किताब परिचय:
‘वो मीरा नहीं थी’ उपन्यास समर्पित प्रेम को व्यक्त करता है, स्नेह की उस पराकाष्ठा को वर्णित करता है जहाँ व्यक्ति स्वयं को भूलकर उसकी दुनिया में विलीन हो जाता है जिससे वो प्रेम करता है। फिर उसे स्वयं के सुख-दुख का ख्याल नहीं रहता।
यह एक एक ऐसी लड़की नदी की कहानी है जो न चाहते हुए भी मीरा सी बन जाती है। जब शादी के बाद नदी के पति सागर को इस बाद का पता चलता है कि वो वास्तव में मीरा सी नहीं है और वो एक सांसारिक लड़की है तो सागर अपना सबकुछ नदी को सौंप कर उसे छोड़ देना चाहते हैं। आखिर वो दोनों ऐसा क्यों करते हैं, नदी न चाहते हुए भी मीरा सी क्यों बन जाती है, फिर उसके बाद क्या होता है इन सभी सवालों को जानने के लिए पढ़ें ‘वो मीरा नहीं थी’।
किताब के कुछ चुनिन्दा अंश:
माली ने पेड़ के तने को सहलाते हुए कहा – ‘‘मतलब यही कि इसे बसंत के आने से, बहार के छा जाने से फर्क नहीं पड़ता। वो बारह महीने ऐसा ही रहता है। लगता है वो ज़िंदगी से उक्ता गया है पर बगीचे के और पौधों की खातिर जी रहा है, उन्हें बताने के लिए कि देखो मैं ज़िंदा हूँ, इसलिए मेरे लिए दुखी मत होना, अपने जीवन को आगे बढ़ाओ, खूब फलो-फूलो। तुम्हें खिलता देखकर मैं खिल जाऊँगा। ऊपर से नज़र न आऊँगा तो क्या, मेरा जी तो हरा ही रहेगा।’’
फिर माली ने फूलों से भरी बेल उस सूखे पेड़ पर चढ़ा दी और पुरोहित की ओर देखकर बोला – ‘‘देखो मैंने फूलों के एक शहर को इस पेड़ पर रख दिया है। यूँ लगता है जैसे कोई नई-नवेली दुल्हन अपने साजन के गले में फूलों का हार पहनाती हो। इससे ज़्यादा खूबसूरत और क्या हो सकता है? पर इस पेड़ को राज़ी करना मुश्किल होगा।’’
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जिस तरह पतझड़ में चलने वाली हवा पेड़ों के कानों में कुछ ऐसा कह जाती है जिसको सुनते ही पेड़ो से हजारों पत्तियाँ पल भर में ही टूट जाती हैं, उसी तरह की बात मंदिर के पुजारी ने सागर बाबू से की थी जिसको सुनते ही इस पूजा के लिए हजारों अरमानों को संजोए रखने वाला उनका मन पलभर में टूट गया। मन से अन्दर से आवाज़ आयी – आह! किसी ने ऐसा क्या कह दिया जो मैं बिखरता जा रहा हूँ। बड़ा कष्ट हो रहा है। लगता है अब कभी जुड़ नहीं पाऊँगा। मेरे बिखरने के बाद तुम अपनी ज़िंदगी कैसे जियोगे पता नहीं, पर कोशिश करना कि तुम उसे जी पाओ।
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पुरोहित जी ने देखा, बेटी क्या थी चौदहवीं का चाँद थी। आँखों में जिन्दगी के उजालों को समेटने की चाह थी, होठों पर हर वक्त मुस्कान की ख्वाईश थी और चेहरे पर दुनिया के हर रंग को देखने की ललक थी। वो हर गीत, हर संगीत को सुनना चाहती थी। वो बारिश में भीगते हुए दोनों हाथ फैलाकर घूम रही थी मानों सभी से कह रही हो दुनिया बड़ी खूबसूरत है, आओ बूँदों के संगीत पर हम थिरकें और जीवन को उल्लास से जिएं। पुरोहित उसे देखकर बोले – ‘‘यूँ दूसरों को उल्लास तो केवल नदी ही बाँट सकती है, इसलिए मुझे लगता है इसका नाम नदी ही है।’’
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नदी अब अपने आपको रोक न सकी और उर्वशी के गले लग गई। उसकी आँखों से आँसू टपकने लगे। वो रोते हुए बोली – ‘‘बहुत अच्छी किस्मत है हमारी उर्वशी। सागर हमें किसी बात पर टोकेंगे नहीं, हमें कभी रोकेगे नहीं, अपने मन की बात भी नहीं बतायेंगे हमें, क्योंकि उन्हें हममें कोई दिलचस्पी ही नहीं होगी। बताओ इतना अच्छा दूल्हा किसी को मिलता है क्या?
