प्रकाशक: राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता | पृष्ठ संख्या: 48 | लेखक: नितिन मिश्रा | पेंसिलेर: हेमंत | इंकर: विनोद कुमार, जगदीश कुमार | कलरिस्ट: प्रदीप शेरावत,भक्त रंजन,अभिषेक सिंह,मोहन प्रभु,प्रसाद पटनाईक (कवर पेज) | श्रृंखला: नरक नाशक नागराज, नागग्रंथ शृंखला #1 | शब्द सज्जा और डिज़ाइन – मंदार गंगेले
कोई 10-11 साल पहले हल्ला बोल/अभिशप्त कॉमिक से राज कॉमिक्स ने नागराज का एक नया रूप नरक नाशक नागराज पेश किया था। नरकनाशक नागराज के साथ-साथ दनादन डोगा और क्रोध केतु कोबी भी राज कॉमिक्स द्वारा लाये गए थे। इनमें से दनादन डोगा के ओरिजिन को चेहरा कॉमिक में थोड़ा एक्सप्लोर किया गया था। मुझे जहाँ तक याद आता है उस टाइम राज कॉमिक्स के फैंस को ये किरदार ज्यादा पसन्द आया नही था। उसके बाद नरक नाशक नागराज की कुछ कॉमिक्स जैसे मृत्युजीवी और आदमखोर एकदम ही अलग डार्क हॉरर वाले फ्लेवर में आई, जो नागराज के आम कथानकों से एकदम ही हट के थी और पाठकों द्वारा काफी पसन्द भी की गई थी। लेकिन फिर उसके बाद नरक नाशक नागराज ओरिजन्स में भी वही रेगुलर नागराज वाले सब किरदार घुसा दिए गए थे जो व्यक्तिगत रूप से मुझे उस वक्त ज्यादा पसन्द नहीं आया था। इससे नरक नाशक नागराज में जो नागराज की कहानियों से कुछ अलग कहानियाँ पढ़ने की उम्मीद थी वो खत्म सी हो गई थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे जो हम पढ़ चुके थे उसी को एक नए तरीके से वापिस हमें परोसा जा रहा है।
और अब नरक नाशक नागराज का नया कॉमिक बुक आदि पर्व राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता द्वारा प्रकाशित किया गया है।
आदि पर्व नाग ग्रन्थ सीरीज का पहला खंड है। आदि पर्व की कहानी वहीं से शुरू होती है जहाँ पर नरक आहुति की कहानी खत्म हुई थी। अपने अतीत और अस्तित्व की खोज करते हुए काशी में आये हुए नगीना और नागराज में से नागराज की टक्कर नागदंत से होती है। वहीं दूसरी तरफ नगीना की मुलाकात होती है राज कॉमिक्स के ही एक पुराने किरदार से जिसको पहली बार नरक नाशक नागराज यूनिवर्स में जोड़ा गया है। इसी के साथ अगले भाग में एक और बड़े किरदार को भी इस यूनिवर्स में लाए जाने का हिंट साफ-साफ दिखाया गया है। यही नहीं आदि पर्व में एक सुराग का पीछा करते हुए दनादन डोगा (DDD) भी काशी पहुँचा हुआ है। काशी में उसकी भिड़ंत आतंकवादियों के एक जत्थे से होती है और उसी के साथ पाठकों को मिलता है एक ऐसा सरप्राइज जो शायद किसी ने भी नहीं सोचा होगा।
कॉमिक में दूसरी तरफ पाप परिषद होती भी दिखाई गयी है। यहाँ पर सभी अपराधियो का जमवाड़ा लगा हुआ है। इस परिषद में नागमणि नरक नाशक नागराज को लेकर अपनी कहानी सुना चुका होता है और अब बाकी बचे हुए अपराधी भी नरक नाशक नागराज को लेकर अपनी अपनी कहानियाँ सुना रहे हैं।
