जेल शरीर, चली है बारात मगर

अभी हाल ही मैं दो कॉमिक्स पढ़ीं। एक थ्रिल,हॉरर,स्प्सेंस सीरीज की ‘जेल शरीर’ थी और दूसरी मुर्दा एंथोनी की ‘चली है बारात मगर’। वैसे तो दोनों अलग श्रृंखला की कॉमिक्स हैं लेकिन फिर भी मैंने सोचा क्योंकि एंथोनी की कॉमिक्स में भी थ्रिल हॉरर सस्पेंस होता ही तो उसके विषय में भी इसी पोस्ट में लिख दूँगा तो कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए। तो इसलिए इस पोस्ट में दोनों के विषय में लिखा है।

1. जेल शरीर

कॉमिक्स 26 मई 2018 को पढ़ी 
रेटिंग : 3/5 
कहानी : 2.5 /5
आर्ट: 3.5/5

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक 
पृष्ठ संख्या : 56
प्रकाशक : राज कॉमिक्स 
आईएसबीएन: 9789332411968
 लेखक : तरुण कुमार वाही, परिकल्पना : विवेक मोहन,पेन्सिलिंग : सुधीर,इंकिंग: जगदीश,रंग व सुलेख : सुनील पाण्डेय,सम्पादक : मनीष गुप्ता
जब श्रीनाथ के दोस्त आम पढ़ाई करके अपनी ज़िन्दगी बना रहे थे तब श्रीनाथ ऐसे ज्ञान को अर्जित करने में लगा था जिसके विषय में किस्से कहानियों में ही सुनने को मिलता था। उसने परकाया प्रवेश (यानी एक जीव की आत्मा को दूसरे जीव में डालना ) की विद्या सीख ली थी। वो इस काम को आसानी से कर सकता था। 
वो खुश था और अपनी इस ख़ुशी को अपने दोस्तों : राजेश,शालू, समीर और नैना के  साथ बाँटना चाहता था। 
उसे पता नहीं था कि जल्द ही उसे अपनी इस विद्या का प्रयोग करना होगा। एक दोस्त की मदद करने के लिए करना होगा। 
लेकिन वो नहीं जानता था कि जब दोस्त स्वार्थ में अँधा हो जाता है तो वो दोस्त के साथ विश्वासघात करने से भी नहीं हिचकता है। उसके बाद जो होता है वो आदमी की ज़िन्दगी,उसका नजरिया सब बदल देता है। 
आखिर ऐसा क्या हुआ? 


किसके शरीर में श्रीनाथ को परकाया प्रवेश करवाना पड़ा? 


ऐसा उसे क्यों करना पड़ा? 


इस सबका नतीजा क्या निकला?  और आखिर एक शरीर जेल क्यों बन गया?
ये सब सवाल आपके मन में उठ रहे होंगे। है न? जवाब तो आपको इस कॉमिक्स को पढ़कर ही पता चलेगा। तब तक आप कॉमिक के प्रति मेरी राय पढ़ सकते हैं। 
जेल शरीर थ्रिल हॉरर सस्पेंस श्रृंखला का कॉमिक है। अगर आप मेरा ब्लॉग फॉलो करते हैं तो आपको पता होगा कि पिछले कई हफ़्तों से मैं इसी श्रृंखला के कॉमिक्स पढ़ रहा हूँ। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हॉरर मेरा पसंदीदा श्रेणी है। कॉमिक, कहानी या फिल्म कुछ भी हो मुझे हॉरर काफी पसंद आता है। इस कारण हॉरर की खुराक के लिए इस श्रृंखला के कॉमिक पढ़ता रहता हूँ। 
प्रस्तुत कॉमिक की बात करूँ तो जेल शरीर एक ऐसी युवती की कहानी है जो स्वार्थ के चलते दोस्ती, प्रकृति के कानून और इनसानियत सब का परित्याग कर देती है। अक्सर जब हमारा कोई प्रिय व्यक्ति इस संसार को छोड़ देता है तो हम दुखी हो जाते हैं। हम उनके चले जाने से आये खालीपन को झेलने के लिए विवश हो जाते हैं। कई बार हम उनका मोह नहीं छोड़ पाते तो ऐसे ठगों का शिकार बन जाते हैं जो आत्मा से बाते करने का दावा करते हैं। संतुष्टि के लिए जरूरी होता है। ये सामान्य इनसानी भावना है। लेकिन जब ये मोह स्वार्थ में तब्दील होकर दूसरे के जीवन में परेशानी का सबब बनता है तो वो गलत होता है। 
यही इस कॉमिक में होता है। स्वार्थ में अंधी होकर वो युवती न केवल अपने दोस्तों की जिंदगी से खेलती है बल्कि जिसे प्यार करती थी उसके शरीर को भी ऐसे जीवित कर देती है जो कि प्राकृतिक नहीं है। इस काम को करने के लिए उसे कई दोस्तों को नुक्सान पहुंचाना पड़ता है। ये सब कैसे होता है ये तो आप कॉमिक पढ़कर ही जानेगे। फ़िलहाल इतना कहूँगा कि कॉमिक का कथानक रोमांचक और रोचक दोनों है। यह रोचकता कॉमिक के अंत तक बनी रहती है। इस कॉमिक में मुझे अच्छी ये बात लगी कि इसमें इनसान आत्मा को कण्ट्रोल कर रहा होता है। आत्मा इसमें बुरी नहीं है जैसा कि अक्सर कॉमिक्स में होता है। ये कहानी इनसानी स्वार्थ के इर्द गिर्द बुनी गई है। 

