डोंट टच मी – रीमा भारती

रेटिंग : ३.५/५
उपन्यास नवम्बर ९ से नवम्बर १२ २०१५ के बीच पढ़ा गया

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
प्रकाशक : धीरज पॉकेट बुक्स
पृष्ठ संख्या : २८६

रीमा भारती भारतीय खुफिया एजेंसी आई एस सी की नंबर वन एजेंट है। खतरों से खेलना और उन पर विजय प्राप्त करने में उसे महारथ हासिल है। अपने केसेस के बीच में मिले वक्त में उसे अपने जीवन का लुत्फ़ उठाना भी आता है। ऐसे ही एक वक्फे में वो एक बार में बैठकर अपनी पसंदीदा व्हिस्की का पान कर रही थी जब बगल में बैठे एक जोड़े की बात उसके कान पर पड़ी।
इससे उसे मालूम हुआ कि युवक अपने साथ बैठी युवती को ब्लैकमेल कर रहा था। क्योंकि रीमा के पास कुछ काम नहीं था तो उसने इस युवती की परेशानी को हल करने का फैसला किया।
लेकिन रीमा नहीं जानती थी कि यह मामला केवल tip of the ice berg है और वो अपने जीवन के एक बेहद खतरनाक मामले की तरफ कदम बढ़ा चुकी थी।
क्या रीमा भारती केस को हल कर पायी??क्या वो इस गिरोह का पर्दा फाश कर पायी?? और क्या था ये खतरनाक मामला जिसने रीमा को एक बार तो नाको चने चबवा दिया  था।
जानने के लिए आपको उपन्यास डोंट टच मी को पढ़ना होगा।

उपन्यास बेहद रोमांचकारी था। जैसे जैसे उपन्यास का घटनाक्रम बढ़ता रहा वैसे वैसे रोमांच भी बढ़ता रहा। उपन्यास प्रथम पुरुष  में है तो आपको रीमा के दृष्टिकोण से उपन्यास के घटनाक्रम दिखाई देता है।

रीमा भारती एक किरदार के रूप में मुझे काफी पसंद है। उसके अंदर असंख्य सम्भावनायें हैं जिसको लेखक इस्तेमाल करना बखूबी जानता है। वो दिलदार है जो किसी अजनबी के लिए अपनी जान जोखिम में डालने में गुरेज नहीं करती,देशभक्त है जो देश के दुश्मनो को नाकों चने चबवाने का मादा रखती है। कभी कभी देश खातिर ऐसे कृत्य करने होते हैं जिसे उसका जमीर गवाही नहीं देता लेकिन फिर भी वो ऐसा काम  कर देती है। वो जिंदादिल इंसान है जो जिंदगी के  भरपूर मजे लेने में विशवास रखती है और वो कार्य बखूबी निभाती है। उपन्यास पढ़ते वक्त आप उसके इन्ही रूपों से रूबरू होंगे।

उपन्यास में कई जगह सेक्स सीन भी हैं लेकिन उनको कहानी में जबरदस्ती नहीं डाला गया है। हाँ,जिस विस्तार से उनका वर्णन किया है उसे थोड़ा कम किया जा सकता था। इससे कहानी की रफ़्तार और तेज हो जाती।

हाँ एक और कमी मुझे जो लगी वो उपन्यास का प्रथम पुरुष  में होना। ऐसा इसलिए क्योंकि रीमा के मुँह से पूरे उपन्यास में अपने जिस्म की तारीफ सुनना और अपने आप को बेहद खतरनाक करार देते रहना कुछ समय बाद ऐसे लगने लगता है जैसे कोई अपनी शेखी बघार रहा हो। अगर उपन्यास उत्तम पुरुष  में होता तो ये बात उचित लग सकती थी।

अंत में इतना कहूँगा उपन्यास मुझे बहुत  पसंद आया। उपन्यास बेहद रोमांचक है जिसने अंत तक मुझे बोरियत का एहसास नहीं होने दिया। शायद,आपको भी उपन्यास मेरी तरह काफी पसंद आये।

अगर आपने इस उपन्यास को पढ़ा है तो इसके विषय में आप अपनी राय जरूर दीजियेगा।


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

4 Comments on “डोंट टच मी – रीमा भारती”

    1. डेवेन्दर जी उपन्यास मैंने awh स्टाल्स से खरीदा था। अब तो दो साल होने को आये इस बात को। आप कोशिश कर। किसी रेलवे स्टेशन के बुक स्टाल पर मिल जाये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *