बिच्छू

 संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स  | लेखक: तरुण कुमार वाही | चित्रांकन: मनु | आवरण चित्र: धीरज वर्मा

कॉमिक बुक समीक्षा बिच्छू
कहानी:
पुलिस वालों को लगा था उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अपराधी डैंग को पकड़ लिया था लेकिन वह उनकी आँखों में धूल झोंक कर भाग गया था।
चीता अभी भी पुलिस की हिरासत में था। डोगा जानता तो था कि वह बेगुनाह है लेकिन चीता की बेगुनाही के सबूत जुटाना अभी तक टेढ़ी खीर साबित हो रहा था।
वहीं बिच्छू की गुत्थी अभी तक अनसुलझी थी। मोनिका बिच्छू से डरी हुई थी लेकिन उसके डर का क्या कारण था यह डोगा नहीं समझ पा रहा था।
जेल से भागने के बाद डैंग की अब अगली योजना क्या होने वाली थी? 
क्या चीता जेल से छूट पाया? अगर हाँ तो यह सब कैसे मुमकिन हुआ?
बिच्छू क्या बला थी और इसका चीता और मोनिका के जीवन से क्या नाता था?

मेरे विचार:

बिच्छू डोगा डाइजेस्ट पाँच में मौजूद तीसरा और आखिरी कॉमिक बुक है। जिस कहानी का आगाज हड़ताल से  हुआ था वह डोगा जिंदाबाद से होते हुए अब बिच्छू पर आकर अपने अंजाम पर पहुँची है। 

श्रृंखला के आखिरी कॉमिक बुक आपको चीता के स्याह भूतकाल से वाकिफ करवाती है। चीता चीता कैसे बना यह बात पाठकों को बताती है।

डोगा जिंदाबाद के आखिर में पाठकों ने जाना था कि डोगा को मोनिका की घबराहट से यह अंदाजा हो गया था कि बिच्छू का हो न हो मोनिका और चीता की पिछली जिंदगी से कुछ न कुछ लेना देना है। मोनिका ऐसा कुछ जानती है जो वह नहीं बता रही है। डोगा का यह शक सही भी था।  यहीं से बिच्छू कॉमिक की कहानी आगे बढ़ती है। इस कॉमिक बुक की शुरुआत मोनिका द्वारा डोगा को एक कहानी सुनाने से होती है। शुरुआती चौदह पृष्ठों में बताई गयी इस कहानी के माध्यम से पाठक न केवल बिच्छू के विषय में जान पाते हैं बल्कि बिच्छू का चीता और मोनिका के साथ क्या नाता है वे इससे भी वाकिफ हो पाते हैं। 

यह भी पढ़ें: तरुण वाही द्वारा लिखी गयी अन्य कॉमिक बुक्स की समीक्षा

इस कहानी के उजागर होने के बाद कथानक वर्तमान समय में आ जाता है। पाठकों को डोगा जिंदाबाद में ही यह पता लग गया था कि डैंग पुलिस को धोखा देने में कामयाब हो गया था। अब इस कॉमिक बुक में डैंग की अगली योजना दर्शायी गयी है। वहीं उसका बिच्छू से क्या नाता है यह भी दिखलाया गया है। 

कॉमिक बुक का घटनाक्रम तेजी से घटित होता है। डोगा का एक्शन देखने को मिलता है जिसके बदौलत चीता बाहर आता है और फिर डैंग और उसका टकराव होता है। यह डोगा का कॉमिक है तो डैंग और चीता के टकराव में डोगा की भी महती भूमिका रहती है यह बताना कोई स्पोइलेर नहीं होगा। 

