संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: ई बुक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता | शृंखला: गोल्डहार्ट #1 | प्लेटफॉर्म: किंडल
टीम
लेखक: टीकाराम सिप्पी | चित्रांकन: अनुपम सिन्हा | सम्पादन: मनीष गुप्ता
कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न
कहानी
महानगर की वह मूर्ति स्टेचयू ऑफ लिबर्टी कहलाती थी और महानगर के वासियों के लिए उसका काफी मोल था पर अब यही मूर्ति खतरे में थी।
अंतरिक्ष से आई एक अज्ञात वस्तु से टकराने के पश्चात मूर्ति की मशाल सोने की हो गई थी और शहर की आपराधिक तत्वों की नजर में वो मशाल चढ़ चुकी थी।
वहीं दूसरी तरफ अंतरिक्ष से एक और अजीब जीव ने महानगर की धरती पर प्रवेश कर लिया था और वह भी मूर्ति की मशाल चाहता था।
क्या महानगर के वासी अपनी मूर्ति को बचा पाए?
मूर्ति को बचाने के लिए उन्होंने क्या इंतजाम किए?
वह मूर्ति उनके लिए इतनी महत्वपूर्ण क्यों थी?
अंतरिक्ष से कौन सा जीव आया था? वह उस मूर्ति से क्या चाहता था?
विचार
सैंडमैन राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित गोल्डहार्ट शृंखला का पहला कॉमिक बुक है। यह कॉमिक बुक राज कॉमिक्स द्वारा 1993 में प्रकाशित किया गया था। इस शृंखला का लेखन टीकाराम सिप्पी द्वारा किया गया है और चित्रांकन अनुपम सिन्हा द्वारा किया गया है। प्रस्तुत संस्करण मैंने किंडल पर पढ़ा है जो कि राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता रिलीज किया गया है।
‘सैंडमैन’ की कहानी महानगर नामक देश/शहर की है। यह शहर कहाँ है इस चीज का कोई संकेत लेखक कॉमिक में नहीं करते हैं। कॉमिक की कहानी दो कालखंडों की है। शुरुआत में मध्यकाल की कहानी दर्शाई गई है जिसे देखकर लगता है कि शायद यह भारत का कोई प्रांत है लेकिन फिर भविष्य में महानगर जैसा दर्शाया गया है उससे वह एक बड़ा मेट्रोपॉलिटन शहर लगता है जिसके नागरिक भारत के तो नहीं ही लगते हैं। कई बार ऐसा लगता है जैसे यह घटनाएँ धरती पर न घटित होकर अलग ही ग्रह में हो रही हों। ऐसा नहीं होता तो महानगर वाले अपनी आजादी की प्रतिमा को स्टैचू ऑफ लिबर्टी नहीं कहते। अमरीका में पहले से ही एक जो है।
खैर, वापस कहानी पर आते है। यह 32 पृष्ठों का कॉमिक बुक है जहाँ शुरुआत में आपको पता लगता है कि कैसे महानगर अपने क्रूर शासक से आजादी पा गया था और इसके बाद कहानी सीधे भविष्य में आ जाती है। महानगर आजाद है और उनकी आजादी का संबंध उस मूर्ति से है जिसे वह स्वतंत्रता की मूर्ति यानी स्टैचू ऑफ लिबर्टी कहते हैं। फिर एक दिन आकाश से कुछ आकर इस मूर्ति से टकराता है और इस मूर्ति के एक हिस्से के लिए शहर में कत्लेआम मच जाता है। मूर्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी अंकार नामक पुलिस वाले को दी गई है। वहीं अंकोरा नामक अपराधी और एक विचित्र जीव इस मूर्ति के हिस्से के पीछे हैं। कॉमिक बुक का शुरुआती अंश केवल इस टकराव को दर्शाता है। कहानी साधारण है और अगर आपको घुमावों वाली जटिल कहानियाँ पसंद आती हैं तो यह एक आम कहानी लग सकती है।