एक कॉमिक बुक में कहानी तो महत्व रखते हैं लेकिन मुझे लगता है दूसरे पहलू जैसे आर्टवर्क, इंकिंग, कलरिंग और कॉमिक बुक के प्रकाशन की गुणवत्ता भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। मैं अपने इस लेख में इन सभी पहलुओं पर अलग अलग बात करना चाहूँगा।
कहानी
आदि पर्व की कहानी की बात की जाए तो मुझे तो कहानी बहुत पसंद आई है। मुझे बहुत टाइम बाद राज कॉमिक्स में ऐसी कॉमिक पढ़ने को मिली जिसमें काहनी को जरूरत से ज्यादा जटिल (कॉम्प्लेक्स) न करके सीधे तौर पर आगे बढ़ाया गया है। वहीं साथ साथ आगे होने वाली घटनाओं और योजनाओं पर भी सस्पेंस बनाये रखा है । कहानी में एक और चीज जो मुझे अच्छी लगी वह यह कि यहाँ पर कुछ-कुछ चीज़ों के जवाब भी दिए गए है। सर्वनायक या क्षतिपूर्ति शृंखला की तरह पुराने सवालों के जवाब देने की बजाय 10 नए सवाल नहीं खड़े कर दिए गए हैं जो कि पाठक के रूप में उन शृंखलाओं को पढ़ते हुए काफी खटका था। कॉमिक बुक में काफी किरदार मौजूद हैं लेकिन लेखक ने सभी के साथ न्याय किया है। चाहे नागराज और नागदंत का युद्ध हो या फिर डोगा वाला प्रसंग सभी को बाखूबी आगे बढ़ाया है। एक प्रसंग जो मुझको सबसे ज्यादा पसन्द आया वो थोडांगा का नरक नाशक नागराज का अफ्रीका वाला घटनाक्रम था। जब ये शुरू हुआ तब मुझे लगा कि फिर से वही पढ़ा हुआ कथानक वापस पढ़ना पड़ेगा पर लेखक नितिन मिश्रा ने जिस तरह से क्लासिक नागराज वाले कई इवेंट्स को मिक्स करके एक ही बना दिया, उसको पढ़ के दिल खुश हो गया है। यहाँ पर लेखक की तारीफ करना बनता है कि उन्होंने क्लासिक नागराज के क्लासिक इवेंट्स को इतनी अच्छी तरह से एक करके पेश किया (ये चीज़ मेरे को पसन्द आई पर शायद कइयों को बिल्कुल भी ना आये)। कहानी की स्पीड की बात करूँ तो आदि पर्व की कहानी की गति सही है। न कहीं यह एकदम तेजी से भागती लगती है तो ना कहीं जरूरत से ज्यादा धीमी प्रतीत होती है।
आदि पर्व में लेखक ने काशी को कहानी से जिस तरह जोड़ा है वो दिल को छू जाता है। इसमें महादेव की नगरी और नाग सम्राट एक साथ लाए गए हैं। मुझे नहीं लगता है कि आज से पहले किसी भी लेखक ने इन दोनों को साथ लाने की कोशिश की है। असल जगहों को, वो भी जो हमारे गौरवशाली इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सो में से हो, को जब लेखक पूर्ण सम्मानजनक रूप से काहनी में जोड़ता है तो उनके काम को देखकर दिल तो खुश होता ही है साथ में उसके काम के लिए इज्जत और भी बढ़ जाती है।
नितिन मिश्रा पुराने किरदारों को नए रूप में एक नए यूनिवर्स में जिस तरह बाखूबी स्थापित कर रहे हैं वो भी एक बड़ा मुश्किल काम है,जिसके लिए उनकी तारीफ की जा सकती है। आने वाले कथानकों में भी ऐसे ही बना रहे तो एक पाठक के रूप में मेरे लिए बहुत ही अच्छा होगा।
