संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
प्रकाशक: बुल्सऑय प्रेस
पृष्ठ संख्या: 36
लेखक: अश्विन कल्मने, आर्ट एवं कलर्स: एमिलियो उतरेरा
कवर आर्ट: रूली अकबर, डिज़ाइनर: तुषार चावला
हिन्दी रूपांतरण एवं शब्दांकन: विभव पाण्डेय, बेककवर आर्ट: योयो, मरिसियो सल्फाते
श्रृंखला : आधिरा मोही #1
आधिरा मोही: भाजी ऑफ़ द डेड |
आधिरा और मोही दो दोस्त हैं जो एक दूसरे की सुख दुःख की साथी हैं। आधीरा की जिंदगी में बुरा वक्त ऐसा मेहमान है जो कि टलने का नाम ही नहीं लेता है। बचपन से ही उसके साथ हादसे हुए हैं। वह उनसे जूझती है और सोचती है अब सब सही होगा लेकिन फिर एक और हादसा हो जाता है। अभी भी यही हुआ है। एक और हादसा उसकी जिंदगी में हो गया है और आधिरा खुद को टूटा हुआ, हारा हुआ पाती है। उसके पास है तो बस एक दोस्त मोही। मोही जो उसका अब तक का सहारा रही है।
उस वक्त भी आधिरा अपनी दोस्त मोही के साथ और घर पर मौजूद थी। मोही उसे ढाढस दे रही थी।
लेकिन वो दोनों कहाँ जानती कि उनकी दुनिया बदलने वाली थी। वो कहाँ जानती थी कि मुंबई ज़ोम्बीस का अड्डा बनने वाली थी।
आधिरा की जिंदगी में अब क्या हुआ था?
आखिर कहाँ से आये थे ये ज़ोम्बीस?
ज़ोम्बीस के आक्रमण का इन दो दोस्तों की जिंदगी पर क्या असर पड़ा?
ऐसे ही कई सवालों के जवाब आपको इस कॉमिक बुक में मिलेंगे।
आधिरा मोही का पहला भाग भाजी ऑफ़ द डेड पढ़ा। वैसे तो मैंने यह कॉमिक बुक काफी पहले मँगवा ली थी लेकिन पढ़ने का मौका अभी ही लग पाया।
मेरे हिसाब से एक ग्राफ़िक नावेल का सबसे जरूरी हिस्सा उसका आर्टवर्क होता है और मुझे लगता है कि इस मामले में यह कॉमिक बाजी मार जाती है। इसका आर्टवर्क बाकि कॉमिक्स से जुदा है लेकिन मुझे यह पसंद आया। किरदार आड़े टेढ़े बने हैं लेकिन यह आपको आकर्षित करता है। अमीलियो उतरेरा, जिन्होंने इस कॉमिक की पेंसिलिंग और रंग संयोजन पर काम किया है, के विषय में मुझे पता लगा कि वो अर्जेंटिनिया के निवासी हैं। तकनीक ने ही यह सम्भव किया है कि दूर दराज में बैठे लोग भी एक प्रोजेक्ट पर काम कर सकते हैं। उनके आर्टवर्क का अब मुझे इन्तजार रहेगा। उम्मीद है बुल्स ऑय वाले उनसे काम कराते रहेंगे। हाँ, आर्टवर्क के मामले एक बात थी जो मुझे अटपटी लगी। एक फ्रेम में किरादर ऑटो रिक्शा में सब्जी डालते हुए दिखाई देते हैं। एक आध मामले में तो ऐसा होता है लेकिन मैं देखा है ज्यादातर लोग अब छोटा ट्रक(छोटा) इसके लिए इस्तेमाल करते हैं तो उधर दो तीन ऑटो रिक्शा का होना अटपटा लगा। बाकि तो आर्टवर्क मुझे पसंद आया।
