संस्करण विवरण
फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 22 | प्रकाशक: फेनिल कॉमिक्स | शृंखला: बजरंगी #3
टीम:
कहानी: फेनिल शेरडीवाला | लेखक: फेनिल शेरडीवाला और वीरेंद्र कुशवाहा | पेंसिलर: आनंद जादव | कलरिस्ट: हरेन्द्र सिंह सैनी | मुख्य पृष्ठ: आनंद जादव, भक्त रंजन
पुस्तक लिंक: फेनिल कॉमिक्स | फेनिल कॉमिक्स: सस्ता संस्करण
कहानी
शहर की ओर जाते भीमा और उसके बेटे वज्र पर वन दस्युओं में जानलेवा हमला कर दिया था।
अगर सफेद बाघ के रूप में बीच में एक व्यवधान नहीं आ जाता तो भीमा और वज्र की इहलीला समाप्त होने में कोई कसर बाकी रह गई थी।
आखिर वन दस्युओं ने इन पर हमला क्यों किया?
इस हमले का वज्र के जीवन पर क्या असर पड़ा?
आखिर कौन था ये सफेद बाघ और इसने क्यों इन भीमा और वज्र की जान बचाई?
विचार
‘गदर’ फेनिल कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित बजरंगी शृंखला का तीसरा कॉमिक बुक है।
प्रस्तुत कॉमिक बुक की शुरुआत एक फ़्लैशबैक से होती है। 1411 पढ़कर जान चुके हैं कि वज्र का गाँव देवीपुर बजरंगी नाम के जिंदारी योद्धा द्वारा बसाया गया था। 1411 की शुरुआत भी देवीपुर में बजरंगी के लौटने से होती है और उसके बाद तीन महीने पहले की कथा शुरू होती है। प्रस्तुत कॉमिक गदर में भी फ़्लैशबैक के माध्यम से इसी जिंदारी योद्धाओं के पूर्वज इसी बजरंगी के जीवन के एक पहलू को दर्शाया जाता है। वहीं सिम्हा में दर्शाये सफेद बाघ की पहचान के विषय में भी इधर इशारा किया जाता है। कॉमिक बुक में 22 पृष्ठ हैं और उसमें से 8 इसी फ़्लैश बैक को दिए गए हैं। इसके पश्चात कहानी वर्तमान में आती है। भीमा बहुत घायल है। वज्र को होश आ गया है और अब वह जिंदारी परिधान अपनी माँ से माँगता है। पाठकों को पता चलता है कि इस परिधान को पाने के लिए एक परीक्षा से व्यक्ति को गुजरना होता है। ये परीक्षा क्या है यही कॉमिक बुक में पता लगता है। इसके अतिरिक्त भीमा और वज्र पर् हमला करने वाले व्यक्ति के विषय में कॉमिक बुक रोशनी डालती है।
मुझे लगा था कि चूँकि बजरंगी की तीन ही कॉमिक आई हैं तो ये स्टोरी आर्क इन तीन कॉमिक बुक्स में खत्म हो गया होगा लेकिन ऐसा होता नहीं है। कॉमिक बुक के खत्म होने के कुछ और सवाल आपके सामने मुँह बाये खड़े होते हैं। ऐसे में एक अधूरेपन का अहसास इसमें होता है। अगर कहानी को जल्द ही खत्म किया जाए तो बेहतर होगा।
मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि जो फ्लैश बैक सीन इधर दिया गया वो सिम्हा का हिस्सा होना चाहिए था। अगर ऐसा होता तो उसका शीर्षक औचित्यपूर्ण लगता जो फिलहाल नहीं लग रहा था। वहीं इस कॉमिक बुक का अंत वज्र को परीक्षा को पूरी करने में आने वाली मुसीबतों में से एक दो से जूझने में होता तो बेहतर होता। ऐसे में पाठकों को लगता कि कुछ कहानी आगे बढ़ी है।
अभी के लिए तो यही कहूँगा कि प्रस्तुत कॉमिक में कहानी थोड़ा और आगे सरकती है। ये सरकना संतुष्ट नहीं कर पाता है। कौड़िया नाम का नया किरदार जो कहानी में आ रहा है वो रोचक लग रहा है।
आर्ट वर्क पहले कॉमिक बुक्स की तरह ही है। फ्लैशबैक के सीन रात में घटित होते हैं। वो मुझे अच्छे लगे। कवर की बात करूँ तो बजरंगी इसमें एक खंडहर के सामने दिखता है। अब फ्लैश बैक पूरा एक अँधेरे कमरे में और रात को घटित होता है तो वो खंडहर यही है या नहीं मुझे नहीं पता। ऐसे में कवर कहानी के साथ जुड़ा नहीं होता है। इससे पहले भी 1411, सिम्हा के कवर में भी यही बात मुझे दिखी थी। उसमें बजरंगी को ही दर्शाया गया है। मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि कवर कहानी को दर्शाये तो बेहतर होता है। इधर भी यही होता तो अच्छा होता।
अंत में यही कहूँगा कि बजरंगी कॉमिक की यह तीसरी कॉमिक बुक भी क्योंकि पहले कॉमिक में शुरू हुए आर्क को खत्म करने में सफल नहीं होती है तो एक तरह से पाठक के रूप में आपके भीतर असंतुष्टि रहती है। पहले भाग में जहाँ काफी कहानी पाठकों को प्रकाशकों को दी गई थी उसकी तुलना में दूसरे और तीसरे भाग में बहुत कम कहानी देखने को मिलती है। हाँ, तीनों भाग अगले भागों के प्रति उत्सुकता जगाने में कामयाब जरूर होते हैं लेकिन अगर थोड़ा ज्यादा कहानी पढ़ने को मिलती तो कॉमिक और अच्छी हो जाती। फिलहाल तो यही सलाह होगी कि जब तक ये आर्क खत्म नहीं हो जाता तब तक इन कॉमिक बुक्स से दूरी बनाए। वरना कहानी का अधूरापन आपको काफी दिनों तक सालता रहेगा।
पुस्तक लिंक: फेनिल कॉमिक्स | फेनिल कॉमिक्स: सस्ता संस्करण