आदि पर्व की कहानी की कमियों की बात करें तो इसका सबसे बड़ा माइनस पॉइंट इसके डायलॉग हैं। लेकिन फिर नीरज मिश्रा जी के लिखे हुए डायलॉग काफी समय से मुझे पसंद नहीं आ रहे हैं और न ही वह उनमें सुधार करने के इच्छुक लगते हैं। सर्वनायक सीरीज से मिश्रा जी बहुत बेकार डायलॉग लिखे जा रहे हैं। उनकी लिखी कहानी जितनी शानदार होती है उनके द्वारा लिखे गए डायलॉग उतने ही बेकार होते हैं। किरदारों के आपसी संवाद से ऐसे लगता ही नही है कि ये किसी टॉप क्लास हीरो/विलन के आपसी संवाद है। ये नब्बे के दशक में आने वाली फिल्मों में मौजूद किसी छपरी गली छाप गुंडे के फिल्मी डायलॉग अधिक लगते हैं। आज के टाइम में ऐसे डायलॉग सिवाय दिमाग का दही करके मूड खराब करने के और कुछ नहीं करते हैं। सबसे पहले तो ये ही समझ से बाहर है कि एक गंभीर कॉमिक में ऐसे ‘मजाकिया’ ‘कूल लगने वाले फिलमी डायलॉग डालने ही क्यों है? वैसे भी जब कहानी की ऐसी जरूरत ही नही है तो ज़बरदस्ती क्यों लिखे जाते है ऐसे बकवास डायलॉग? और फिर हैरानी है कि ये संजय जी की तरफ से अप्रूव भी हो जाते है। मिश्रा जी एक तरफ सारे कैरक्टर्स को एक साथ लिखने का टैलेंट रखते है (जो कि अपने आप मे बहुत मेहनत का काम है), दूसरी तरफ उन कैरक्टर्स को एकदम बचकाना,अपनी पर्सनल्टी से उलट डायलॉगबाजी करते दिखा के मूड खराब कर देते है। यूनिवर्स के सबसे शक्तिशाली हीरो को टक्कर देने वाला किरदार शक्ति कपूर बन जाता है, थोडांगा जैसा अफ्रीका का बादशाह स्कूल के सीनियर लड़को की तरह अपने से छोटे विलन को बुल्ली करता है (काइंड ऑफ)। अब और क्या कहे इस पर…कॉमिक बुक के नरेशन बॉक्स में लिखा विवरण जितना अच्छा होता है किरदारों के डायलॉग उतने ही खराब होते हैं।
आदि पर्व में मुझे प्लॉट होल भी लगा। जैसे नाग दंत की उम्र क्या है? नागदंत दिखने में नागराज के बराबर या उससे बड़ा ही लगता है पर कहानी के हिसाब से वो उससे कम से कम 16-17 साल छोटा होना चाहिए। उम्मीद है ये चीज़ आगे के भागों में साफ की जायेगी।
आर्टवर्क
आदि पर्व के आर्टवर्क की बात करूँ तो मैं ये तो नही कहूंगा कि आर्टवर्क बहुत ही शानदार टॉप क्लास है पर ये जरूर कहूँगा कि अच्छा बन पड़ा है। आदि पर्व का आर्टवर्क मुझे राज कॉमिक्स में हेमंत द्वारा पिछले कुछ सालों में किया सबसे बढ़िया काम लगा है। सभी किरदार विशेषकर नागराज और डोगा अच्छे बन पड़े है। किरदारों के साथ ही काशी को जितना दिखाया है जैसे काशी के मंदिर घाट शमशान, शहर का बाजार, गालियाँ इत्यादि वो बहुत अच्छे बने है। अफ्रीका वाले दृश्य भी काफी बढ़िया बने है।
कहानी में मौजूद फाइट सीक्वन्स बढ़िया बन पड़े है। डोगा के कुछ सीन्स तो खासकर बहुत ही शानदार बने है जो कि डोगा की क्रूरता का पूरा अहसास करा देते है।
आर्टवर्क में जो कमी है वो ये है कि हर बार की तरह ही यहाँ बैक ग्राउंड और उसकी डिटेलिंग भी गायब है। बैक ग्राउंड ज्यादातर खाली या बस कामचलाऊ ही बनाये गए है। हालाँकि अगर सर्वनायक और क्षतिपूर्ति सीरीज से तुलना करें तो उनकी तुलना में तो फिर भी ठीक हैं। लेकिन फिर भी बैकग्राउन्ड के आर्टवर्क पर काफी काम किये जाने की जरूरत है। इसके साथ ही नागदंत का फेस भी उसकी डॉट डॉट वाली दाढ़ी (stubble) की वजह से बेकार लगता है। अरे भाई! या तो क्लीन शेव रख दो या पूरी दाढ़ी बना दो। ये डॉट वाली दाढ़ी के चक्कर मे कबाड़ा कर दिया उसके चेहरे का।