चूँकि यह श्रृंखला का आखिरी कॉमिक बुक था तो मेरी इससे अपेक्षा ज्यादा थी। काफी हद तक कॉमिक बुक इस अपेक्षा पर खरा भी उतरता है लेकिन मुझे लगता है तीस पृष्ठों में कथानक निपटाने के चलते काफी बातें रह जाती हैं। उदाहरण के लिए डैंग कैसे पुलिस की नजरों के धोखा दे पाया यह नहीं दर्शाया गया है। कॉमिक बुक के अंत में बिच्छू और डैंग को लेकर एक बात उजागर होती है। वह एक ही डायलॉग में बताई गयी है। जो बात बोली गयी है वह कैसी करी गयी यह भी चीता की कहानी की तरह बैक फ़्लैश में दर्शायी जाता तो बेहतर होता। 

वहीं कॉमिक बुक का अंत भी बहुत तेजी से हो जाता है। इसी कॉमिक बुक में कमांडर नाम का डैंग का साथी है जो कि फौजी का भाई था। उसे लेकर थोड़ा बहुत रोमांच कहानी में लाया जा सकता था लेकिन उसे ऐसे ही जाया कर दिया है। जबकि उसके भाई फौजी का पिछले दो कॉमिक बुक में काफी रोल दिया गया था। कमाण्डर को भी इस कॉमिक बुक में ऐसी ही कोई भूमिका दी जा सकती थी। इससे रोमांच बढ़ता।

फिर डैंग और चीता के बीच के रिश्ते को देखते हुए इनका आखिरी मुकाबला जितना बड़ा होना चाहिए था उतना बड़ा वह नहीं होता है। चीता और डोगा दोनों ही डैंग तक आसानी से पहुँच जाते हैं और फिर जो होता है वह तो आपको पता है ही जल्दी ही निपटना था। यह मुकाबला और बेहतर हो सकता था। मोनिका को भी क्लाइमेक्स से गायब दिया है जबकि चूँकि यह पूरी कहानी चीता और मोनिका की पिछली जिंदगी के विषय में है तो मुझे लगता है अंत में उसे होना चाहिए था।

कॉमिक बुक के आर्टवर्क की बात करूँ तो इसका कवर पृष्ठ धीरज वर्मा द्वारा बनाया गया है। कवर पृष्ठ में डोगा है और बिच्छू है। जहाँ डोगा गुस्से में बेबस सा नजर आता है वहीं मोनिका को बिच्छू ने अपनी बाहों में जकड़ कर बंधक बनाया हुआ है। ऐसा कोई वाक्या कॉमिक बुक में नहीं होता है लेकिन अगर होता तो मज़ा आता। कॉमिक बुक के अंदर का आर्टवर्क मनु द्वारा किया गया है जो कि संतुष्ट करता है।

अंत में मैं तो यही कहूँगा कि कॉमिक बुक मुझे पसंद आया लेकिन श्रृंखला की तीसरी और आखिरी कड़ी के हिसाब से यह और बेहतर बन सकता था। इसे 30 पृष्ठों में समेटने की कोशिश न की गयी होती तो शायद बेहतर होता।

लेखक तरुण कुमार वाही ने उपन्यास भी लिखे हैं। अगर प्रकाशक चीता की अतीत की इस कहानी को उपन्यास के तौर पर लाये तो लेखक इसे कैसे लिखेंगे यह देखना रोचक होगा। मुझे लगता है उपन्यास ही ऐसी कहानी के साथ न्याय कर सकता है क्योंकि उधर लेखक के पास सीमित पैनलों में बात कहने की मजबूरी नहीं होती है। 

अगर आपने इस कॉमिक बुक को पढ़ा है तो आपको यह कैसा लगा यह मुझे जरूर बताइयेगा।

रेटिंग: 3/5

© विकास नैनवाल ‘अंजान’


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

2 Comments on “बिच्छू”

  1. बढ़िया कॉमिक्स थी। डोगा की शुरुआत सारी कॉमिक्स ही अच्छी थीं। काल पहेलिया, काली विधवा के आने के बाद तो इसे पंख लग गए थे।

    1. जी मैं कभी सीरियली इन्हें नहीं पढ़ पाया।जब जो हाथ लगी तब तब वो पढ़ी। लेकिन फिर भी डोगा मेरे सबसे पसंदीदा किरदारों में से एक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *