्दगी के विषय में बातें करती हैं।  वे बातें उनकी ज़िन्दगी के सभी आयामों को छूती हैं फिर चाहे वो दुःख हो या ख़ुशी या किसी चीज को अंजाम न दे पाने का पछतावा। वे बातें क्या हैं ये तो आप कहानी पढ़कर ही जान पायेंगे।

ऐ लड़की ८७ पृष्ठों की कहानी है।  इसमें अम्मी जी और लड़की ही दो मुख्य पात्र हैं।अम्मी जी और लड़की एक दूसरे से काफी भिन्न हैं। दोनों की परवरिश एक दम जुदा माहौल में हुई थी और इसकी छाप उनके जीवन पर  पड़ी है। एक  तरफ अम्मी एक ऐसे घर से ताल्लुक  थीं जहाँ लड़को को ज्यादा महत्व  दिया जाता था। वहीं दूसरी उनकी लड़की एक ऐसी माहौल में पली बढ़ी जहाँ लड़को और लड़कियों को बराबर समझा जाता था और उन्हें बढ़ोतरी के बराबर अवसर मिलते थे।  ऐसे में दोनों के जीवन देखने के नजरिये में भी फर्क होना लाजमी है  और ये  फर्क कहानी में दिखता है।  एक औरत की ज़िन्दगी में क्या शादी का होना ज़रूरी है ? मेरे हिसाब से तो शादी इसलिए करना क्यूँकी की सब करते हैं एक फ़िज़ूल बात है। और किसी के जीवन में किस चीज़ की कितनी अहमियत होनी चाहिए ये तय करने का अधिकार उसी को होना चाहिए फिर चाहे वो औरत हो या मर्द।  लेकिन हाँ शादी एक तरह का सम्बन्ध है  जिसमे आप अपने साथी के साथ अपने जीवन को साझा करने का वादा करते हो और इसकी अपनी इज्जत है।  शादी करके individuality की दुहाई नहीं दी जा सकती है। उसमे एक दूसरे की इच्छा का ख्याल रखना ही पड़ेगा और ये बात दोनों (पति और पत्नी) पे  लागू होती है ।खैर ये मेरे व्यक्तिगत विचार हैं और मैंने इसलिए दिए क्यूँकी इस कहानी में इसी मुद्दे को उठाया गया है।

 बहरहाल,कहानी का विषय मुझे अच्छा लगा। अम्मी जी और लड़की दोनों के ही चरित्र काफी जीवंत थे।  अगर आपने ये कहानी पढ़ी है तो आप अपने विचार नीचे टिपण्णी बक्से में बयान कर सकते हैं।  और अगर अपने अभी तक इस कहानी को नहीं पढ़ा है तो आप इसे निम्न लिंक्स के द्वारा मंगवा सकते हैं :
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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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