संस्करण विवरण
फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता | शृंखला: डोगा
टीम
लेखक: हनीफ़ अज़हर | सहायक: राजा | चित्रांकन: मनु | संपादक: मनोज गुप्ता
कहानी
सूरज का जन्मदिन था और उसके प्यारे अदरक चाचा उसके लिए एक तोहफा लेने के लिए निकले थे।
जब काफी घूमने और निराश होने के बाद उनकी नजर में वो प्यारा सा जीव आया तो अदरक चाचा को लगा कि सूरज के लिए इससे बढ़िया उपहार कोई और हो ही नहीं सकता था।
पर वो कहाँ जानते थे कि अदरक चाचा सूरज के लिए जो तोहफा ले जा रहे हैं वो न केवल उनकी जान साँसत में डाल देगा बल्कि साथ ही शहर के सभी लोगों की जान को मुश्किल में डाल देगा।
आखिर क्या था वो उपहार?
ऐसा क्या हुआ कि सभी की जान के लाले पड़ गए और शहर में स्थापित हो गया कुत्ताराज?
विचार
‘कुत्ताराज’ डोगा का कॉमिक बुक है जो कि प्रथम बार 1995 में प्रकाशित हुआ था। कॉमिक बुक को अब राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता द्वारा पुनः प्रकाशित किया गया है। कॉमिक बुक के लेखक हनीफ़ अज़हर हैं और इसमें चित्रांकन मनु का है।
90 का दशक भारतीय कॉमिक बुक्स का स्वर्णिम काल कहा जा सकता है। यह वह समय था जब लोगों के बीच में कॉमिक बुक्स के प्रति दीवानगी चरम पर थी। ऐसे में प्रकाशक भी इस दीवानगी को भुनाने के लिए तैयार रहते थे और कॉमिक बुक्स के सेट जल्दी जल्दी ही आया करते थे। चूँकि कम समय में ज्यादा चीजें बनानी होती थीं तो प्रकाशक कई बार गुणवत्ता के बजाए संख्या पर ध्यान देता था और इसलिए कई बार ऐसे कॉमिक बुक्स भी प्रकाशित होते थे जो कि नहीं होने चाहिए थे। प्रस्तुत कॉमिक बुक कुत्ताराज भी उन्हीं कॉमिक बुक्स में हैं जिसमें प्रकाशक ने गुणवत्ता को किनारे रखकर कुछ भी प्रकाशित करके दे दिया है। यहाँ ये बात साफ करना चाहूँगा कि प्रस्तुत कॉमिक बुक के आर्ट में कोई दिक्कत नहीं है। दिक्कत इसकी कहानी में है जो कि बहुत कमजोर है।
कॉमिक बुक की कहानी अदरक चाचा के सूरज के लिए एक उपहार लाने से शुरू होती है। यह उपहार एक पिल्ला रहता है जिसके बारे में उसका मालिक अदरक चाचा से कहता है:
ठहरिये, इस कुत्ते के बारे में मैं कुछ बातें बताता हूँ। इसे रात के बारह बजे के बाद कुछ भी खाने पीने के लिए मत देना और तेज रोशनी से बचाकर रखना।
लेकिन जैसा कि अक्सर होता है ये सलाह मानी नहीं जाती है और मुंबई पर एक तरह से मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। इन मुसीबतों के पीछे यही पिल्ला रहता है। यह पिल्ला कौन है? इसके अंदर आए इन बदलावों के पीछे क्या कारण है? यह ऐसे प्रश्न हैं जिनके विषय में बताने की जहमत लेखक नहीं उठता है। कॉमिक बुक पढ़ते हुए आपके जहन डोगा की ही कॉमिक बुक ‘डोगा और झबरा’ उभर आती है जो कि एक आनुवांशक रूप से बदलाव किए कुत्ते के विषय में ही थी लेकिन उसमें न केवल उस बदलाव के पीछे का कारण दिया था बल्कि उसके खलनायक को भी दर्शाया था। लेकिन इधर इन सबसे लेखक को कोई मतलब नहीं होता है। एक कुत्ता है जिसके अंदर करामाती ताकत हैं और वो ताकत इतनी खतरनाक है कि वो डोगा के दोस्त, कुत्तों, को भी उसके खिलाफ कर देता है। यह वह कैसे करता है और उसके बाद वो कैसे उन कुत्तों से वो सब करवा लेता है जो कि मुमकिन नहीं है इसके पीछे भी कोई कारण लेखक देते नहीं हैं। एक छोटी सी बात आपको बताता हूँ। कोई भी जीव चार पैर पर जब चलता है तो वो इसलिए ये कर रहा होता है क्योंकि उसके दो पैर इतने ताकतवर नहीं होते कि लंबे समय तक उसके शरीर का बोझ झेल सकें। ऐसे में आप किसी तरह से उसे दो पैर पर चलने के लिए विवश भी कर दोगे तो कुछ समय बाद उसका शरीर जवाब दे देगा और वो चार पैरों पर ही आ जाएगा। पर यहाँ ऐसा होता दिखता नहीं है। दो पैर पर चलने वाला जीव ऐसे ऐसे काम कर लेता है जो कि शारीरीरक रूप से उस नस्ल के आम जीव के लिए नामुमकिन होंगे।
चूँकि कॉमिक बुक केवल 32 पृष्ठ का है तो आप इस कॉमिक बुक पढ़ तो लेते हो लेकिन खत्म होने के बाद यही सोचते हो कि यह सब क्या हुआ? कॉमिक बुक में लेखक कोई तर्क देने की कोशिश भी नहीं करते हैं। हाँ कॉमिक बुक में एक्शन की भरमार है और अगर आप पढ़ते हुए अपने दिमाग को सवाल करने से रोक सको तो शायद उस एक्शन को आप इन्जॉय भी कर सकोगे। पर चूँकि मेरा दिमाग पढ़ते हुए सवाल पर सवाल करे जा रहा था तो मेरे लिए इसका लुत्फ ले पाना मुमकिन था।
कॉमिक बुक का आर्ट मनु द्वारा किया गया है और आर्टवर्क मुझे पसंद आया। पढ़ते हुए मैं यही सोच रहा था कि जब वो ऐसी कहानी पर आर्ट बना रहे होंगे तो उनके मन में इसे बनाते हुए क्या ख्याल आया होगा।
अंत में यही कहूँगा कि कुत्ताराज एक अधपकी कहानी पर बना कॉमिक बुक है। अगर लेखक खलनायक के पीछे की कहानी को बताते और साथ ही कुछ प्रसंगों को और तार्किक बनाने की कोशिश करते तो कॉमिक बुक और बेहतर बन सकता था। पर अभी इसने मुझे तो निराश ही किया।
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