कहानी की बात करूँ कहानी एक जोम्बी स्टोरी है। आपको शुरुआत में पता चल जाता है कि जो हो रहा है वो क्यों हो रहा है और किस चीज के चलते हो रहा है। आधिरा और मोही, जैसे की नाम से ही जाहिर है, इस श्रृंखला की नायिकाएं हैं। नायिकाओं से आपकी मुलाकात सातवें पृष्ठ पर होती है। आप उनसे मिलकर उन्हें समझ भी नहीं पाते हैं कि एक्शन शुरू हो जाता जो कहानी के अंत तक बना रहता है। हाँ, एक्शन शुरू होने के बाद एक फ़्लैश बेक के जरिये कुछ फ्रेम्स में आपको आधिरा की कहानी तो पता चल ही जाती है। कहानी में आधिरा ज्यादा गुस्सैल दिखी है लेकिन उसके साथ जो हुआ है उसे देखते हुए यह जायज है। असल में वो कैसी है यह मैं जरूर देखना चाहूँगा।
आधिरा और मोही दोनों ही किरदार मुझे पसंद आये। यह दोनों आम लड़कियाँ हैं और हालात के चलते इन्हें वह सब करना पड़ता है जो यह इस कॉमिक में करती दिखती हैं। यह डरती भी हैं और इन्हें इस बात का भी पता है कि यह क्या कर सकती हैं क्या नहीं। जब एक सहेली भावना के अतिरेक में आगे बढ़ जाती है तो दूसरी उसे कुछ भी ऐसा करने से रोकती है जो उसके लिए हानिकारक हो सकता है। दोनों एक दूसरे को सम्बल देती हैं। दोनों एक दूसरे का सपोर्ट सिस्टम है। एक और अच्छी बात मुझे यह लगी कि यह दोनों ही लड़कियाँ भले ही कवर में गोरी दिखाई गयी हो असल में यह सांवली हैं। उम्मीद है आगे आने वाले कॉमिक में कवर में भी यह इसी रूप में दिखेंगी। हाँ, क्योंकि कहानी काफी तेजी से भागती है तो इन दोनों किरदारों को उतना ज्यादा विकसित करने का मौक़ा लेखक के पास नहीं था। कुछ ही फ्रेम उसके पास इनकी कहानी के लिए थे। इस श्रृंखला के आगे आने वाले भागो में मैं इनको और बेहतर तरीके से जानना चाहूँगा।
अगर लेखक इन्हें लेकर कभी कोई उपन्यास लिखने की योजना बनाता है तो मैं उस उपन्यास को जरूर पढ़ना चाहूँगा। मुझे लगता है उपन्यास मैं वह इन किरदारों के साथ ज्यादा न्याय कर पायेंगे और मुझे भी पाठक होने के नाते इनके साथ ज्यादा वक्त बिताने का मौक़ा मिलेगा।
कहानी में शर्मन धाम का किरदार भी रोचक लगा। उसकी हरकतों से मुझे जॉनी ब्रावो याद आता रहा और जिस तरह से आधिरा ने उससे बर्ताव किया जॉनी ब्रावो की याद और ज्यादा मजबूत हो गयी।
कहानी का अंत भी रोचक तरह से होता है। एक तो आधिरा और मोही के जिंदगी में आया मोड़ और दूसरा ज़ोंबी से जुड़ी बात जो पता चलती है वह दर्शाती है कि कहानी अभी बाकी है।यह भाग कई सवाल भी यह छोड़ जाता है। नायर किसके लिए काम करता था? उसकी कम्पनी उस केमिकल का निर्माण क्यों कर रही थी? उनके आगे की योजना क्या है? मुंबई इस हादसे से कैसे उभरा? यह सब कुछ सवाल है जो कहानी पढ़ने के बाद भी आपके दिमाग में चलते रहते हैं। उम्मीद है आने वाले भागों में इनका जवाब मिलेगा।
अंत में यही कहूँगा कि आधिरा मोही के पहले भाग ने मेरा मनोरंजन किया। एक अच्छी श्रृंखला की यह शुरुआत है। इस श्रृंखला का दूसरा भाग तो मेरा पास है ही लेकिन मैं इस श्रृंखला के आगे आने भागों का भी इन्तजार करूँगा।
कहानी: 3/5
आर्टवर्क: 5/5
रेटिंग: 4/5
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आधिरा मोही
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© विकास नैनवाल ‘अंजान’