8:36 और मातृभूमि

9 नवंबर से 10 नवंबर के बीच पढ़ी गई

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक
पृष्ठ संख्या: 48
प्रकाशक: राज कॉमिक्स
आईएसबीएन: 9789332415591

8:36
8:36

बहुत दिनों से कोई कॉमिक नहीं पढ़ा था। इस रविवार मामाजी के घर जाना हुआ तो एक कॉमिक उनसे ले आया। वो कॉमिक के बड़े शौक़ीन हैं और मैं जब बचपन में गढ़वाल से सर्दियों की छुट्टियों में आता था उनकी कॉमिक का संग्रह से कॉमिक पढ़ने की तमन्ना मन के किसी कोने में हमेशा रहती थी। काफी सारी कॉमिक मैंने उस वक्त पढ़ी थीं।

खैर, बचपन की याद से आज के समय में आते हैं। उनके पास से  डोगा की 8:36 लेकर आया। वैसे तो उन्होंने चुनने के लिए दो तीन कॉमिक दी थी लेकिन बाकियों के साथ दिक्कत ये थी कि वो भाग में थी और उनका दूसरे या किसी मामले में पहला भाग उनके पास नहीं था। ऐसे में उन्हें लेकर कोई तुक  नहीं था। एकल कॉमिक या उपन्यास हमेशा से मेरी पहली पंसद रहे हैं। अगर कहानी एक में ही खत्म हो जाए तो फिर आप आगे बढ़ सकते हैं वरना आपको भागों के चक्कर में यहाँ वहाँ फिरना पड़ता है और आप यह गाना गुनगुनाने में मजबूर हो जाते हैं:

फिरता रहूँ मैं दर बरदर,
मिलता नहीं तेरा निशां,
होके जुदा कब मैं जिया
तू है कहाँ मैं यहाँ

राज कॉमिक के मामले में मैंने कई बार ये गाना गाया है। और मेरा ये करने का फिलहाल कोई इरादा नहीं था इसलिए 8:36 बेहतर चुनाव था।

अब 8:36 की बात करें तो इस कॉमिक में एक नहीं दो सम्पूर्ण कहानियाँ हैं। यानी इस 48 पृष्ठों के कॉमिक में दो कॉमिक हैं। इस पोस्ट में दोनों के विषय में बात करूँगा।

1) 8: 36

कथानक : नितिन मिश्रा
चित्रांकन: हेमन्त
इंकिंग :सागर थापा
इफेक्ट्स:सुनील
कैलीग्राफी: हरीश शर्मा

ई टी सी नाम का वो व्यक्ति डोगा के हत्थे चढ़ चुका था। डोगा को पता था ईटीसी के मंसूबे ठीक नहीं थे। उसने 26/11 के हमलो की तर्ज पर कुछ विशेष योजना बना रखी थी।

डोगा को इस योजना को सफल होने से रोकना था। अगर ऐसा नहीं होता तो तबाही निश्चित थी।

आखिर कौन था ई टी सी?
क्या थी उसकी योजना?
क्या डोगा उसकी योजना को असफल करने में कामयाब हो पाया?

इन प्रश्नों का उत्तर आपको इस कहानी को पढ़कर मिलेंगे।

मुझे कॉमिक पसंद आई। कथानक समसामयिक है और इसलिए आकर्षित करता है और यथार्थ  के नजदीक लगता है। कहानी कसी हुई है। पाठक कहानी में तब जुड़ता है जब डोगा के पास योजना को असफल करने के लिए आधा घंटा होता है। इससे कहानी में रोमांच का तत्व बढ़ जाता है।

कहानी में बेक फ़्लैश के माध्यम से पूरी कहानी पाठकों को पता चलती है तो कहीं भी कुछ अधूरा पन नहीं है।
एक रोचक,रोमांचक कॉमिक जो अंत तक पाठक का मनोरंजन करती है।

हाँ, इसमें डोगा पुलिस कमिश्नर के समक्ष भी आता है लेकिन ऐसा लगता है जैसे ये सामान्य बात हो। बाद में पुलिस कमीश्नर और डोगा के बीच कुछ चटपटे संवाद होते तो बेहतर रहता।

