संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: ई-बुक | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | पृष्ठ संख्या: 56 | कथा/चित्रांकन: अनुपम सिन्हा | इंकिंग: विनोद कुमार | सुलेख: सुनील पांडे | शृंखला: सुपर कमांडो ध्रुव
कहानी
विचार
कहते हैं गया हुआ वक्त कभी लौटकर नहीं आता। वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि वक्त मुट्ठी में बंद रेत सा है जो लगातार फिसलता रहता है। यही कारण है कि बढ़े बूढ़े वक्त को बर्बाद करने की बजाय उसका सदुपयोग करने की सलाह बच्चों को देते रहते हैं क्योंकि वह जानते हैं वक्त पर नियंत्रण करना नामुमकिन है। पर मनुष्य की सबसे बड़ी इच्छा इसी वक्त को नियंत्रण में लेने की होती है। वह चाहता है कि उसके हिसाब से वक्त धीमे या तेज बीते। बोर हो रहा हो तो वक्त तेजी से बीते और अगर मजे कर रहा हो तो वक्त धीमा हो जाए लेकिन अक्सर ये चीजें उलटे क्रम में ही होती हैं। पर क्या हो अगर कोई वक्त को नियंत्रित कर सकता हो? और क्या हो अगर वक्त को नियंत्रित करने की शक्ति एक ऐसे खूँखार खलनायक को मिल जाए जिसका मकसद दुनिया में आंतक फैलाना ही हो? इसी सोच को आधार बनाकर लेखक अनुपम सिन्हा (Anupam Sinha) ने ‘मैं समय हूँ’ (Main Samay Hoon) की कहानी लिखी है।
राज कॉमिक्स (Raj Comics) द्वारा 2005 में प्रथम बार प्रकाशित ‘मैं समय हूँ’ (Main Samay Hoon) के केंद्र में दो खलनायक मौजूद हैं। एक तो ग्रैंड मास्टर रोबो (Grand Master Robo) है जो कि अपने आदमी जूनियर जो (Junior Jo) और ध्रुव (Super Commando Dhruv) से लड़ते हुए समय को नियंत्रित करने की शक्ति पाता हैं। वहीं दूसरी तरफ कॉमिक का दूसरा खलनायक ‘लाप्ना‘ (Lapna) नाम का परग्रही है जो कि खुद को ‘समय‘ (Samay) कहता है और अपने यंत्र की उस टुकड़े को वापस पाना चाहता है जिसे पाकर रोबो समय को नियंत्रित करने लगा है। ध्रुव इन दो खलनायकों के साथ भिड़कर किस तरह से इन्हें हराता है और इस लड़ाई में उसके सामने कौन सी मुसीबतें आती हैं यही कॉमिक की कहानी बनती है। ध्रुव की इस लड़ाई में ‘इनूगार’ (Inugar) नाम का परग्रही भी मदद करता है जो अगर न होता तो शायद ध्रुव इस मुसीबत के सामने टिक नहीं पाता। वहीं नताशा (Commandar Natasha) का भी एक महत्वपूर्ण किरदार कॉमिक बुक में मौजूद हैं। वह कम आई है लेकिन कहानी को मोड़ने में उसका महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
कॉमिक बुक पठनीय है और एक्शन से भरपूर है। शुरुआत से ही एक्शन शुरू हो जाता है और आप पृष्ठ पलटते चले जाते हो। कॉमिक का ज्यादातर कथानक भारत से बाहर ही घटित होता हुआ दिखता है। रोबो (Grand Master Robo) का किरदार कई बार कॉमेडी करता भी दिखता है। वहीं कुछ जगह ऐसा भी लगता है कि रोबो (Grand Master Robo) के मन में ध्रुव के लिए एक तरह का सॉफ्ट कॉर्नर भी है। वह चाहता तो समय की शक्ति मिलने के बाद सबसे पहले ध्रुव (Super Commando Dhruv) को खत्म कर सकता था लेकिन वो ऐसा नहीं करता है। कहानी तेज रफ्तार है और 52 पृष्ठ का यह कथानक कब खत्म हो जाता है यह पता ही नहीं लगता है।
कॉमिक में चूँकि किरदारों को समय को नियंत्रित करते हुए दिखाया है तो इसे लेकर एक थ्योरी भी लेखक देते हैं। यह थ्योरी तकनीकी तौर पर कितनी सही और गलत है ये तो इस मामले की जानकारी रखने वाले ही जानेंगे लेकिन ब्लैक होल का कन्सेप्ट इस्तेमाल कर इस थ्योरी की रचना का निर्माण करना मुझे रोचक लगा। ध्रुव की कॉमिक की यह बात मुझे पसंद रही है उसमें कुछ न कुछ ज्ञान विज्ञान की बातें मिलती रहती हैं जो कि पाठकों का ज्ञानवर्धन करती हैं। नए कान्सेप्टस के विषय में उन्हें बताती हैं।