कॉमिक में कुछ बातें पता नहीं लगती है। उदारहण के लिए श्रीनाथ कैद कर लिया जाता है लेकिन ये कैसे होता है ये नहीं पता लगता है। मुझे लगता है उसे कैद करना कठिन रहा होगा। फिर शरीर और आत्मा मिलकर ही एक इनसान को बनाती हैं। तो शरीर से प्यार की बात भी मुझे नहीं जमी। कहानी में एक बार जब डॉक्टर शरीर को चेक करते हैं तो शरीर एक आम इनसान सरीखा ही होता है। ऐसे में वो शरीर पैदल ही बिना किसी गर्म कपडे के बर्फ के पहाड़ों से आता है। ऐसी जगह फ्रॉस्ट बाईट हो सकती है तो उसे क्यों नहीं हुई। अगर शरीर आम नहीं था तो उस पर जलने का असर भी नहीं होना था। ऐसी ही कुछ कमजोरियां थी जिनके ऊपर थोड़ा ध्यान देना चाहिए था। 

 हाँ, अंत में यही कहूँगा कि कॉमिक में थ्रिल और थोड़ा बहुत हॉरर तो हैं लेकिन सस्पेंस नहीं है। कॉमिक एक बार पढ़ा जा सकता है। अपनी कमियों के साथ भी  मेरे अनुसार इस श्रृंखला में पढ़ी गई काफी कहानियों से अच्छी कहानी है इसकी। 

2. चली है बारात मगर 

कॉमिक 30 मई 2018 को पढ़ा गया 
रेटिंग : 3.5/5 
कहानी : 3.5/5 
आर्टवर्क : 3.5/5 
संस्करण विवरण:
फॉर्मट : पेपरबैक 
पृष्ठ संख्या : 64
प्रकाशक : राज कॉमिक्स
आईएसबीएन: 9789332410671
लेखक : तरुण कुमार वाही, चित्रांकन : रंग और सुलेख: ,सम्पादक :
सीरीज : एंथोनी

भारतवर्ष में शादी दो लोगों का मिलन ही नहीं अपितु दो परिवारों का मिलन भी होता है। एक ऐसा सूत्र जिससे दो लोगों के साथ दो परिवार भी जन्म जन्मान्तर तक एक सूत्र में बंध जाते हैं। शादी दो परिवारों में खुशियाँ लेकर आता है और इसीलिए भारत में शादी किसी उत्सव से कम नहीं होती। रूपनगर में भी शादियों का सीजन अपने चरम पर था। 
लेकिन एक बदनसीबी ने रूपनगर को घेर लिया था। एक दिन में हो रही कई शादियों में से एक शादी ऐसी होती थी जहाँ खुशियाँ दुःख में तब्दील हो जाती थीं। दूल्हे के घर से बारात चलती थी, दुल्हन के घर तक पहुँचती भी थी और दुल्हन को लेकर वापस आ भी जाती थी लेकिन इसके पश्चात वो दुल्हन गायब हो जाती थी। और उसपे भी सबसे अजीब बात ये कि एक बारात अगले दिन बारात स्थल तक पहुँचती थी। उस बारात के हिसाब से रात वाले नकली बाराती थे और वो असली। 
ऐसा कई बारातों के साथ हो गया था। कई दुल्हने अगवा हो गईं थीं। पुलिस की मुस्तैदी के बाद भी हो गईं थीं। 
डीसीपी इतिहास परेशान था। दूल्हा तो बहरूपिया हो सकता है, इस बात को वो मान सकता था। लेकिन पूरी बारात ही बहरूपिया हो तो ये मामला कोई आम मामला नहीं था। उसे अंदाजा था कि हो न हो कोई न कोई परालौकिक शक्तियाँ इनके पीछे थी और इनसे केवल एंथोनी ही निपट सकता था।

आखिर ये क्या मामला था? दुल्हनों का अपहरण करने वाले ये बहरूपिये कौन थे? 


एंथोनी किधर था? 


क्या वो इस रहस्य को सुलझाने में सफल हुआ? 


क्या दुल्हनों का अपहरण होना बंद हुआ? 
इन सब प्रश्नों के जवाब तो आपको इस कॉमिक को पढ़कर ही पता चलेंगे। 
 ‘चली है बारात मगर’ एंथोनी का कॉमिक है। इतना तो आप अब तक समझ चुके होंगे। एंथोनी के कॉमिक भी मुझे काफी पसंद आते हैं क्योंकि इनमें भी हॉरर का तड़का भरपूर मात्रा में रहता है। ये कॉमिक भी ऐसा ही है। इसकी कहानी एक ही पार्ट में निपट जाती है और ये मुझे अच्छी बात लगी। जो कॉमिक दो तीन पार्ट्स में होते हैं उनके साथ मुझे हमेशा दिक्कत आती है क्योंकि पार्ट्स का मिलना भी दूभर होता है। मेरे पास एंथोनी के ही कई ऐसे कॉमिक पढ़े हैं जिनका एक पार्ट तो मेरे पास है लेकिन दूसरा पार्ट नहीं मिल रहा। इसलिए उन्हें पढ़ना भी रह गया है।

खैर, इस कॉमिक की बात करें तो कॉमिक शुरू से आखिर तक रोमांचक है। शादियों के इर्द गिर्द बुनी ये कहानी मुझे पसंद आई। कॉमिक रोमांच से भरपूर है क्योंकि इसमें सूपरनेचुरल घटनाएं होती रहती हैं। ये घटनाएं क्यों हो रहीं हैं इसका रहस्य अंत तक बना रहता है जो कि पाठक को कॉमिक पढ़ते जाने के लिए विवश करता है।  कहानी में एक मुख्य खलनायक है और एक उसकी पलटन है। खलनायकों की ये पलटन मुझे पसंद आई  क्योंकि एंथोनी को इनसे लड़ने के लिए काफी माथा पच्ची करनी पड़ी। इसी पलटन में एक शैतान चामुंडा नाम का किरदार है जो मुझे काफी पसंद आया। वो स्टाइलिश था और खतरनाक भी। वो एक अच्छा खलनायक साबित होता है। एंथोनी और चामुंडा की लड़ाई को मैंने खूब एन्जॉय किया।

इसके इलावा इतिहास और एंथोनी के जीवन में कुछ घटनाएं होती है जो कि उनके किरदारों की कहानी को आगे बढ़ाती हैं। एक तरफ एंथोनी और किंग का रिश्ता है। मुझे इतना पता है कि किंग उसका दूसरा जन्म है और एंथोनी की आत्मा दोनों रूपों में रहती है। पाठकों को इन दोनों के समीकरण के विषय में इस कॉमिक में पता चलता है।