मुझे पता नहीं कब मिश्रा जी डायलॉग और हेमंत बैकग्राउंड आर्टवर्क में सुधार करेंगे।
एक चीज़ और इधर साफ करनी जरूरी है। कॉमिक में एक फ्रेम है जो पूरी कॉमिक का इकलौता ऐसा और सबसे बेकार आर्टवर्क है, पर कुछ लोग फेसबुक व्हाट्सएप पर बस उसी एक फ्रेम को दिखा दिखा के पूरी कॉमिक के आर्टवर्क को घटिया बताए जा रहे है। मैं ये नही कह रहा कि मेरे को आर्टवर्क अच्छा लगा तो सभी को अच्छा ही लगे, हो सकता है किसी को पूरा आर्टवर्क ही ना पसन्द आया हो पर नब्बे पृष्ठों में से एक खराब फ्रेम निकाल के बाकि सब पेजेज को बिना दिखाए पूरी कॉमिक के आर्टवर्क को ही खराब बता देना मेरे को सही नही लगता।
वो खराब फ्रेम |
कुछ फ्रेम जो मुझे पसंद आए…. शमशान, मंदिर और क्रूर दनादन डोगा |
इंकिंग
कॉमिक बुक की इंकिंग की बात करूँ तो मुझे व्यक्तिगत तौर पर इसका इतना कोई आईडिया नहीं रहता है। फिर मैं इन्किनग पर इतना ज्यादा गौर भी नही करता हूँ तो इतना ही कहूँगा कि इंकिंग मुझे सही ही लगी है। पर इतना जरूर कहूँगा कि कुछ कुछ जगह पर फेस पर की गयी इंकिंग की वजह से वो एकदम काले हो जाते है या बीच में काले हो जाते हैं जो कि मुझे ज्यादा पसंद नहीं आया था।
इंकिंग से काले होते चेहरे |
कलरिंग और इफेक्टस
आदि पर्व की कलरिंग और इफेक्टस की बात करूँ कलरिंग बहुत अच्छी हुई है। मुझको काफी पसंद आई। शुरू में पेज नम्बर 7-8 पर जो हरा रंग का इफ़ेक्ट दिया गया है वो तो मुझे बहुत पसंद आया है। काशी शहर के दृश्य, कब्रिस्तान और अफ्रीका के जंगल वाले दृश्य में तो कलरिंग आर्टवर्क में चार चांद लगा देती है। उन्हें देखकर पूरा जंगल वाला अहसास होने लगता है। कलरिंग के जैसे ही स्पेशल इफेक्ट्स भी काफी अच्छे है जो कि आसपास के माहौल और बैक ग्राउंड को सुंदर और आकर्षक बनाने में कोई कमी नही रखते है।
कॉमिक की गुणवत्ता
आदि पर्व का साइज राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित आम कॉमिक्स के साइज़ के बराबर ही है। लेकिन प्रकाशक द्वारा इस बार जो पृष्ठ काम में लाए गए है उनकी क्वालिटी मेरे को बहुत सही लगी। यह पेपर कौन सा है वो तो मेरे को नही पता,पर ना ये ग्लॉसी था ना नार्मल। लेकिन इस पेपर पर रंग बहुत ही सुंदर छप के और निखर के आये हैं। कागज को छूकर देखने पर भी यह एक अच्छी क्वालिटी वाले कागज का सा फील देता है। कॉमिक बुक की प्रिंटिंग और बाइंडिंग भी शानदार हुई है।