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सागर बाबू ने बात को ध्यान से सुना, उनके साथ विवाह के कारण नदी का जीवन उजड़ गया। चोट दिल पर लगी लेकिन आँसू न निकले।
सागर चेहरे को आसमान की ओर करके बारिश की बूंदें उस पर गिरने दे रहे हैं। पता नहीं चल रहा कि वो खुश हैं या रो रहे हैं। आँखें बारिश से भीगी हुई हैं या आँसू हैं। बादल गरज उठा और वो बोले – ‘‘नदी एक बात कहूँ, तुम मानोगी?’’
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नदी के इन हाव-भाव को देखकर उसकी माँ घबराते हुए उसका हाथ पकड़ते हुए बोलीं- ‘‘बेवकूफी मत करेा। बड़ी मुश्किल से अवसर मिला है एक नए जीवन को शुरू करने का। पुरानी यादों में क्या रखा है? यह पुरानी यादें तुम्हें सुख न दे सकेंगी।’’
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लेखक परिचय:
नाम: यश मजेजी
शिक्षा: बी.एस.सी, एम.एस.सी आई. सी ए
जन्म स्थान: ग्वालियर, मध्य प्रदेश
अमेज़न किंडल पर क्लासिक उपन्यासों ‘उम्र‘, ‘मंशा‘, ‘वो मीरा नहीं थी’ का प्रकाशन। इसके साथ ही अमेज़न किंडल पर काव्य संग्रह कवि पुत्र का प्रकाशन। इससे पूर्व हास्य वर्ग के उपन्यासों में अंकित प्रकाशन से किफायती इश्क नामक उपन्यास का प्रकाशन। एवं पुस्तक महल प्रकाशन के सीडार बुक्स से उपन्यास ‘अंग्रेज़ी से ब्याह’ के अंग्रेजी भाषा में रूपांतरित उपन्यास वेडिंग विद इंग्लिश का प्रकाशन।
पूर्व में फिल्म राइटर्स एसोसिएशन, मुंबई के एसोसिएट सदस्य। इसके साथ ही पूर्व में आकाशवाणी ग्वालियर में अनेक विषयों पर युववाणी कार्यक्रम में अनेक वार्ताएं प्रसारित हुई हैं। पूर्व में लोकिहित भारती संसथान में सीनियर स्क्रिप्ट राइटर के पद पर कार्यरत। पूर्व में सृजन एडवर्टाइज़िंग, ग्वालियर में चीफ कंटेंट एडीटर के पद पर कार्यरत।
सम्पर्क: ईमेल: writeryashmajeji@gmail.com
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नोट: ‘किताब परिचय’ एक बुक जर्नल की एक पहल है जिसके अंतर्गत हम नव प्रकाशित रोचक पुस्तकों से आपका परिचय करवाने का प्रयास करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी पुस्तक को भी इस पहल के अंतर्गत फीचर किया जाए तो आप निम्न ईमेल आई डी के माध्यम से हमसे सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं:
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© विकास नैनवाल ‘अंजान’