2) मातृभूमि

लेखक : नितिन मिश्रा
आर्टिस्ट – हेमन्त
इंकिंग: लक्षिमन
कैलीग्राफी : हरीश शर्मा
सम्पादक मनीष गुप्ता

मुंबई आज जल रही थी। मराठा उद्धार संघ का कर्ताधर्ता अपनी पार्टी को चमकाने के लोगों में फूट डालने का काम कर रहा था। आज यह फूट हिन्दू मुस्लिम न होकर मराठी और उत्तर भारतीय के बीच डाली गई थी। लोग इस उन्माद में पागल हो रहे थे।

और इन सबके बीच डोगा था।


उसने इस पागलपन को रोकने के लिए क्या किया? 

इस चीज का पता तो आपको इस कॉमिक को पढ़कर पता लगेगा।

फूट डालो और राज करो की रणनीति काफी पुरानी है और गाहे बगाहे राजनेता इसका इस्तेमाल करते रहते हैं। मुंबई के विषय में आपको अगर जानकारी होगी और उसकी राजनीति से आप परिचित होंगे तो आपको पता होगा कि उधर ऐसी राजनीति काफी पहले से सक्रिय रही है। पहले दक्षिण भारतीय इसके ग्रास बने और फिर उत्तर भारतीय। कुछ दिनों पहले गुजरातियों के विषय में भी ऐसी खबरे आई थीं।

यह सब चीजें नेता लोग अपने स्वार्थ के लिए करते हैं और कई लोग इसका साथ इसलिए भी देते हैं क्योंकि इससे उनका भी फायदा होता है। लेकिन यह करके नेता लोग भले ही उभर के आ जाते हों लेकिन उनके मुद्दे बस इसी में सिमट कर रह जाते हैं। समझदार लोग ये जानते हैं और जो समझदार नहीं होते हैं वो इनकी बातों में आकर नफरत की आग बढाते हैं।

इसी बात को यह कॉमिक दर्शा रही है। कहानी मार्मिक है और एक अच्छा संदेश दे जाती है कि इस देश पर हर किसी का अधिकार है और देश के नागरिक को कहीं भी बसने से रोका नहीं जाना चाहिए।

डोगा कि ये दोनों कॉमिक इसलिए अलग हैं क्योंकि इनमें समसामयिक मुद्दों को उठाया गया है। लेखक नितिन मिश्रा जी का यह एक बेहतरीन प्रयास है। उम्मीद है ऐसे और भी कथानक उनकी कलम से निकलेंगे।

मुझे दोनों कॉमिक पसंद आये।  दोनों ही कॉमिक का चित्रांकन भी मुझे अच्छा लगा। कहानी को कॉम्प्लीमेंट करता है।

मेरी रेटिंग: 4/5

अगर आपने यह कॉमिक पढ़ा है तो आपको यह कैसा लगा? अपने विचारों से मुझे कमेंट के माध्यम से जरूर बताईयेगा।

नितिन जी की दूसरी कृतियों के विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
नितिन मिश्रा

डोगा के दूसरे कॉमिक्स के विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
डोगा

मैंने दूसरे कॉमिक्स भी पढ़े हैं , उनके विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
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राज कॉमिक्स


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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4 Comments on “8:36 और मातृभूमि”

  1. रूचिकर प्रसंगों का विश्लेषण …, कभी सुपर कमांडो ध्रुव और नागराज की कहानियों का उल्लेख कीजिएगा ।एक वक्त ये तीनों ही लोकप्रिय हुआ करते थे ।

    1. जी,शुक्रिया मैम। नागराज और ध्रुव के कॉमिक्स के विषय में भी लिखता हूँ।
      ध्रुव की कहानियों के विषय में इधर लिखा है:
      http://vikasnainwal.blogspot.com/search/label/सुपर%20कमांडो%20ध्रुव
      नागराज के कॉमिक्स के विषय में इधर लिखा है:
      http://vikasnainwal.blogspot.com/search/label/नागराज

      मुझे हॉरर कॉमिक्स पढ़ना पसन्द रहा है। राज के थ्रिल हॉरर सस्पेंस श्रृंखला के कॉमिक्स पढता रहता हूँ।

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