मेरे संग्रह में मौजूद राजन-इक़बाल के कुछ बाल-उपन्यास |
कई बार सुबह सुबह आप फेसबुक खोले तो ऐसी चीजें दिख जाती हैं जो आपका दिन बना देती हैं। आज मेरे साथ ऐसा ही हुआ। जॉगिंग से लौटकर जब मैं आया और मैंने फेसबुक खोला तो मेरी नजर एक ऐसी पोस्ट पर पढ़ी जिसके कारण मैंने कुछ ऐसा देखा जो कि इस हफ्ते मेरी देखी हुई बेहतरीन चीजों में से एक था। यह पोस्ट राजन-इकबाल से जुड़ी हुई थी।
यहाँ मैं बताना चाहूँगा कि राजन-इकबाल से मैं अपने जीवन के पच्चीस-छब्बीस बसंत गुजर जाने से पहले तक वाकिफ नहीं थ। लेकिन जब मैंने साहित्य शुरू किया और पढ़ने लिखने वालों की सोहबत में रहना शुरू किया तो मुझे पता चला कि ज्यादातर लोग इस जोड़ी से वाकिफ हैं। राजन इकबाल मशहूर लेखक एस सी बेदी द्वारा रचे गये किरदार हैं जो कि हिन्दी बाल उपन्यासों के सबसे प्रसिद्ध किरदारों में से एक हैं। राजन-इकबाल बाल सीक्रेट एजेंट हैं जो कि अपने मिशनों के तहत कई खतरनाक अंजाम देते हैं और देश के दुश्मनों के दाँत खट्टे कर देते हैं। जहाँ राजन बहुत ही संजीदा किरदार था वहीं इकबाल का विनोदी स्वभाव रचनाओं में हास्य का पुट बनाये रखता था। इन दोनों की जोड़ी पाठको को रोमांच के साथ हास्यरस भी मुहैया करवाने में सफल होती थी।
इनकी प्रसिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि कहते हैं कि एस सी बेदी ने इन किरदारों को लेकर 1200 से ऊपर बाल उपन्यास लिखे थे और इन उपन्यासों को पाठकों का भरपूर प्यार भी मिला था।
जब यह बाल-उपन्यास आया करते थे उस वक्त बाल उपन्यास पढ़ने वाले बच्चों के जुबान पर राजन इकबाल का नाम रहता था। राजन इकबाल के बाल उपन्यास बच्चों को रोमांचित तो करते ही थे साथ साथ वो उनके मन में देशभक्ति और देश के प्रति समर्पण की भावना भी जागृत करते थे।
मुझे जब इनके विषय में पता चला तो देर आयद दुरुस्त आयद की तर्ज पर मैंने इन्हें ढूँढना शुरू किया और बचपन में जो कमी रह गयी थी वह पूरी करने लगा। अब मुझे बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि राजन इकबाल के काफी उपन्यास ऐसे हैं जो कि मैं पढ़ चुका हूँ।
राजन,इकबाल,शोभा,सलमा और इंस्पेक्टर बलवीर ऐसे किरदार हैं जिनसे अब मैं वाकिफ हूँ और गाहे बगाहे उनसे मिलने जाता रहता हूँ। राजन इक़बाल के रचयिता एस सी बेदी भले ही हमारे बीच अब नहीं हैं लेकिन उनके किरदारों के माध्यम से वे हमेशा हमारे बीच रहेंगे।
एस सी बेदी जी के इन किरदारों ने पाठकों को किस तरह प्रभावित किया है यह गाहे बगाहे पता चलता रहता है। उनकी रचनात्मकता पर इसका असर दिखता है। आज भी सुबह फेसबुक देखा तो अपराध कथा लेखक शुभानन्द की एक पोस्ट से एक विडियो का लिंक मिला। शुभानन्द खुद अपने लेखन की प्रेरणा एस सी बेदी को मानते हैं और उन्होंने एस सी बेदी के इन्हीं किरदारों को लेकर राजन इकबाल रिबॉर्न श्रृंखला भी लिखी थी। चूँकि वह खुद राजन-इक़बाल के फैन हैं तो उनका यह विडियो साझा करना बनता ही था।
यह विडियो एक गीत है जो कि राजन-इकबाल के फैन मनोज अग्रवाल ने अपने यू ट्यूब चैनल पर अपलोड किया है। इस गीत के माध्यम से मनोज जी ने राजन-इकबाल के प्रति अपनी दीवानगी को दर्शाया है।
यह गीत राजन-इकबाल की दुनिया और इनके किरदारों से आपको वाकिफ तो करवाता ही है लेकिन इस साथ साथ उन बच्चों को इस उपन्यासों के लिए अपने माँ बाप से कभी कभी कैसी झिकड़ी खानी पड़ती थी यह भी दिखलाता था। आपने और हमने कभी न कभी ऐसी झिड़कियाँ अवश्य खाई होंगी। ऐसे में यह विडियो राजन इकबाल की दुनिया को आपके यादों से झरोखों से वापिस खींच तो लायेगा ही लेकिन इसके साथ साथ आपकी बचपन की कई स्मृतियों को भी तरो ताजा कर देगा।
विडियो आप निम्न लिंक पर जाकर देख सकते हैं:
विडियो कैसा लगा ये मनोज अग्रवाल को कमेन्ट करके अवश्य बतायें। उनके चैनल को सब्सक्राईब भी करें ताकि वो ऐसे और वीडियोस बनाते रहें।
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
बेहतरीन लेख। राजन इक़बाल व बेदी सर की लेखनी ने हमारे और मनोज जी जैसे लाखों का बचपन संवारा है।
जी आभार…..
बढ़िया लेख.. बचपन की यादें ताजा हुईं
जी लेख आपको पसंद आया यह जानकार ख़ुशी हुई।
अच्छा आलेख।
जी आभार सर। गीत भी सुनियेगा वो भी अच्छा बनाया है।
बालपन में इन किरदारों का कितना महत्व था मेरे जीवन में कि इनके उपन्यास पढ़ने के लिए स्कूल से भागकर किताबो की दुकानों का चक्कर तक लगा लिया जाता था। स्कूल बैग में भी इनकी एक दो किताबे रखी रहती थी।
वाह!!! मुझे तो इनके विषय में काफी देर में पता लगा तो ऐसा करने का मौका मिल ही न सका।