कॉमिक बुक की कमी केवल मुझे ये लगी कि इसमें दो खलनायक आपस में भिड़ते हैं जो कि उनकी शक्ति को कम कर देता है। पढ़ते हुए मैं ये सोच रहा था कि अगर दोनों हाथ मिलाकर पहले ध्रुव (Super Commando Dhruv) और इनूगार से निपटते तो क्या होता? क्या ध्रुव को अपना दिमाग चलाकर अपराधियों को हराने का मौका मिल पाता? अगर हाँ, तो वह ऐसा कैसा करता ये देखना ज्यादा रोमांचक होता। अभी भी ध्रुव (Super Commanod Dhruv) को इन खलनायकों को हराने के लिए नाकों चबाने पड़ते हैं लेकिन चूँकि रोबो को तो समय ही रास्ते से हटा देता है तो ध्रुव की परेशानी थोड़ा कम ही हो जाती है।
कहानी में एक फ्रेम में श्वेता (Shweta) भी दिखाई देती है तो उस वक्त मैं यह सोच रहा था कि अगर चंडिका (Chandika) भी दिखती तो मज़ा आता लेकिन फिर कॉमिक में कुछ फ्रेम एक्स्ट्रा जोड़ने पड़ते जो शायद कहानी की कसावट कम कर देते।
हाँ, कॉमिक में समय, इनूगार और उनके ग्रह की कहानी मुझे पसंद आई। इस कॉमिक्स में तो उसे संक्षिप्त रूप में दर्शाया गया है लेकिन ‘समय’ के धरती पर आने से पहले की कहानी को अगर कोई उपन्यास रूप में लिखे तो मैं उसे जरूर पढ़ना चाहूँगा। यह एक रोचक विज्ञान गल्प होगा जिसे जो कॉमिक फैन नहीं भी हैं वो भी शायद पसंद करें।
कॉमिक के आर्टवर्क की बात करूँ तो आर्टवर्क अनुपम सिन्हा (Anupam Sinha) का है और अच्छा है। कहानी को कंप्लीमेंट करता है।
अंत में कहूँगा कि ‘मैं समय हूँ’ एक तेज रफ्तार एक्शन से भरपूर कहानी है जो पाठकों का मनोरंजन करने में सफल होती है। अगर नहीं पढ़ा है तो एक बार पढ़कर देख सकते हैं।
आज के प्रश्न:
- अगर आपको समय पर नियंत्रण करने की ताकत मिले तो आप क्या करेंगे? कमेन्ट में मुझे जरूर बताइएगा।
- समय के कन्सेप्ट पर आधारित और कौन कौन से कॉमिक बुक आपने पढ़ें हैं? जरा बताइएगा।
नोट: आज का प्रश्न वेबसाईट के पाठकों से संवाद करने की कोशिश है। उम्मीद है कमेंट्स के माध्यम से आप इस संवाद को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे। आपके कमेंट्स का इंतजार रहेगा।
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आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा आज बुधवार (01-04-2022) को चर्चा मंच "भारत ने सारी दुनिया को, दिया शून्य का ज्ञान" (चर्चा अंक-4387) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा अंक में पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार…
आपके पहला प्रश्न काफी जटिल है। समय सबसे शक्तिशाली शक्ति होगी ब्रह्माण्ड की क्योंकि उसे कुछ चौथा आयाम भी मानते है। इस शक्ति का धारक कुछ भी कर सकता है। वह स्वयं समय के बंधनो से मुक्त हो जाएँगा।
इस शक्ति से स्टॉक मार्केट, लॉटरी जीतना या लूटमार करना तो बेहद मामूली काम हो जाएँगा।
मेरे हिसाब से विश्व विजय ज्यादा उपयुक्त होगा इस शक्ति के लिए।
वही आपके दूसरे प्रश्न का मेरे पास उत्तर नही।
मैने एक बार एक कॉमिक पढ़ी थी HP lovecraft की कहानी पर। उसमे किसी देवता के पास समय को काबू करने की शक्ति के बारे मे बताया तो गया था मगर उन शक्तियों को चित्रो द्वारा दर्शाया नही गया।
रोचक जवाब…