इस कॉमिक बुक का एक खलनायक कंगोरा है। वह एक दुर्दांत अपराधी है जो अपने मकसद को पाने के लिए खून करने से भी नहीं कतरता है। वह रोचक किरदार है। जो कि पाइप पीने का आदि है। इस कारण एक जगह तो वह इतनी जोश में आता है कि एक फ्रेम में उसका पाइप नीचे गिर जाता है। यह देखकर मैं काफी हँसा था। वहीं कहानी के मुख्य हिस्से में जहाँ उसे स्टंट करने होते हैं, भी वह पाइप नहीं छोड़ता है और इसके कारण उसकी योजना खटाई में पड़ती हुई दिखने लगती है। गलत नहीं कहा गया है कि धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक है।
ये गिरा पाइप |
अगर आप इस कॉमिक को गोल्डहार्ट के विषय में कोई जानकारी हासिल करने के लिए पढ़ रहे हैं तो ऐसी जानकारी आपको इस पहले कॉमिक में तो मिलती नहीं है। जहाँ तक मेरा अंदाजा है जो रहस्यमय जीव आया है वही गोल्डहार्ट है लेकिन अब तक उसका नाम ये नहीं पड़ा है। वहीं आप मूर्ति में आये हुए बदलावों और इस जीव की उसकी तरफ प्रतिक्रिया से यह तो समझ ही जाते हैं कि उसका और मूर्ति का कुछ रिश्ता है। यह रिश्ता क्या है यह शायद अगली कॉमिक में मिल जाए। वहीं यह जीव अच्छा है या बुरा वह भी इस कॉमिक को पढ़कर साफ नहीं होता है।
कॉमिक का एक किरदार अंकार है जिस पर मूर्ति की सुरक्षा का जिम्मा रहता है। यह किरदार एक तरफ कंगोरा और उसके लोगों से जूझता दिखता है वहीं दूसरी तरफ उस रहस्यमय जीव से भी दो-चार हाथ करता है। अंकार और उस जीव के बीच की लड़ाई इस कॉमिक में दिखती है। मुझे न जाने क्यों लग रहा है कि अंकार आने वाले समय में इस शृंखला में मजबूत किरदार होने वाला है। देखना पड़ेगा कि यह होता है या नहीं।
वैसे मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है अगर कॉमिक में गोल्ड हार्ट के विषय में थोड़ी बहुत जानकारी दी होती तो बढ़िया रहता। खैर, कॉमिक बुक का शीर्षक चूँकि सैंडमैन है तो यह शीर्षक इस पर फिट बैठता है। इससे यह भी लगता है कि शायद उस वक्त तक गोल्डहार्ट की शृंखला बनाने का प्रकाशक का कोई इरादा नहीं रहा होगा। ये चीज बाद में की होगी तभी इस कहानी में इसका कोई जिक्र नहीं आया। अगर पहले से शृंखला बनाने का ख्याल रहता तो कम से कम एक बार गोल्डहार्ट नाम तो इधर आता ही। वैसे ये भी हो सकता है कि मेरी बात गलत हो क्योंकि है तो एक कयास ही।
कॉमिक बुक के आर्टवर्क की बात करूँ तो आर्टवर्क अनुपम सिन्हा द्वारा किया गया है। आर्टवर्क अच्छा है। हाँ, एक जगह अनुपम जी ने कलाकारी दिखाई है। कंगोरा के अड्डे में सिन्हा जी ने ध्रुव के नीचे का हिस्सा दर्शाया है। अब यह हिस्सा क्यों दर्शाया है ये तो नहीं पता। क्या ये किसी विशेष बात को इंगित करता है? या ऐसे ही मस्ती में किया गया है। यह बात तो आगे आने वाले कॉमिक में पढ़ा जाएगा।
कंगोरा के अड्डे में मौजूद ध्रुव |
अंत में यही कहूँगा कि यह कॉमिक आगे वाले भाग सोने की मशाल के लिए उत्सुकता जगाता है। अपने आप में तो यह एक साधारण सी कहानी है लेकिन चूँकि कुछ अनुत्तरित प्रश्न रह गये हैं तो उनके उत्तर जानने के लिए मैं इसके दूसरे भाग ‘सोने की मशाल’ को जल्द ही पढ़ना चाहूँगा।
कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न
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