आखिरी गोली | तरुण कुमार वाही, राजा | राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता

संस्करण:

फॉर्मेट: पेपबैक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता | शृंखला: डोगा


टीम:

लेखक: राजा, तरुण कुमार वाही | संपादन: मनोज गुप्ता | चित्रांकन: मनु

पुस्तक लिंक: राज कॉमिक्स साइट 

कहानी 

गनमास्टर एक पेशेवर हत्यारा था जो अपराध की दुनिया में अपने अचूक निशाने के लिए जाना जाता था।

वह इन दिनों अपहरण भी करने लगा था। उसका अपहरण करने वाले को पता भी न होता था कि वह अपहृत है और गनमास्टर उसके घर वालों से या तो फिरौती वसूल लेता था या फिर फिरौती में विघ्न आने पर अपने शिकार को जान से मार देता था।

पर अब डोगा ने गनमास्टर के खिलाफ मोर्चा खोल लिया था।

आखिर डोगा क्यों गनमास्टर के खिलाफ था?

क्या डोगा गनमास्टर से पार पा पाया?

मेरे विचार

‘आखिरी गोली’ डोगा का कॉमिक बुक है जो कि प्रथम बार 1994 में राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित किया गया था। अब इसका नवीन संस्करण राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता द्वारा 2022 में प्रकाशित किया गया है।

डोगा के कॉमिक बुक में अक्सर रहस्य के तत्वों के बजाय एक्शन पर फोकस रखा जाता है। गनमास्टर भी ऐसा ही कॉमिक बुक है।

कॉमिक बुक की शुरुआत कालीमिर्च चाचा के लॉयन एम नामक संस्थान से होती है जहाँ वो अपने छात्रों को निशाने बाजी के गुर सिखा रहे होते है। यहीं सूरज भी मौजूद रहता है। गनमास्टर इधर पहुँचता है और अपना खूनी खेल खेलता है। इसके बाद ही इंस्पेक्टर चीता के माध्यम से पाठकों और सूरज को गनमास्टर के बारे में पता चलता है और डोगा उसे खत्म करने की कसम खा लेता है। डोगा जिस तरह से ये  काम करता है वही कॉमिक का कथानक बनता है।

कॉमिक बुक में एक रहस्य कथा बनने के पूरा सामर्थ्य था लेकिन लेखक इससे बचे हैं। जहाँ जहाँ वो तहकीकात दर्शा सकते थे वहाँ वहाँ वो जल्दबाजी में कथानक को आगे बढ़ाते हैं। मसलन गनमास्टर तक पहुँचने का एक सबूत वो गोली रहती है जो वो चलाता है। यह गोली ढूँढने चीता और डोगा साथ ही निकलते हैं। फिर अगले पैनल में बताया जाता है कि चीता ने उन सब लोगों को टटोला है जो ऐसी गोली बनाते हैं और उसे तब एक गोली बनाने वाले का पता चलता है। लेकिन डोगा यहाँ पहले से मौजूद रहता है। अब डोगा कैसे चीता से पहले पहुँचता है ये दिखाया नहीं जाता है। ऐसे ही गनमास्टर का एड्रेस डोगा और चीता को साथ साथ मिलता है लेकिन डोगा की एंट्री चीता के साथ हुए एक्शन के बाद होती है। आगे जाकर भी डोगा गनमास्टर तक नहीं पहुँचता है बल्कि उसे खलनायक द्वारा चिट्ठी देकर अपने पास बुलाया जाता है। शायद ये सब इसलिए किया गया था ताकि कहानी में केवल एक्शन रहे और 32 पेज में ही कहानी खत्म हो जाए पर यह चीजें कहानी को थोड़ा कमजोर बनाते हैं।

कहानी के आखिर में डोगा गनमास्टर के अड्डे पर पहुँचता है। यहाँ डोगा और गनमास्टर का टकराव होता है जो कि रोचक बना है। इसी टकराव में वो स्थिति आती है जिसके कारण इस कॉमिक बुक का नाम आखिरी गोली रखा गया है। इधर मुझे लगा कि डोगा आसानी से गनमास्टर की शर्त मान लेता है। वह जुर्म को जड़ से उखाड़ने में विश्वास रखता है और इस कारण किसी मुजरिम के लिए उसके मन में इतना सम्मान तो नहीं ही होगा कि वो उसकी बात मानें। मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि इधर उसके बात मानने के पीछे एक पुख्ता कारण भी दिया होता तो बेहतर होता। 

कॉमिक बुक में गनमास्टर रोचक किरदार है। उसे थोड़ा और विस्तार देते तो अच्छा रहता। उसके लिए आगे के मौके छोड़ने चाहिए थे। 

गनमास्टर के अलावा कॉमिक बुक में शंभूनाथ का किरदार है। चूँकि उसका एक अपना तकिया कलाम रहता है तो उसके डायलॉग रोचक बन पड़े हैं और कभी कभी हँसी भी दिलाते हैं।

कॉमिक बुक का किरदार गनमास्टर और इसके कई प्लॉट पॉइंट्स इआन फ्लेमिंग के उपन्यास पर बनी जेम्स बॉन्ड की द मैन विद द गोल्डन गन से प्रेरित है। 

कॉमिक बुक के आर्ट वर्क की बात करू तो यह मनु का है और अच्छा है। ऐसी कोई कमी आर्टवर्क में देखने को नहीं मिलती है। पहले के कॉमिक बुक में स्प्लैश पेज नहीं ही होते थे तो इसमें भी नहीं हैं। आर्टवर्क कथानक के साथ न्याय करता है। 

प्रस्तुत संस्करण में कॉमिक बुक के राइटर के नाम पर संजय गुप्ता की जगह राजा कर दिया गया है। कॉमिक प्रकाशन के तीन हिस्से होने के बाद यह बड़ी दिक्कत हो गई है कि भाइयों के एक दूसरे के क्रेडिट को कम करना शुरू कर दिया है। अब इसमें सच क्या है और झूठ क्या ये तो वही जानते हैं लेकिन प्रशंसक के लिए ये सोचने वाला विषय हो जाता है। अब जैसे इसी कॉमिक्स में देख लें। यहाँ राजा का नाम देने का औचित्य मुझे समझ नहीं आया। दूसरे संस्करणों में राजा की जगह शायद संजय गुप्ता इधर होता है। अगर लेखक को संजय गुप्ता का नाम नहीं देना था तो इधर खाली तरुण कुमार वाही ही रहने देते। अब तो ये प्रश्न उठता है कि ये राजा कौन था और उसका प्रस्तुत कॉमिक बुक के लेखन में क्या योगदान था। ऐसे में बेहतर ये न होता कि प्रकाशक राजा के बजाय उस भूत लेखक का असल नाम दे देते। कम से कम भूत लेखक जो अब तक गुमनाम था उसका कुछ नाम ही हो जाता। 

खैर, अंत में यही कहूँगा कि यह एक अच्छी जासूसी कथा बन सकती थी लेकिन अभी यह एक ओके एक्शन कथा ही बनकर रह गयी है। चूँकि पृष्ठ संख्या 32 रखने की कोशिश की है तो चीजों को जल्दी जल्दी निपटाया गया है जिससे रोमांच उतना नहीं बन पाता है जितना कि बन सकता था। फिर भी अगर आपको ऐसे कॉमिक पसंद हैं जिसमें एक्शन प्रधान हो तो आप कॉमिक बुक एक बार पढ़ सकते हैं।


पुस्तक लिंक: राज कॉमिक्स साइट


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर उन्हें लिखना पसंद है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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