नई दिल्ली: प्रसिद्ध लेखक विनोद कुमार दुबे की नवीनतम काव्य-रचना ‘कस्तूरी’ का भव्य विमोचन प्रवासी भवन में संपन्न हुआ। यह पुस्तक उनके ‘वीकेंड वाली कविता’ शृंखला की पाँचवीं कड़ी है, जिसमें उन्होंने जीवन के विभिन्न रंगों को कविता के माध्यम से पिरोया है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में साहित्य-प्रेमियों और विशेष अतिथियों की उपस्थिति ने इसे और भी भव्य बना दिया। कार्यक्रम क्रिएटिव कल्चर और बुक वाला संस्थाओं की ओर से आयोजित किया गया।
मंच संचालन करते तरिन्द्र कौर ने कार्यक्रम को आरंभ किया गया, जिन्होंने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। तत्पश्चात, ऋषि कुमार ने स्वागत वक्तव्य दिया, जिसमें पुस्तक और लेखक की यात्रा का संक्षिप्त परिचय दिया गया।
पुस्तक चर्चा सत्र में कई विद्वानों और साहित्यकारों ने अपनी टिप्पणियाँ दीं।
प्रभात रंजन ने पहले सत्र में ‘कस्तूरी’ की कविताओं की गहराई और उनके जीवन के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा, “5 साल से हर साल 52 कविताएँ लिखना बहुत बड़ी बात है, विनोद जी इसके लिए हार्दिक बधाई के पात्र हैं।” इसके बाद सर्वश्री राकेश पांडेय और सुरेंद्र सिंह रावत, और सर्वसुश्री वंदना वाजपेयी, सुनीता सिंह ने भी संक्षिप्त टिप्पणियाँ करते हुए पुस्तक की समृद्धि और लेखक की शैली की सराहना की।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध साहित्यकार आचार्य राजेश कुमार ने कहा कि विनोद कुमार दूबे जीवन के विविध विषयों को संवेदनशील रूप में प्रस्तुत करने में समर्थ कवि हैं। उनकी कविताओं का फलक व्यापक है, जिसमें प्रकृति, गाँव, उत्सव, प्रवास, आदि को भावपूर्ण अभिव्यक्तियों में रूप दिया गया है। उन्होंने कहा कि भाषा मनुष्य द्वारा ईजाद की गई सर्वाधिक महत्वपूर्ण परिघटना है और कविता सर्वाधिक भावपूर्ण अभिव्यक्ति होती है।
नारायण कुमार ने कहा, “प्रवासी भवन में अनेक राजनीतिक लोग आते है पर विनोद जी जैसे साहित्यकार की उपस्थिति, उनके किताब का विमोचन प्रवासी भवन के लिए विशिष्ट है। शंकर के त्रिशूल पर बसे काशी के लोग जहां जाते हैं हर जगह अपना नाम कर देते हैं। हमने ये कस्तूरी के माध्यम से भी देखा।”
अनिल जोशी ने अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए विनोद दुबे की रचनात्मकता की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा, “सिंगापुर में हिन्दी अगर अपना विशेष स्थान बना पा रहा है तो उसमें एक बड़ा योगदान विनोद कुमार दूबे का भी है।”‘”
भदोही जिले के एक साधारण गाँव से उठकर समुद्र और दुनिया की संस्कृतियों को समझने वाले लेखक विनोद दुबे सिंगापुर में रहते हुए अपने यूट्यूब चैनल वीकेंड वाली कविता से हिंदी साहित्य में सक्रिय योगदान कर रहे हैं।
कवि विनोद कुमार दुबे ने इस कार्यक्रम में अपनी आत्मकथा को साझा करते हुए बताया कि ‘कस्तूरी’ उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को बयान करती है: चाहे वह परिवार हो, प्रेम, विछोह, या फिर उनके प्रवासी जीवन के अनुभव। उन्होंने आगे कहा- किसी को पतंग उड़ाना पसंद होता है किसी को घूमना पसंद होता है, मुझे लिखना पसंद है, लिखना मेरे लिए ऐसे है जैसे अपने अंदर झांकना।
कार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन जयंत कुमार ने दिया, जिन्होंने प्रकाशक के रूप में इस कार्य को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभाई। कार्यक्रम की संपूर्ण व्यवस्था श्री अनमोल दुबे ने की।
‘कस्तूरी’ केवल एक काव्य संग्रह नहीं, बल्कि एक जीवन यात्रा है, जिसे पाठक अपनी यात्रा में शामिल कर सकते हैं। यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो सरल, सहज और दिल से जुड़ी कविताएँ पसंद करते हैं।
इस संग्रह में शामिल 52 सरल और संवेदनशील कविताएँ, यात्राओं, प्रेम, विछोह, परिवार और प्रवासी जीवन की झलकियों को दर्शाती हैं। कविता का सरल और आत्मीय भाषा में जीवन की सच्चाई को बिना दिखावे के प्रस्तुत करती है।
इस कार्यक्रम और पुस्तक विमोचन ने न केवल साहित्य के प्रति प्रेम को प्रोत्साहित किया, बल्कि यह भी दर्शाया कि कैसे एक लेखक अपनी व्यक्तिगत यात्रा को कविता के रूप में प्रस्तुत करता है और समाज को अपने अनुभवों से जोड़ता है।
कार्यक्रम में गजेंद्र, वरुण कुमार, शंखधर दुबे, श्रीकांत दुबे, प्रीति दुबे, वंदना बाजपेयी, सोपान जोशी, अजय, अतुल, प्रियंका, राम, दीप्ति, विकास, नूपुर, अखिल, पारुल, अश्विनी, शिल्पी, अभिज्ञान, श्वेता, आदि उपस्थित रहे।