इसके इलावा इतिहास और वेनु  की कहानी भी आगे बढ़ती दिखती है। इस कहानी में  डीजे नाम के कॉमिक का जिक्र है। मैंने वो नहीं पढ़ी थी लेकिन इतना अंदाजा हो गया था कि उस कहानी में कुछ ऐसा हुआ था जिसके असर से इतिहास और वेनु अभी तक नहीं उभर पाएं हैं। इधर वो इसी चीज से उभरने की कोशिश कर रहे हैं।  अगर आपने उस कॉमिक को नहीं पढ़ा और आपके पास वो है तो मेरी राय ये ही होगी कि पहले आप उस कॉमिक को पढ़े। मैं भी ढूँढकर कर पढ़ने की कोशिश करूँगा।

इस कॉमिक में दो वेनु नाम के महिला किरदार थे जिनको लेकर मैं शुरुआत में थोड़ा कंफ्यूज हुआ। पहले लगा प्रिंटिंग की दिक्कत है लेकिन ऐसा नहीं था। ये दोनों वेनु पुराने ही किरदार हैं। मुझे इनके विषय में इतना तो नहीं पता लेकिन जानने की इच्छा हो चुकी है। जल्द ही जानने की कोशिश करूँगा।

कहानी की कमजोरियों की बात करूँ तो इसका अंत ही इसकी कमजोरी है। मुख्य खलनायक और एंथोनी की लड़ाई उतनी देर नहीं चली। इसके इलावा कहानी के अंत में मेरे मन में एक प्रश्न था जो कि अनुत्तरित रह गया है।  एंथोनी खलनायक को पुलिस के हवाले कर देता है। ये मुझे कुछ हजम नहीं हुआ क्योंकि खलनायक की ताकत प्राकृतिक नहीं अलौकिक हैं। पुलिस शरीर को तो कैद कर सकती है लेकिन उसके अलौकिक शक्तियों का वो क्या करेंगी इस बात पर कहानी के अंत में कोई प्रकाश नहीं डाला जाता है।  इससे पुलिस वालों ने कैसे डील किया? ये बात मुझे जाननी थी।

हाँ, एक और बात मैं इधर कहना चाहूँगा। जब मुझे पता चला कि ये सब खलनायक द्वारा क्यों किया गया तो मेरे मन में सबसे पहले ये ही ख्याल है कि ये बचकाना सा कारण दिया है। मैं किसी मजबूत कारण की अपेक्षा कर रहा था। लेकिन फिर मैंने सोचा कि हो सकता है जो कारण मेरे लिए बचकाना हो वो उस खलनायक के लिए न हो। एक आम आदमी और एक साइकोपैथ में यही फर्क होता है। छोटी छोटी चीजें जिनका हल आसानी से निकल सकता था वो उन लोगों के लिए मरने मारने की चीज हो जाती है। ऐसे कई केस आप आये दिन अखबार में पढ़ते ही होंगे कि खबर सुनकर आप कह देते होंगे कि बस इतनी सी बात के लिए। तो ये बात मेरे मन में उस ‘कारण’ आई थी जिसके कारण इस कॉमिक में खलनायक सब कुछ करता है। मैंने सोचा इसे भी इधर साझा करना चाहिए। 

अंत में तो इतना ही कहूँगा कि ये कॉमिक मुझे पसंद आई। हाँ, अंत थोड़ा कमजोर लगा लेकिन उसके साथ भी कॉमिक पढ़ने योग्य है। अगर आप थ्रिल सस्पेंस हॉरर के फेन हैं तो इसे पढ़ सकते हैं। 
अगर आपने इन कॉमिक्स को पढ़ा है तो आपका इनके विषय में क्या ख्याल था? अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा। मुझे थ्रिल हॉरर सस्पेंस और एंथोनी की कौन कौन सी कॉमिक पढनी चाहिए? कुछ नाम आपके पास हों तो उन्हें भी साझा कीजियेगा।
अगर आपने इन कॉमिक्स को  नहीं पढ़ा है तो आप निम्न लिंक्स से इसे मँगवा सकते हैं:
थ्रिल हॉरर सस्पेंस श्रृंखला के मैंने और भी कई कॉमिक पढ़े हैं। उनके विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं:
एंथोनी के दूसरे कॉमिक भी मैं पढ़ता रहता हूँ। उनके विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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0 Comments on “जेल शरीर, चली है बारात मगर”

    1. जी सही कहा आपने। कॉमिक्स वाकई रोचक हैं।

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