साइड नोट – NNN CE में 8 एक्स्ट्रा पृष्ठ दिए गए है, जिनमे नागदंत की बचपन की कहानी दिखाई गई है। इसके विषय में कुछ लोग बोल भी रहे थे कि ये राज कॉमिक्स द्वारा की गई लूट है। लेकिन इधर कहना चाहूँगा कि ये 8 पेज की कहानी आदि पर्व की मुख्य कहानी को तो कहीं पर भी प्रभावित नही करती है। अगर आपने ये 8 पेज नही पढ़े हों तो भी मुख्य कहानी में कुछ खोएंगे नहीं। लेकिन अगर आप नागदंत के विषय में जानना चाहते हैं तो यह आठ पृष्ठ फिर काफी जरूरी हो जाते हैं। मैं ये तो नही कहूँगा कि ये सभी 8 पेज राज कॉमिक्स को आदि पर्व में भी छापने चाहिए थे, क्योंकि अगर किसी ने ज्यादा पैसे देकर CE लिया है तो उसके पास कुछ तो ऐसा होगा ही जो नॉर्मल एडिशन में नही मिलेगा, पर ये 8 पेजेज को एक पेज में सारांश के रूप में दिखा देते तो अच्छा रहता। क्योंकि आदि पर्व ने नागदंत के बचपन/ओरिजिन के बारे में कुछ भी नही बताया गया है।
कुल मिलाकर कहूँ तो मुझको आदि पर्व पसन्द आई। मुझे इसको पढ़ने के बाद ये नहीं लगा कि मेरे टाइम और पैसे बर्बाद हो गए है। काफी वक्त बाद नितिन मिश्रा जी द्वारा लिखी कोई ऐसी कॉमिक आई है जिसमे 90 पेजों में पढ़ने के लिए काफी सामग्री दी गयी है। आदि पर्व पढ़ने में वक्त भी लगा और मजा भी आया। साथ ही ये भी लगा कि स्टोरी आगे बढ़ रही है। वरना सर्वनायक सीरीज में तो 90 पेज पढ़ने के बाद भी ये लगता था कि ना तो कुछ पढ़ा और न स्टोरी कहीं आगे बढ़ी। ये आदि पर्व की एक खास बात है। उम्मीद है कि नाग ग्रंथ के आने वाले भागों में भी ये चीज़ बनी रहेगी।
अभी नाग ग्रंथ शृंखला के कम से कम 3 भाग और आने है। ताजा मिली जानकारी के अनुसार हर एक भाग 160 पृष्ठ का होने वाला है। संजय जी जिस स्पीड से नई कॉमिक लाते है वो सबको पता ही है और मैं यह भी जानता हूँ कि मेरे चाहने से तो कौन सा उन्होंने कॉमिक बुक जल्दी ले आना है। फिर भी एक पाठक के रूप में यही कहूँगा कि नाग ग्रंथ शृंखला के आगे आने वाले भागों के बीच में ज्यादा समय न रहे तो अच्छा रहेगा। अगर दो भागों के आने के बीच मे ज्यादा गैप हो जाता है तो फिर पढ़ने का मज़ा भी खराब हो जाता है और अच्छी खासी कहानी/सीरीज का भी कबाड़ा हो जाता है। और मैं बिल्कुल भी नही चाहता कि लेट आने की वजह से नाग ग्रंथ का हाल भी सर्वनायक जैसा हो जाये। अगर तीन भाग भी और मानकर चले तो अगले साल तक ये सीरीज पूरी प्रकाशित कर देनी चाहिए। मुझे लगता है कि उससे ज्यादा वक्त लगने पर सीरीज का कबाड़ा ही होगा।
कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न
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टिप्पणीकार परिचय
दीपक पूनियां झुंझुनू राजस्थान के रहने वाले हैं। वह फ़िलहाल सरकारी नौकरी की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। उन्हें कॉमिक्स बुक्स, ग्राफिक नॉवेल पढ़ना, फिल्में और वेब सीरीज देखना पसंद है। घूमने के शौक़ीन हैं लेकिन अभी तक अपने इस शौक को तैयारी के चलते ज्यादा परवान नहीं चढ़ा पाए हैं। लक्ष्य प्राप्ति के बाद इस शौक को परवान चढ़ाने की पूरी इच्छा रखते हैं।
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विस्तृत और बेहतरीन समीक्षा है। कॉमिक्स के प्रत्येक बिंदु को लेकर चर्चा की है।
समीक्षा आपको पसंद आयी यह जानकर अच्छा लगा। आभार।